आपके कुंडली मे ही छिपा है डायबिटीज का कारण इस तरह से करें निवारण

आपके कुंडली मे ही छिपा है डायबिटीज का कारण इस तरह से करें निवारण

जानिए मधुमेह/शुगर/डायबिटीज के ज्योतिषीय कारण ओर उपाय....


ज्योतिष डेस्क -मधुमेह के रोग को एक वंशानुगत रोग के रूप में भी जाना जाता है. अगर आपके शरीर में इन्सुलिन की मात्रा की कमी है तब ये रोग आपको घेरता है. आप दवाओ के सहारे इस रोग पर कुछ हद तक काबू पा सकते है.

अगर आप ज्योतिषीय मान्यताओ की तरफ ध्यान देते है तो इसके अनुसार आप पाओगे कि अगर जलीय राशी जैसे कि कर्क, वृश्चिक या मीन और शुक्र राशी जैसेकि तुला में दो या दो से अधिक पापी ग्रहों ने प्रवेश कर रखा है तो इन राशी के लोगो को मधुमेह के रोग की आशंका बहुत ज्यादा है.

ज्योतिषाचार्य पण्डित दयानन्द शास्त्री के अनुसार यदि इन राशियों के शुक्र के साथ ब्रस्पति या चंद्रमा दूषित है या त्रिक भाव में है तब भी आपको मधुमेह हो सकता है. शत्रु राशी या क्रूर ग्रहों जैसे राहू, शनि, सूर्य, और मंगल ने आपकी राशी में प्रवेश कर रखा है तब भी आपको मधुमेह हो सकता है।

कहा गया हें --

‘स्थूल प्रमेही बलवानहि एक: कृक्षरतथेव परिदुर्वलक्ष्य।
संवृहणंतम कृशस्य कार्यम् संशोधन दोष बलाधिकस्य।।


सामान्यतः रोगों के संबंध में कुछ लोगों की धारणा यह है कि रोग आहार-विहार की अनियमितता के कारण उत्पन्न होते हैं परन्तु व्यवहार में ऐसा नहीं है। इस धारणा से अनुवांशिक रोग, महामारी, दुर्घटना से उत्पन्न रोगों के कारणों की भली भांति व्याख्या नहीं की जा सकती। ज्योतिष शास्त्र में रोगों का कारण पूर्व कर्मों का प्रभाव दोषों का प्रकोप, वात-पित्त और कफ का असंतुलन माना जाता है। ज्योतिष आपको यह बता सकता है कि आपके शरीर की क्या प्रकृति है और उससे आपको कौन से रोग हो सकते हैं?


ज्योतिष शास्त्र में कई बार उन लोगो को भी मधुमेह के रोग की शिकायत मिली है जिनकी कुंडली में लगन पर शनि – केतु की पाप की दृष्टी देखी गई हो. अगर वृश्चिक राशी के चतुर्थ स्थान में शुक्र – शनि की युति, मीन पर सूर्य व मंगल की दृष्टी हो, साथ ही तुला राशी के लोगो पर राहू स्थित हो कर चन्द्रमा पर दृष्टी रखे तो इस स्थिती में इन सब लोगो की इज्जत, प्रतिष्ठा को हानि होती है साथ ही इन लोगो को मधुमेह के रोग का भी खतरा होता है।

डायबिटीज शब्द ग्रीक भाषा के ‘डाय़बिटोज’ शब्द से निकला है, जिसका अर्थ होता है ‘सायफन’ यानी ‘बहना’ और मेलीटस का अर्थ है ‘मीठा’।


ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इनके कुछ कारण है जो निम्नलिखित है-

वहद्जातक, सारवली, जातक तत्‍व, यवनजातक, गंधावली जैसे ग्रंथ मधुमेह के लिए कई प्रकार के योगायोगों के बारे में जानकारी देते हैं। ऐसा देखा गया है कि गुरु से पैदा हुए रोगों से मुक्‍त होने की संभावना अधिक होती है। सूर्य और मंगल से पैदा हुए रोग आंशिक रूप से दूर होते हैं, लेकिन शनि से पैदा रोगों का कोई इलाज नहीं होता।

फलदीपिका के अनुसार--

"पाण्‍डुश्‍लेष्‍ममत्प्रकोपनयनव्‍यापत्‍प्रमेहामयात्’’

