पित्त की पथरी के लक्षण व कारण जानिए
डेस्क-इस बीमारी के कारण लक्षण आदि जानने से पहले पित्त के विषय में थोडा जान लेते है | पित्त दरअसल एक हरे रंग का एक तरल पदार्थ होता है जो लीवर में बनकर लीवर से लगी हुई, पित्त की थैली (गालब्लैडर) में इक्कठा होता रहता है।
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- भोजन के छोटी आंत में पहुंचते ही पित्ताशय में सिकुडन शुरू हो जाता है
- जिससे यह द्रव पित्त नली द्वारा छोटी आंत में चला जाता है।
- यह द्रव कुछ विटामिनों, खनिजों एवं लवणों को पचाने का अपना महत्त्वपूर्ण कार्य करता है।
- यही पित्त की थैली का मुख्य कार्य होता है |
पित्त की पथरी होने के कारण
उम्र- आम तौर पर यह रोग 40 वर्ष के बाद होता है। इस उम्र में कोलेस्ट्राल की मात्रा लगभग सभी व्यक्तियों में बढ़ जाती है। मोटापा- मोटे व्यक्तियों में इस रोग की संभावना ज्यादा रहती है। क्योंकि उनमें कोलेस्ट्राल ज्यादा होता है।महिलाएं- महिलाओं में पित्त की पथरी का रोग ज्यादा होता है।
महिलाओं के डिम्ब से निकलने वाला एस्ट्रोजन हार्मोन पित्तीय लवण के बनने में रुकावट पैदा कर, उसका अनुपात कम कर देता है।भोजन की अनियमितता-जब भोजन छोटी आंत में पहुंचता है तो पित्ताशय में सिकुडन शुरू हो जाता है और इस प्रकार पित्त पाचन कार्य के लिए छोटी आंत में पहुंच जाता है। अनियमित भोजन विशेषकर बिना पानी पिए व्रत या उपवास करने वालों में छोटी आंत में भोजन की लम्बे समय तकअनुपस्थिति, पित्ताशय को एक्टिव नहीं करता और तब पित्ताशय में रुके हुए पित्त में कोलेस्ट्राल का थक्का बनने की प्रक्रिया शुरू हो सकती है। व्रत व अनियमित भोजन करने की आदत महिलाओं में ही ज्यादा होती है इसलिए पित्त की पथरी से सबसे ज्यादा वही प्रभावित होती है ।