Rajasthan Assembly Election 2018 वसुंधरा राजे के लिए मुश्किल खड़ी कर सकते हैं उनके ग्रह गोचर

Rajasthan Assembly Election 2018 वसुंधरा राजे के लिए मुश्किल खड़ी कर सकते हैं उनके ग्रह गोचर

जन्म नक्षत्र में गोचर कर रहे गुरु बढ़ाएंगे वर्तमान मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की मुश्किलें

Rajasthan Assembly Election 2018 ज्योतिष ग्रंथों के अनुसार, जन्म नक्षत्र में गुरु यानि बृहस्पति ग्रह का गोचर जातक को मानसिक कष्ट के साथ-साथ बड़े बदलावों से होकर गुजरने पर विवश करता है।
ज्योतिष ग्रंथों के अनुसार, जब भगवान राम के जन्म नक्षत्र में गोचर के गुरु चल रहे थे तब सीता का हरण रावण के द्वारा किया गया था और राम, सीता की खोज में वन-वन भटकने को विवश हो गए थे।
द्वापर युग में दुर्योधन के जन्म नक्षत्र पर जब गुरु का गोचर में भ्रमण हुआ तब वह अपने भाइयों सहित महाभारत के युद्ध में मारे गए।
ज्योतिष के ग्रंथों के अनुसार, जन्म राशि और नक्षत्र में गुरु का गोचर जातक को उन परिस्थतियों में अधिक कष्ट देता है जब कुंडली में दशा अशुभ हो तथा शनि का गोचर भी प्रतिकूल चल रहा हो ।
ठीक ऐसी ही स्थिति इस समय राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की जन्म-कुंडलियों में बन रही है क्योंकि उनका जन्म नक्षत्र अनुराधा है, जहां गोचर में गुरु अतिचारी होकर चल रहे हैं और दोनों की जन्म राशि वृश्चिक है, जो कि शनि की साढ़ेसाती के प्रभाव में है।

गुगल पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार 8 मार्च 1953 को शाम 4 बज कर 45 मिनट्स पर मुंबई में जन्मी वर्तमान मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की कुंडली कर्क लग्न और वृश्चिक राशि की है।
मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की जन्म कुंडली में नवमेश गुरु और दशमेश मंगल के स्थान परिवर्तन राजयोग ने उनको दो बार राजस्थान की मुख्यमंत्री बनवाया और जबरदस्त लोकप्रियता दी।
कुंडली के कर्म स्थान (दशम भाव) में बैठे गुरु और शुक्र के योग के कारण वसुंधरा राजे ने शिक्षा और महिला एवं बल कल्याण के क्षेत्र में राजस्थान में बेहद अच्छा काम किया।
किन्तु साल 2015 में शनि की साढ़ेसाती के कारण ललित मोदी कांड में नाम आने पर वसुंधरा राजे की लोकप्रियता में गिरावट आने लगी।
वर्तमान में चल रही राहु में गुरु की दशा छिद्र और जन्म-नक्षत्र पर गोचर के गुरु के प्रभाव के कारण उनको राजस्थान विधानसभा चुनावों में प्रतिकूल परिणाम मिलने के ज्योतिषीय संकेत दिख रहे हैं।


कुछ स्थानों पर राजस्थान की वर्तमान मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का जन्म 08 मार्च 1953 ई0 को मध्यान्ह 12 बजे मुम्बई में हुआ था। उपलब्ध जानकारी अनुसार वसुन्धरा राजे की जन्म कुण्डली के प्रथम भाव में वृषभ लग्न की है।

वृषभ राशि एक स्थिर राशि है, जिसके कारण आप में प्रबल शारीरिक व मानसिक सहनशक्ति एंव सहिष्णुता होगी।

आप स्वभाव से हठी एंव योजनाओं को पूर्ण करने की योग्यता रखेंगी।

क्या कहते हैं वसुंधरा राजे सिंधिया के सितारे?
Rajasthan Assembly Election 2018
वर्तमान मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया की कुण्डली में इस समय राहु की दशा में राहु का अन्तर और गुरू का प्रत्यन्तर चल रहा है। राहु आपके भाग्य में बैठकर पंचम दृष्टि से लग्न को देख रहा है, इसलिए आप चिन्ताग्रस्त रहेगी व नवम दृष्टि से जनता के संकेतक भाव पंचम को देख रहा है, जिस कारण आपकी जनता में लोकप्रियता कमी आयेगी। गुरू अष्टमेश होकर द्वादश भाव में बैठकर अशुभ फल देगा। अतः वसुंधरा राजे को दोबरा से मुख्यमंन्त्री बन पाना मुश्किल है।

