निमोनिया बुखार से बचने के लिए बस करे ये उपाय

निमोनिया बुखार से बचने के लिए बस करे ये उपाय

निमोनिया बुखार सबसे अधिक फेफड़ों को प्रभावित करता

हेल्थ डेस्क-निमोनिया बुखार बहुत खतरनाक होता है। यह खांसी तथा तेज़ बुखार के साथ आता है। निमोनिया में एक या दोनों फेफड़े रोगग्रस्त हो जाते हैं। निमोनिया का रोग जानलेवा भी हो सकता है इसकी जानकारी तथा इलाज जल्द से जल्द होना चाहिए।

निमोनिया बुखार सबसे अधिक फेफड़ों को प्रभावित करता है इस रोग में फेफड़ों में इन्फेक्शन हो जाता है। निमोनिया बुखार होने पर रोगी को साँस लेने में कठिनाई महसूस होने लगती है। ऐसा इसलिए होता है कि उसके फेफड़ों में सूजन आ जाती है। चूंकि इस रोग में बुखार भी चढ़ता है, इसलिए शरीर का तापमान तो बढ़ेगा ही, साथ में खाँसी भी होने लगती है। निमोनिया रोग जीवाणु या वायरस के संक्रमण के कारण होता है। जब किसी व्यक्ति पर एक विशेष प्रकार के कीटाणु हमला करें और वह व्यक्ति उसका मुकाबला करने में सक्षम न हो या उसकी प्रतिरोधक शक्ति कम हो तो वह निमोनिया की बीमारी से जल्दी पीड़ित हो जाता है।

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निमोनिया बुखार में सावधानियां

  1. निमोनिया बुखार पीड़ित मरीज की छाती में दर्द हो तो उसे दूर करने के लिए गर्म पानी की बोतल का सेंक और दर्द-निवारक दवा लेना आराम दिलाता है।
  2. खाँसी से छाती में तकलीफ महसूस हो सकती है। पर उसे दबाने की कोशिश करना गलत है। जितना बलगम निकल सके, उतना ही अच्छा है। जिस समय
  3. खाँसी उठे, उस समय मरीज की देखभाल कर रहा व्यक्ति यदि हाथ से उसकी छाती को सहलाकर सहारा दे सके तो इससे मरीज को राहत पहुँचती है तथा दर्द कम होता है।
  4. निमोनिया बुखार के ज्यादातर मामलों में सात से दस दिनों में स्थिति बिलकुल संभल जाती है और रोगी पहले से काफी स्वस्थ अनुभव करने लगता है।
  5. जिन मामलों में निमोनिया दूसरे किसी रोग की आड़ में होता है, उनमें उस रोग का सही इलाज होना भी बहुत जरूरी होता है।
  6. छींकते, खाँसते और यहाँ तक कि बात करते हुए भी मरीज के लार के छींटों से भी ये जीवाणु फैल सकते हैं। संक्रमित व्यक्ति जो किताबें, मेज, कप,
  7. गिलास आदि छूता है वे भी संक्रमित हो जाते हैं। इसलिए संक्रमित मरीज के सम्पर्क में आने के बाद या उसके सम्पर्क में आई वस्तुओं को छू लेने के बाद तुरन्त साबुन से हाथ धो लेने चाहिए।
  8. खांसी अगर एक हफ्ते से ज्यादा वक्त से है तो डॉक्टर को दिखाएं। इसी तरह, अगर खसरा या चेचक (चिकन पॉक्स) निकलने के बाद खांसी होती है तो भी हल्के में न लें।
  9. छोटे बच्चों का खास ख्याल रखें। उन्हें सर्दी से बचाएं और धूप में जरूर रखें।
  10. ज्यादा पलूशन वाली जगहों पर जितना मुमकिन हो, न जाएं। जाना ही हो तो बेहतर क्वॉलिटी का मास्क पहनकर जाएं।

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