सीतापुर में कानून हुुुआ तार -तार और इसकी गरिमा भी

सीतापुर में कानून हुुुआ तार -तार और इसकी गरिमा भी

वकीलों ने कोर्ट का भी नही किया सम्मान

संपादकीय डेस्क(राजीव) -सीतापुर में पुलिस और वकीलों में जिस तरह से विवाद हुआ और मामला मारपीट तक पहुच गया उसको देखते हुए यह बात साफ है कि कानून का इकबाल कायम कैसे हो और कौन करेगा ।
सोशल मीडिया में जिस तरह से वीडियो वायरल हो रहा है उसको देखते हुए यह साफ है कि पुलिस कप्तान जिला जज से मिलने गए हुए थे और उनके दरोगा के साथ वकीलों ने जमकर मारपीट की यही नही यह तब हुआ जब जिला जज अंदर मौजूद थे ।
वकीलों का गुस्सा यहीं नही शांत हुआ वकीलों के हुजूम ने पुलिस कप्तान से भी छीनाझपटी किया वह भी जिला जज की मौजूदगी में ।
अब सवाल यह उठता है कि जिस निर्माण को गिराए जाने के बाद वकील उग्र हुए क्या वह निर्माण अवैध नही था ।
क्या वहां जैसा कि पुलिस का दावा है बार और कैसिनों चलता था ।
यह भी बताया जा रहा है कि सीतापुर क्लब के नाम से यह अवैध निर्माण था और इस क्लब के पदाधिकारी वकील हैं ।
अगर यह पदाधिकारी वकील है और वहां अवैध निर्माण था तब तो और भी गलत था क्योंकि आम आदमी हो तो फिर भी क्षम्य है लेकिन वकीलों को तो कानून का जानकार माना जाता है ।
वकीलों ने जिस तरीके से जज के सामने एक अधिकारी से बदतमीजी की वह और भी शर्मनाक है ।
जज से वकील अपनी बात रख सकते थे लेकिन उन्होंने अपनी मर्यादा को लांघा जो किसी भी दशा में उचित नही कहा जा सकता है ।
अगर पुलिस अधिकारियों ने कुछ भी गलत किया था कानून के जानकारों को तो कम से कम कानून के दायरे में रहना चाहिए।
अब पुलिस कप्तान ने जो बयान जारी किया है और तेवर दिखाए हैं उससे भी साफ है कि इस मामले मे बड़ी कार्रवाई होगी क्योंकि सवाल कानून के राज का भी है और कोई भी अधिकारी होता तो उसे यह करना पड़ता और करना भी चाहिए।
दूसरी तरफ वकीलों को भी अपनी स्थिति साफ करनी पड़ेगी क्योंकि मामला अवैध कब्जा और बार ,कैसीनो जैसे अवैध संचालनों की है जिसे सभ्य समाज कम से कम अच्छा तो नही कहा जा सकता है ।
लेकिन इन सबके बीच फंसा है कानून की गरिमा जो कैसे बचेगा यह तो अभी समय बताएगा ।

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