शनि उच्च का है एंव वक्री भी है। शनि वंसुधरा राजे को एक बार फिर मुख्यमन्त्री की कुर्सी पर आसीन होने का सुनहरा अवसर देगा किन्तु बुध नीच का होकर अपनी सप्तम नजर पंचम भाव पर डाल रहा है, इसलिए बहुमत पाकर सरकार बना पाना मुश्किल है, क्योंकि राजस्थान में भाजपा को लगभग 80 से 85 सीटें पाने के संकेत नजर आ रहें है।

श्री अशोक गहलोत (पूर्व मुख्य मंत्री-राजस्थान)
(नोट:-जन्म की तारीख गूगल सर्च से जैसी प्राप्त हुई है.उसी के अनुसार कुंडली का निर्माण किया है। मेरा उद्दयेश्य सिर्फ़ इतना ही है कि सफल लोगो की कुंडली के शुभ योगों की चर्चा करना है)

जन्म तारीख- 03.05.1951
समय 09.30 बजे सुबह
स्थान-जोधपुर
वार-गुरुवार
जन्म लग्न-मिथुन
जन्म राशी-मीन
जन्म नक्षत्र-उत्तराभाद्रपद

शुभ योग --

(1)गुरु और चन्द्रमा 10 वे भाव मे युति=गज केशरी योग-अदभुत योग है,जातक यशस्वी,धनवान,सरकार का मुखिया,समाज द्वारा पूजित होगा।

(2)लग्नेश बुध11 वे भाव मे सूर्य के साथ है,यह बुधादित्य योग का निर्माण कर रहा है।जातक की वाणी प्रभावशाली होगी ओर कई विद्याओ का जानकर होगा।

(3)गुरु केंद्र(10वे भाव मे) में है। यह बहुत शुभ योग है।शास्त्र बताते है कि केंद्र में गुरु कुंडली के 1000 दोष दूर करता है।

(4)शुक्र 12 वे भाव मे स्वराशिस्थ-जातक घर से अधिक बाहर विकास करेगा ओर अतुलनीय सुख प्राप्त पड़ेगा।

(5)गुरु केंद्र में स्वयं की राशि मे-"हंस योग" का निर्माण कर रहा है। जातक विद्ववान ओर अवार्ड प्राप्त करने वाला होगा.

(6)राहु 9 वे भाव मे है- अपनी चतुरता से लोगो को प्रभावित करेगा।

(7)केतु 3 रे भाव(पराक्रम भाव) मे है अपने समस्त शत्रुओ का नाश करेगा।

महादशा:- 12.05.2016 से 12.11.2019 तक समय शानदार है।

वर्तमान में इसका प्रबल राजयोग बन रहा है । शनिदेव के प्रबल गजकेसरी योग से गुरु का केंद्र में होने से छठे स्थान पर राहु तीसरे स्थान पर केतु होना चाहिए,जो अद्भुत योग बनता है गुरु और चंद्रमा की युति से सरकार के मुखिया बनने का योग नवंबर 2019 तक है यह योग अशोक गहलोत का है। ये हम नही कह रहे यह कहना है उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पण्डित दयानन्द शास्त्री का, जिन्होंने वर्ष 1997 में भी गहलोत के मुख्यमंत्री बनने को लेकर भविष्यवाणी की थी और वह भविष्यवाणी भी सही साबित हुई थी।

श्री अशोक गहलोत का लग्न मिथुन, उत्तराभाद्रपद नक्षत्र, मीन राशि हैं।

वर्ष 1998 से 2019 तक अशोक गहलोत के राज योग प्रबल हैं राजनीति के हर क्षेत्र में माहिर तीसरा केतु होने से वाक चातुर्य से काम बनाने की क्षमता, शत्रुओं का नाश करने की कला, नवे राहु गुरु केंद्र में होने से सभी दोष भी माफ माने जाते हैं।

पण्डित दयानन्द शास्त्री ने बताया कि नवंबर 2019 तक समय श्रेष्ठ रहेगा इनका बुद्ध ग्यारहवें भाव में प्रभावशाली होकर प्रशासनिक पावर प्रदान कर्ता है कुल मिलाकर अशोक गहलोत के राज योग प्रबल हैं । उन्होंने बताया कि राहुल गांधी के राजयोग नहीं है गठबंधन सरकार अगर आती है तो सर्वमान्य प्रधानमंत्री उम्मीदवार अशोक गहलोत हो सकते हैं और उनकी जीत प्रबल होगी।

शनि देव की दशा गहलोत के लिए श्रेष्ठ राज योग कारक ---Rajasthan Assembly Election 2018
गहलोत की कुंडली प्रबल जीत के आसार बनाती है बृहस्पति की दशा शनि देव की दशा गहलोत के लिए श्रेष्ठ राज कारक है कुल मिलाकर नेतृत्व पर निर्भर है कि वह अपने तुरूप के पत्ते को इस्तेमाल करते हैं या नहीं बाकी अशोक गहलोत का भविष्य उज्जवल है। गुरु और चंद्रमा दसवें भाव में गजकेसरी योग अद्भुत योग सरकार का मुखिया बनने का योग बनता है लग्नेश बुध ग्यारहवें भाव में सूर्य के साथ बुधादित्य योग का निर्माण करता है।।

