Gopashtami 2018 की ये कथा रात को सोने से पहले घर मे सबको सुनायें

Gopashtami 2018 की ये कथा रात को सोने से पहले घर मे सबको सुनायें

डेस्क-Gopashtami 2018 भगवान ने जब छठे वर्ष की आयु में प्रवेश किया तब एक दिन भगवान माता यशोदा से बोले- मैय्या अब हम बड़े हो गए हैं.मैय्या यशोदा बोली- अच्छा लल्ला अब तुम बड़े हो गए हो तो बताओ अब क्या करे |

भगवान ने कहा अब हम बछड़े चराने नहीं जाएंगे, अब हम गाय चराएंगे मैय्या ने कहा- ठीक है बाबा से पूछ लेना। मैय्या के इतना कहते ही झट से भगवान नंद बाबा से पूछने पहुंच गए. बाबा ने कहा- लाला अभी तुम बहुत छोटे हो अभी तुम बछड़े ही चराओ |

भगवान ने कहा- बाबा अब मैं बछड़े नहीं गाय ही चराऊंगा जब भगवान नहीं माने तब बाबा बोले- ठीक है लाल तुम गर्ग ऋर्षि जी को बुला लाओ- वह गौ चारण का मुहूर्त देख कर बता देंगे.Gopashtami 2018 बाबा की बात सुनकर भगवान झट से गर्ग ऋर्षि जी के पास पहुंचे और बोले- गर्ग ऋर्षि जी, आपको बाबा ने बुलाया है, गौ चारण का मुहूर्त देखना है, आप आज ही का मुहूर्त बता देना मैं आपको बहुत सारा माखन दूंगा |

गर्ग ऋर्षि जी बोले
Gopashtami 2018 गर्ग ऋर्षि जी नंद बाबा के पास पहुंचे और बार-बार पंचांग देख कर गणना करने लगे तब नंद बाबा ने पूछा, गर्ग ऋर्षि जी के बात है आप बार-बार क्या गिन रहे हैं? गर्ग ऋर्षि जी बोले, क्या बताएं नंदबाबा जी केवल आज का ही मुहूर्त निकल रहा है, इसके बाद तो एक वर्ष तक कोई मुहूर्त नहीं है... गर्ग ऋर्षि जी की बात सुन कर नंदबाबा ने भगवान को गौ चारण की स्वीकृति दे दी।

भगवान जो समय कोई कार्य करें वही शुभ-मुहूर्त बन जाता है। उसी दिन भगवान ने गौ चारण आरंभ किया और वह शुभ तिथि थी कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष अष्टमी, भगवान के गौ-चारण आरंभ करने के कारण यह तिथि गोपाष्टमी कहलाई।

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  • माता यशोदा ने अपने लल्ला के श्रृंगार किया और जैसे ही पैरों में जूतियां पहनाने लगी तो लल्ला ने मना कर दिया|
  • बोले मैय्या यदि मेरी गौएं जूतियां नहीं पहनती तो मैं कैसे पहन सकता हूं।
  • यदि पहना सकती हो तो उन सभी को भी जूतियां पहना दो... और भगवान जब तक वृंदावन में रहे |
  • भगवान ने कभी पैरों में जूतियां नहीं पहनी। आगे-आगे गाय और उनके पीछे बांसुरी बजाते भगवान उनके पीछे बलराम और श्री कृष्ण के यश का गान
  • करते हुए ग्वाल-गोपाल इस प्रकार से विहार करते हुए |
  • भगवान ने उस वन में प्रवेश किया तब से भगवान की गौ-चारण लीला का आरंभ हुआ।
  • जब भगवान गौएं चराते हुए वृंदावन जाते तब उनके चरणों से वृंदावन की भूमि अत्यंत पावन हो जाती |
  • वह वन गौओं के लिए हरी-भरी घास से युक्त एवं रंग-बिरंगे पुष्पों की खान बन गया था।

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