मधुमेह रोग में शुगर मूत्र स्थान से बाहर निकलता है। अतः शुक्र से मधुमेह रोग का विचार किया जाता है। मीठे रस का कारक ग्रह गुरु होता है। अतः गुरु का भी विचार आवश्यक है। खाने-पीने की मीठी चीजें देखकर यदि मन काबू में नहीं रहता तो मन के कारक चंद्रमा का विचार भी करना चाहिये।

जानिए जन्म कुण्डली में मधुमेह रोग होने के योग ---

मधुमेह रोग मानव शरीर में पैंक्रियाज पर आधारित है। यदि पैंक्रियाज सही कार्यं नहीं कर रहा है तो मधुमेह होता है। पैंक्रियाज नाभि से ऊपर व दिल से नीचे होते हैं। इसलिये इन्हें जन्म कुंडली के पंचम भाव से देखा जाता है। नाभि व उदर का विचार छठे भाव से किया जाता है। मूत्रादि अंगों के सप्तम व अष्टम भाव भी विचार करना चाहिये।

- जलीय राशि कर्क, वृश्चिक व मीन तथा शुक्र की राशि वृष व तुला को यदि दो या अधिक पापी ग्रहों ने पीड़ित कर रखा है तो इन लोगों को मधुमेह रोग होने की आशंका अधिक होती है।

- पण्डित दयानन्द शास्त्री के अनुसार जन्मकुंडली के छठे व आठवें भाव के पीड़ित होने, पाचन तंत्र की सिंह राशि के पीड़ित होने व मूत्र अंगों की वृश्चिक राशि के पीड़ित होने से मधुमेह रोग होता है।

- छठे भाव में गुरु या शुक्र की स्थिति या मंगल-शुक्र की स्थिति इस बीमारी की ओर इशारा करती है।

- गुरु कमजोर स्थिति में 6, 8 या 12 भाव में हो या अपनी नीच राशि में हो तो जातक को मधुमेह रोग की संभावना बनती है।

- शुक्र छठे भाव में हो और गुरु 12वें भाव में हो तो भी मधुमेह रोग हो सकता है। - छठे भाव का स्वामी 12वें भाव में हो व द्वादशेश का संबंध गुरु से बन रहा हो तो भी मधुमेह रोग हो सकता है।

- गुरु ग्रह कुंडली में शनि व राहु दोनों से पीड़ित हो।

- गुरु ग्रह अस्त हो व राहु/केतु अक्ष पर हो।

- गुरु ग्रह यदि राहु के नक्षत्र में हो और राहु से दृष्ट भी हो। - यदि गुरु व शनि की युति बहुत नजदीक अंशों पर हो रही हो अर्थात दोनों एक ही नवांश में हों।

- यदि शुक्र व गुरु या चंद्र व गुरु पीड़ित हों।

- जब गुरु ग्रह शनि की राशि में हो व अशुभ ग्रह से दृष्ट हो।

- लग्न किसी अशुभ ग्रह से पीड़ित हो व गुरु भी पाप ग्रह से पीड़ित हो।

- जब राहु का संबंध अष्टमेश से आठवें भाव में या त्रिकोण में बन रहा हो।

- शनि का संबंध चंद्रमा से हो या शनि ही कर्क राशि में हो।

- छठे व द्वादश भाव के स्वामियों का आपस में राशि परिवर्तन हो रहा हो।

- पंचम या पंचमेश का संबंध यदि 6, 8, 12 भाव से बन रहा हो तो यह बीमारी हो सकती है।

- ज्योतिर्विद पण्डित दयानन्द शास्त्री के अनुसार कुल मिलाकर देखा जाये तो यदि शुक्र, गुरु व चंद्रमा दूषित हों तो मधुमेह का रोग होता है तथा 5, 6, 7, 8 भावों के अलावा सिंह, कन्या, तुला व वृश्चिक राशियों के दुष्प्रभाव में होने से मधुमेह व मूत्रांगों से संबंधित रोग लग जाते हैं।


ज्योतिष शास्त्र में अगर मीन राशी के जातको की राशी में बुध पर सूर्य की दृष्टी हो या ब्रहस्पति लग्नेश के साथ छठे भाव में हो या फिर इन् जातको के दशम भाव में मंगल – शनि की युक्ति या मंगल दशम स्थान पर शनि पर दृष्टी रख रहा हो तो इस स्थिथि में भी ये रोग हो सकता है.

