अबुल कलाम आजाद: देश के पहले शिक्षा मंत्री, जिनका जन्मदिन शिक्षा दिवस के रूप में मनाया जाता है

अबुल कलाम आजाद: देश के पहले शिक्षा मंत्री, जिनका जन्मदिन शिक्षा दिवस के रूप में मनाया जाता है

अबुल कलाम आजाद ने देश में IIT, IIM और UGC जैसे संस्थान की नींव रखी|

डेस्क-आज यानी 11 नवंबर को देश में National Education Day के तौर पर मनाया जाता है।भारत के पहले शिक्षा मंत्री बनने पर उन्होंने नि:शुल्क शिक्षा, भारतीय शिक्षा पद्धति, उच्च शिक्षा संस्थानों की स्थापना का कार्य किया|मौलाना अबुल कलाम आजाद ने देश को IIT, IIM और UGC जैसे संस्थान दिए|

यह देश की उस बड़ी हस्ती को सम्मान है जिसने आजादी की लड़ाई में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और हिंदू-मुस्लिम एकता की नींव रखी।

विशेष बातें

  • मौलाना अबुल कलाम आजाद स्वतंत्रता सेनानी और देश के पहले शिक्षा मंत्री थे|
  • उन्होंने देश में यूजीसी, आईआईएम, और आईआईटी जैसे संस्थान की नींव रखी|
  • उनका जन्म मक्का में हुआ लेकिन परिवार कलकत्ता शिफ्ट हो गया था|
  • उन्होंने धर्म के आधार पर पाकिस्तान के गठन का खुलकर विरोध किया

जन्म
मौलाना आजाद का जन्म 11 नवंबर, 1888 को मक्का, सऊदी अरब में हुआ था। उनका असल नाम अबुल कलाम गुलाम मोहिउद्दीन अहमद था लेकिन वह मौलाना आजाद के नाम से मशहूर हुए। मौलाना आजाद स्वतंत्रता संग्राम के अहम लीडरों में से एक थे। वह लीडर के साथ-साथ पत्रकार और लेखक भी थे। उनके पिता का नाम मौलाना सैयद मोहम्मद खैरुद्दीन बिन अहमद अलहुसैनी था। उनके पिता एक विद्वान थे जिन्होंने 12 किताबें लिखी थीं और उनके सैकड़ों शागिर्द (शिष्य) थे। कहा जाता है कि वे इमाम हुसैन के वंश से थे। उनकी मां का नाम शेख आलिया बिंते मोहम्मद था जो शेख मोहम्मद बिन जहर अलवत्र की बेटी थीं। साल 1890 में उनका परिवार मक्का से कलकत्ता शिफ्ट हो गया था। 13 साल की उम्र में उनकी शादी खदीजा बेगम से हो गई।

शिक्षा के क्षेत्र में उनके विशिष्ट कार्य

  • उन्होंने शिक्षा और संस्कृति को विकसित करने के लिए उत्कृष्ट संस्थानों की स्थापना की
  • उन्होंने संगीत नाटक अकादमी (1953)
  • साहित्य अकादमी (1954)
  • ललित कला अकादमी (1954) की स्थापना की

आइए जानते हैं आज अबुल कलाम आजाद के सालगिरह पर उनके बारे में कुछ खास बातें

शिक्षा


आजाद ने अपने परिवार की संस्कृति के मुताबिक पांपरिक इस्लामी शिक्षा हासिल की। पहले उनको घर पर पढ़ाया गया और बाद में उनके पिता ने पढ़ाया। फिर उनके लिए शिक्षक रखे गए। आजाद का संबंध एक धार्मिक परिवार से था इसलिए शुरुआत में उन्होंने इस्लामी विषयों का ही अध्ययन किया। उन्होंने कई भाषाओं जैसे उर्दू, हिंदी, फारसी, बंगाली, अरबी और इंग्लिश पर अपनी मजबूत पकड़ बनाई। उन्होंने पश्चिमी दर्शनशास्त्र, इतिहास और समकालीन राजनीतिक का भी अध्य्यन किया। उन्होंने अफगानिस्तान, इराक, मिस्र, सीरिया और तुर्की जैसे देशों का सफर किया। पढ़ाई के दिनों में वह काफी प्रतिभाशाली और मजबूत इरादे वाले छात्र थे। अपने छात्र जीवन में ही उन्होंने अपना पुस्तकालय चलाना शुरू कर दिया, एक डिबेटिंग सोसायटी खोला और अपनी उम्र से दोगुने उम्र के छात्रों को पढ़ाया। 16 साल की उम्र में उन्होंने सभी परंपरागत विषयों का अध्ययन पूरा कर लिया था।

