यहां स्नान करके चन्द्रमा हुए थे श्राप मुक्त

यहां स्नान करके चन्द्रमा हुए थे श्राप मुक्त

नव दुर्गा के साथ उनकी वेदियां कई वर्षों से सुरक्षित रखी हुई हैं

डेस्क-श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक चंद्रिका देवी मंदिर लखनऊ के बख्शी कस्बे में स्थित है। एक मान्यता के अनुसार गोमती नदी के पास महीसागर तीर्थ के किनारे एक पुरातन नीम के वृक्ष के कोटर में नव दुर्गा के साथ उनकी वेदियां कई वर्षों से सुरक्षित रखी हुई हैं।

शास्त्रों के मुताबिक पांडव वनवास काल में द्रौपदी के साथ इस पवित्र स्थान पर आए थे। महाराजा युधिष्ठिर ने यहां अश्वमेध यज्ञ कराया जिसका घोड़ा चन्द्रिका देवी धाम के निकट राज्य के तत्कालीन राजा हंसध्वज द्वारा रोके जाने पर युधिष्ठिर की सेना से उन्हें युद्ध करना पड़ा था।

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  • इस युद्ध में उनका पुत्र सुरथ सम्मिलित हो गया था व दूसरा पुत्र सुधन्वा युद्ध के दौरान चन्द्रिका देवी धाम में नव दुर्गाओं की पूजा आराधना में लीन था।
  • युद्ध में अनुपस्थित‍ि के कारण इस महीसागर क्षेत्र में उसे खौलते तेल के कड़ाहे में डालकर उसकी परीक्षा ली गई।
  • परंतु मां चन्द्रिका देवी की कृपा के चलते उसके शरीर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा था।

तभी से इस तीर्थ को सुधन्वा कुंड भी कहा जानेलगा। पुराणों के अनुसार दक्ष प्रजापति के श्राप से प्रभावित चन्द्रमा को भी श्राप मुक्ति के लिए चन्द्रिका धाम स्थित मही सागर संगम तीर्थ के जल में स्नान करने के लिए आना पड़ा थामां चन्द्रिका के भव्य मंदिर के पास से निकली गोमती नदी की जलधारा चन्द्रिका देवी धाम की तीन दिशाओं उत्तर पश्चिम और दक्षिण में प्रवाहित होती है तथा पूर्व दिशा में महीसागर संगम तीर्थ स्थित है जिसमें शिव जी की विशाल मूर्ति स्थापित है।

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