इन सबके अलावा अगर लग्नेश शत्रु राशी में, नीचे का या लगन व मग्नेश पाप ग्रहों से दृष्टी मिला रहा हो व शुक्र आठवे घर में विराजमान हो तब भी इस रोग का खतरा है, कुछ मामलो में अगर चठुढ़ भाव में वृश्चिक राशी में शनि – शुक्र की युति भी मधुमेह के रोग का एक बड़ा कारण बन सकती है.


अगर आप औषधि का सेवन कर रहे है या हवन करने का विचार कर रहे है तो उसके लिए शुभ नक्षत्र का इंतजार करे.


अगर आप औषधियों का सेवन आरम्भ कर रहे है तो उनके किये अश्वनी, पुण्य, हस्त, और अभिजित नक्षत्रो का चयन करे और उन्ही नक्षत्रो में सेवन आरम्भ करे.


अगर आपके गोचरीय ग्रहों में आपको अशुभता दिखाई दे रही है तो आप पहले उन्हें औषधीय स्नान करके शुभ कर ले.


अगर आपके ग्रह दूषित है तो आप हवन करा सकते है, सूर्य की शांति के लिए आपको समिधा, आक या मंदार की डालियों का सेवन करना चाहिए, चंद्रमा की शांति के लिए आप पलाश, मंगल की शांति के लिए खरीद या खैर, बुध की शांति के लिए अपामार्ग या चिचिढा, गुरु की शांति के लिए पीपल, शुक्र की शांति के लिए उदुम्बर या गुलर, शनि की शांति के लिए खेजड़ी या शमी, रहू के लिए दूर्वा और अंत में केतु की शांति के लिए आप कुशा की समिधा, सरल, सनिग्ध डाली को हवन की प्रक्रिया ले लिए इस्तेमाल करनी चाहिए, इसके साथ साथ ग्रहों के मंत्रो के साथ ही हमे यज्ञाआहुति देनी चाहिए. तभी आपको आपके द्वारा कराए गये हवन का पूरा लाभ मिल सकेगा और आपको मधुमेह के रोग से बचने में आपकी सहायता कर सकेगा.

उपर लिखित मधुमेह के रोग के होने के कारण और उनसे बचने या मुक्ति पाने के उपायों को पढ़ कर आप अपने आप को मधुमेह जैसी भयंकर बीमारी से बचा सकते है और एक रोगमुक्त जीवन जी सकते है.

ज्योतिष के माध्यम से आप कुछ उपाय करके उन प्रवृत्तियों को समाप्त कर सकते हैं, जो आपको रोग दे रहे हैं। उदाहरण के तौर पर यदि किसी लड़की या स्त्री को पैर बाहर की ओर करके चलने की आदत है तो उसके पैरों में तकलीफ हो सकती है क्योंकि यह संकेत है कमजोर मंगल और शुक्र का।


अब एक और उदाहरण, यदि किसी व्यक्ति को हर समय धन की चिंता रहती है, उसका शनि व बुध चंद्रमा को प्रभावित कर रहे हैं या कुंडली के सप्तम भाव को प्रभावित कर रहे हैं तो ऐसे लोगों को रीढ़ की हड्डी के बीच के भाग से थोड़ा नीचे या तो दर्द होगा या फिर सहजता नहीं रहेगी। इन सारी प्रवृत्तियों का आप अपने शरीर में उत्पन्न लक्षणों से पहचान सकते हैं। फिर उसके उपाय करके आने वाले रोगों से मुक्ति पा सकते हैं।

अब सवाल यह उठता है कि क्या ज्योतिष वहां भी कारगर साबित हो सकता है जहां आदमी पहले से बीमारी का शिकार है। इसका उत्तर है-हां।

ज्योतिष वहां भी सफल है। आपने कई बार देखा होगा कि बीमारी हो गई और आप कुशल चिकित्सक व उत्कृष्ट दवाओं का उपयोग कर रहे हैं लेकिन कोई फायदा नहीं हो रहा है।

दूसरी बात, कई बार ऐसा भी होता है कि मर्ज बढ़ता ही गया, ज्यों ज्यों दवा की। क्योंकि मर्ज कुछ और है और दवा कुछ और। यकीन कीजिए आप कुण्डली से अपनी उस मूल प्रवृति को जान सकते हैं जिसके कारण रोग हो रहा है। फिर दवा के साथ-साथ उस ग्रह का भी उपाय कर लें तो बहुत जल्द फायदा होगा।