राष्ट्रवादी क्रांतिकारी बनने की वजह


अफगानिस्तान, इराक, मिस्र, सीरिया और तुर्की की यात्रा में उन्होंने वहां के उन क्रांतिकारियों से भेंट की जो अपने देश में एक संवैधानिक सरकार के गठन के लिए लड़ रहे थे और इस वजह से उनको देश से निकाल दिया गया था। इन क्रांतिकारियों से उनको देश की असल स्थिति के बारे में पता चला और वे राष्ट्रवादी क्रांतिकारी बनने के लिए प्रेरित हुए।

पाकिस्तान बनने के खिलाफ


अरब की यात्रा से आने के बाद कलाम की देश के प्रमुख हिंदू क्रांतिकारियों जैसे श्री औरबिंदो घोष और श्याम सुंदर चक्रवर्ती से मुलाकात हुई। इसके बाद उन्होंने भारत के राष्ट्रीय आंदोलन में हिस्सा लेना शुरू कर दिया। कलाम की यह कोशिश उन मुस्लिम राजनीतिज्ञों को पसंद नहीं आई जिनका झुकाव सांप्रदायिक मुद्दों की तरफ था। वे लोग कलाम की आलोचना करने लगे। इसके अलावा ऑल इंडिया मुस्लिम लीग के दो राष्ट्रों के सिद्धांत को भी उन्होंने खारिज कर दिया था। यानी वह उन पहले मुस्लिमों में शामिल थे जिन्होंने धर्म के आधार पर एक अलग देश पाकिस्तान के निर्माण के प्रस्ताव को खारिज किया था। उन्होंने उन मुस्लिम राजनीतिज्ञों को राष्ट्र हित की क्रांतिकारी गतिविधियों में हिस्सा लेने की अपील की।

हिन्दू-मुस्लिम एकता के प्रबल समर्थक

  • मौलाना अबुल कलाम आजाद सच्चे राष्ट्रभक्त, एक कुशल वक्ता तथा महान् विद्वान् थे। पुराने एवं नये विचारों में अद्‌भुत सामंजस्य रखने वाले हिन्दू-मुस्लिम एकता के प्रबल समर्थक थे।
  • देश सेवा और इस्लाम सेवा दोनों को एक-दूसरे का पूरक मानते थे।
  • हिन्दू और मुस्लिम दोनों ही संस्कृतियों के अनूठे सम्मिश्रण की वे एक मिसाल थे|
  • मौलाना अबुल कलाम आजाद देश की सेवा करते हुए 22 फरवरी, 1958 को दुनिया को अलविदा कह गए. 1992 में उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया.
  • देश में शिक्षा के क्षेत्र में उनके द्वारा किए गए उत्कृष्ट कार्यों के सम्मान स्वरुप उनके जन्म दिवस, 11 नवम्बर को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस घोषित किया गया है.
  • उनके सम्मान में पूरे देश में अनेकों शिक्षा संस्थानों और संगठनों का नामकरण उनके नाम पर किया गया है|

महात्मा गांधी के समर्थक

  • जब खिलाफत आंदोलन छेड़ा गया तो उसके प्रमुख लीडरों में से एक आजाद भी थे।
  • खिलाफत आंदोलन के दौरान उनका महात्मा गांधी से सम्पर्क हुआ।
  • उन्होंने अहिंसक नागरिक अवज्ञा आंदोलन में गांधीजी का खुलकर समर्थन किया और 1919 के रॉलट ऐक्ट के खिलाफ असहयोग आंदोलन के आयोजन में भी अहम भूमिका निभाई।
  • महात्मा गांधी उनको 'ज्ञान सम्राट' कहा करते थे।

स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री

  • पंडित जवाहरलाल नेहरू की कैबिनेट में 1947 से 1958 तक मौलाना अबुल कलाम आजाद शिक्षा मंत्री रहे।
  • 22 फरवरी, 1958 को हृदय आघात से उनका निधन हो गया। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया।
  • उन्होंने IIT , IIM और UGC (यूनिवर्सिटी ग्रांट कमिशन) जैसे संस्थानों की स्थापना में अहम भूमिका निभाई।
  • उनके योगदानों को देखते हुए 1992 में उनको भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • उनके जन्मदिन को भारत में National Education Day के तौर पर मनाया जाता है।

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