उदाहरण के तौर पर अगर किसी व्यक्ति को यह शिकायत है कि उसे नींद नहीं आती। उसने दवाई ली, जिसके असर से वह सो गया। कुछ दिन तो वह ठीक से सोया, फिर नींद उडऩे लगी। अब दवाई की मात्रा या फिर पावर बढ़ा दी तो फिर कुछ दिन नींद ठीक आई, पर उसके बाद फिर नींद उडऩे लगी।

हमने उसका हाथ देखा तो पाया कि उसकी तर्जनी का निचला हिस्सा बहुत मोटा है, चंद्र पर्वत अंदर दबा हुआ है और ऊपरी मंगल उठा हुआ है। ईश्वर को याद करके उसे सलाह दी कि अनुलोम विलोम प्राणायाम करो। उन्होंने किया, उन्हें नींद ठीक आने लगी और धीरे-धीरे दवा भी छूट गई।

नींद न आने का कारण यह था कि मंगल और बृहस्पति के खराब होने के कारण पेट के अंदर गैस बनती थी और सीधे मस्तिष्क यानी चंद्रमा पर असर करती थी जिससे नींद नहीं आती थी।

अनुलोम-विलोम प्राणायाम एक ऐसा उपाय है जिससे चंद्र-सूर्य का उत्तम संतुलन शरीर में स्थापित हो जाता है। मन और शरीर को आराम मिलता है और नींद आने लगती है।


भारत के महान चिकित्सक चरक ने मधुमेह के बारे में लगभग 2500 साल पहले चरक संहिता में लिख दिया था जबकि पश्चिमी चिकित्साशास्त्र जिसे आज हम बहुत उन्नत मानते हैं, को यह रोग लगभग 17वीं शताब्दी में पता लगा था। इस बीमारी में पैंक्रियाज ग्रंथि यानि स्वाद पिण्ड की स्वाद ग्रंथि सही काम नहीं करती जिससे इंसुलिन का स्राव कम होता है और शरीर का शुगर बढ़ जाता है।

शुगर सीधे आपको नुकसान नहीं पहुंचाएगी पर आपके शरीर में रोगों की प्रवृति बढ़ा देती है। या यूं भी कह सकते हैं कि हमारा इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है जिससे हम बीमारियों से नहीं लड़ पाते। जैसे किसी के दांत कमजोर हैं तो वह जल्दी गिर जाएंगे, किसी की आंखें कमजोर हैं तो अंधापन जल्दी बढ़ेगा, शरीर में कोई जख्म हो गया तो वह आसानी से नहीं भरेगा।

मधुमेह दो तरह का होता है। पहले प्रकार का मधुमेह केवल इंसुलिन के इंजेक्शन से ही काबू में रहता है। मधुमेह का यह प्रकार दवाओं से भी अभी तक पूरी तरह ठीक नहीं हो पाया है। दूसरा मधुमेह का प्रकार वह होता है, जो अगर समय रहते पता लग लाए तो पूरी तरह ठीक हो जाता है।


अब हम कैसे पहचानें कि हमें शुगर की बीमारी हो सकती है या नहीं??

मधुमेह खराब बृहस्पति, शुक्र, चंद्र और मंगल कमजोर होने की वजह से होता है। वृष, मिथुन, कन्या, तुला और वृश्चिक लग्न के जातक आसानी से इस रोग की पकड़ में आ जाते हैं। इसलिए इस लग्न के लोगों को अपना अधिक ध्यान रखना चाहिए। सबसे पहले जानते हैं मधुमेह में बृहस्पति ग्रह की भूमिका।


जानिए मधुमेह में बृहस्पति की भूमिका---
यदि बृहस्पति कमजोर होगा या कोई खराब ग्रह उस ग्रह से या उसकी दृष्टि से प्रभावित होगा या वक्री होगा तो वह लीवर खराब करेगा और लीवर में जो बाइल जूस होता है, उसके स्राव में रुकावट करेगा जिसके कारण इंसुलिन का कार्य बाधित होगा।

लक्षण : जिनका बृहस्पति खराब होगा उन्हें एसिडिटी बहुत होगी। वह खाने के भी बहुत शौकीन होंगे, विशेषकर चटपटे खाने के या फास्ट फूड के या कोल्ड ड्रिंक्स के। उनका पेट शरीर के मुकाबले भारी होगा और उनके व्यवहार में निरंकुशता होगी लेकिन बहुत सजग होगी। ऐसे लोग पैर पटककर चलते हैं और जब चलते हैं तो पड़ोसी भी समझ जाते हैं कि भाई साहब टहल रहें हैं।

मधुमेह में शुक्र की भूमिका --
जिनका शुक्र खराब होगा या अधिक ताकतवर होगा उनका भी शुगर बढ़ेगा क्योंकि खराब शुक्र इंसुलिन का स्त्राव बाधित करता है।

लक्षण : जिन लोगों का शुक्र खराब होगा उनकी यूरिन संबंधी आदतें सही नहीं होगी। जैसे यूरिन कई बार आना या बहुत ही कम आना या यूरिन के दबाव को संभाल नहीं पाना। बहुत सारे बच्चों को काफी उम्र तक बिस्तर गीला करने की आदत होती है। इन बच्चों के मां-बाप को सावधान रहना चाहिए। जिनका शुक्र अच्छा नहीं होता उन्हें दूध या छेने की मिठाई पसंद होती है। ऐसे लोगों की आवाज मधुर और आंखे खास होती हैं।

खराब शुक्र कफ बढ़ाता है और शरीर में मोटापा देता है। आवाज में नाक का भी इस्तेमाल ऐसे लोग अधिक करते हैं। शुक्र लोगों को आर्टिस्ट बनाता है, शुक्र प्रभावी जातक अच्छे कलाकार होते हैं लेकिन मधुमेह से वह बच नहीं पाते। ऐसे लोग अच्छे कलाकार तो होते हैं, पर कला को छोड़ देते हैं उसकी साधना नहीं करते। खास बात यह है कि शुक्र प्रेम का ग्रह है तो ऐसे लोग रोमांटिक बहुत होते हैं। यानि ज्यादा रोमंटिक लोगों को भी शुगर से सावधान रहना चाहिए।

मधुमेह में मंगल की भूमिका --

पण्डित दयानन्द शास्त्री ने बताया कि यदि किसी का भी मंगल कमजोर होगा तो उसे रक्तजनित बीमारियां तो घेरेगी हीं, उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कमजोर होगी। डायबिटीज हमारे इम्यून सिस्टम पर हमला करती है, इसलिए यदि आपका मंगल कमजोर है तो आप इस हमले को झेल नहीं पाएंगे। डायबिटीज ही क्यों एक छोटा सा वायरस भी आपको बार-बार बुखार दे सकता है, थोड़ा सा भी दूषित भोजन खाया कि बीमार। इसलिए मंगल का मजूबत होना जरुरी है।

लक्षण : जिन लोगों का मंगल बहुत कमजोर होगा, उन्हें डर लगेगा। बिना किसी के सहयोग के, जीवन की चुनौतियों का सामना नहीं कर पाएंगे। कल्पनाओं को साकार करने में झिझकेंगे और गुस्से को व्यक्त करने के बजाय भीतर ही जज्ब करते रहेंगे। ऐसे लोगों को अवसाद भी होगा। आंखों में तेज नहीं होगा, 24 वें साल से बाल झडऩे लगेंगे। कमजोर मंगल के कारण विवाह में देरी होगी, वैवाहिक जीवन में तनाव होगा, संतान होने में भी कष्ट होता है। साथ ही संतान भी कमजोर होती है। इसलिए मंगल के उपाय जरूर करने चाहिए।

मधुमेह में चंद्र की भूमिका ---

चंद्रमा का विशेष उल्लेख करना इसलिए जरुरी है कि टाइप टू डाइबिटीज केवल जेनेटिक ही नहीं होती बल्कि आपके भोजन जीवनचर्या माहौल के साथ-साथ आपकी मानसिक स्थिति के कारण भी उत्पन्न होता है। आजकल हमारी जो दिनचर्या है और उसमें जो चिंताएं हमारे मन को प्रभावित करती हैं वह भी पैनक्रियाज के फंक्शन को बहुत प्रभावित करती है। चूंकि चंद्रमा मानसो जात:। अत: यदि चंद्रमा कमजोर होगा तो व्यक्ति मानसिक परेशानियों से हार जाएगा, उसे अवसाद घेर लेगा और उसका शुगर लेवल गढ़ जाएगा।

लक्षण : कमजोर चंद्रमा के लोग या जिसका चंद्रमा खराब युति से प्रभावित होता है, ऐसे लोग तनाव बहुत लेते हैं, कल्पनाएं बहुत करते हैं, इन्हें बहुत जल्दी अवसाद घेरता है, बहुत ही भावुक होते हैं, जरा-जरा सी बात पर रोते हैं, रिश्तों से बहुत अपेक्षाएं करते हैं, जरा-सी बात पर रूठ जाते हैं, खाना नहीं खाते, प्यास बहुत लगती है पर पानी कम पीते हैं।

जानिए मधुमेह/शुगर/डायबिटीज निवारण के उपाय--

ज्योतिष उपायों के अनुसार मधुमेह के रोग से मुक्त होने के लिए आप सोलह शुक्रवार तक पूर्ण मन से किसी मंदिर या जरूरतमंद व्यक्ति को सफ़ेद चावल का दान करे. इसके अलावा आप ओम “ शुं शुक्राय नमः ” मंत्र की एक माला का जाप करे.

पण्डित दयानन्द शास्त्री ने बताया कि जो जातक मधुमेह से पीड़ित है उन्हें ब्रहस्पति और चंद्रमा की वस्तुओ का भी दान करना चाहिए। ऐसे जातक शाम के समय या फिर रात्रि में “ महामृत्युंजय मंत्र “ का भी जाप अवश्य करे. साथ ही आप पुष्प नक्षत्र में जामुनो को इक्कठा करे और फिर उनका सेवन करे।

योग की जननमुद्रा में 30 मिनट रोजाना बैठने से मधुमेह रोग में लाभ मिलता है।

इन सबके अतिरिक्त कम से कम 2 से 3 किलोमीटर रोजाना पैदल चलने की दिनचर्या अवश्य बनानी चाहिये।

ऐसा देखा गया है कि गुरु के कारण हुये रोगों से मुक्ति की संभावना अधिक होती है।

सूर्य व मंगल के कारण हुये रोग आंशिक रुप से दूर होते हैं। लेकिन शनि के कारण हुये रोगों का कोई इलाज नहीं होता।

ज्योतिष ग्रंथों में कहा गया है कि मधुमेह से पीड़ित जातक को सदा गणेश जी की उपासना करनी चाहिये व उन्हें चढ़ाया गया भोग प्रसाद के रुप में ग्रहण करना चाहिये। उन्हें कैथ व जामुन का फल भोग के रुप में चढ़ाना चाहिए व स्वयं भी प्रसाद के रुप में ग्रहण करना चाहिये। इससे मधुमेह रोग में अवश्य आराम मिलता है। रात के समय दो चम्मच मेथी दाना एक गिलास पानी में डालकर रख दें। सुबह शौच जाने से पूर्व यह पानी पी लें और मेथी दाने भी चबा लें। इसके साथ ही बिना छीली लौकी को उबालने के पश्चात उसका आधा गिलास रस निकाल कर एक चुटकी पिसी काली मिर्च, एक चुटकी सौंठ, तुलसी, पुदीना और आधा गिलास पानी में मिलाकर भोजन के आधा घंटे बाद रोजाना एक बार पीते रहें। मधुमेह रोग ठीक होने लगेगा।

आप करेले के पाउडर को प्रतिदिन सुबह दूध के साथ मिला कर उसका सेवन करे ऐसा करने से भी आपको मधुमेह के रोग से मुक्ति में लाभ मिलेगा.

जो उपाय यहां बताये जा रहे हैं उसे वह लोग आजमा सकते हैं जिन्हें यह बीमारी हो गई है जिनमें डायबिटीज के लक्षण हैं या जिनके परिवार में डायबिटीज के मरीज हैं-

1. रुद्राक्ष की माला पहनें
2. करेला खाए
3. बेचैनी कम करें
4. मोटापे पर भी काबू करें
5. आंवले का प्रयोग करें
6. दो चुटकी हल्दी शहद के साथ चाटें या एक कप पानी के साथ निहार मुंह पिएं
7. मण्डूक आसन, योगमुद्रासन व अद्र्धमत्स्येन्द्रासन करें।
8. सादा भोजन करें, दिन में कई बार थोड़ा-थोड़ा भोजन करें।
9. अनुलोम विलोम कर सकते हैं
10. रात को मीठा न लें
11. सोने से पहले नींबू से फाड़कर दूध पिएं
12. तांबे का छल्ला या कड़ा जरुर पहनें।

पंडित दयानंद शास्त्री

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