जातक की वाणी प्रभावशाली और कई विद्याओं का जानकार होता है गुरु केंद्र में दसवें भाव में शुभ योग है।। केंद्र में गुरु कुंडली के सभी दोष दूर करते हैं शुक्र बारहवें भाव में मीन राशि में स्थित है।।

खूब प्रसिद्धि प्राप्त होगी गुरु केंद्र में स्वयं की राशि में अच्छा योग बनाता है प्रधानमंत्री पद प्राप्त कर सकते हैं राहु नौवें भाव में अपनी चतुर प्रति लोगों को प्रभावित करते हैं कुल मिलाकर सर्वश्रेष्ठ योग चल रहे हैं।

कांग्रेस के अशोक गहलोत का जन्म 03 मई सन् 1951 को सुबह 9:30 मि. पर जोधपुर में हुआ था। उस काल में क्षितिज पर मिथुन लग्न उदित हो रही थी। मिथुन राशि एक द्विस्वभाव राशि है, जिसके फलस्वरूप गहलोत के स्वभाव में दोहरापन पाया जायेगा, कभी धीर गम्भीर तो कभी चंचल और वाचाल रहेंगे। आपके सोचने का तरीका वैज्ञानिक व तर्कसंगत होगा।

इस समय आपकी कुण्डली में मंगल की दशा में राहु की अन्तर एंव केतु की प्रत्यन्तर दशा चल रही है। षष्ठेश और लाभेश होकर मंगल अपनी मेष राशि में लाभ भाव में राजा सूर्य के साथ संग्रस्थ है। मंगल और सूर्य की सप्तम नजर जनता के कारक पंचम भाव पर पड़ रही है।

यह स्थिति शुभ कही जा सकती है। राहु भाग्य भाव में स्वराशि का होकर गुरू के नक्षत्र पूर्वाभाद्रपद पर कब्जा किये हुये है। गुरू सप्तमेश होकर दशम भाव में बैठा है। सप्तम भाव परिवर्तन का कारक एंव दशम स्थान राज्य का संकेतक है।

पूर्व सीएम अशोक गहलोत की कुण्डली में इस वक्त मंगल की दशा चल रही है व 6 दिसम्बर से सूर्य की अन्तर दशा प्रारम्भ होने वाली है। मंगल लाभेश होकर लाभ भाव में बैठकर सप्तम नजर से पंचम भाव को देख रहा है।

सूर्य तृतीयेश होकर लाभ पर कब्जा जमाकर पंचम भाव को देख रहा है। सूर्य व मंगल दोनों की जनता के संकेतक भाव पर दृष्टि पड़ रही है।

योगकारक मंगल की महादशा में इस समय सूर्य की अंतर्दशा चल रही है, जो कि लाभ भाव में होकर उनको ‘राज्य -लाभ’ का ज्योतिषीय योग दे रही है।
अशोक गहलोत यदि तीसरी बार राजस्थान के मुख्यमंत्री बन जाएं तो ज्योतिषीय दृष्टिकोण से कोई आश्चर्य नहीं होगा।

गहलोत के लिए शुभ हैं संकेत..Rajasthan Assembly Election 2018

6 अक्टूबर से गुरू वृश्चिक में गोचर करेगा जो आपके छठें भाव में रहेगा जिसकी पंचम दृष्टि सत्ता के कारक दशम भाव पर पड़ रही है। यह एक बहुत ही शुभ संकेत है। आपके लिए अंक 8 भी विशेष फलदायी है क्योंकि आप 1998 में पहली बार सीएम बने थे। दूसरी बार सन् 2008 में सीएम बने और इस बार भी सन् 2018 में अंतिम अंक 8 है।

इन सभी कारणो को देखते हुये निष्कर्ष यह निकलता है कि भाजपा और कांग्रेस में कांटे की टक्कर रहेगी। भाजपा को 80 से 85 सीटें मिल सकती है। वहीं काग्रेस 100 से 110 सीटें प्राप्त करके सरकार बनाने में कामयाब होगी।


बीजेपी होगी कमजोर, कांग्रेस की पकड़ बढ़ेगी

देश के तीन बड़े राज्यों में अगले महीने पता चल जाएगा कि 2019 में पीएम मोदी को चुनाव जीतने के लिए कितना कठिन परिश्रम करना होगा।
राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में अभी भारतीय जनता पार्टी की सरकार है।
यदि यहां पर किसी भी तरह से सत्ता का परिवर्तन होता है, तो पांच महीने बाद होने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा को नुकसान हो सकता है।
भविष्य के गर्भ में क्या छिपा है, इस पर सीधी बात करना मुश्किल है, लेकिन चाल समझकर सितारों के इशारों को समझा जा सकता है।

बीजेपी -कांग्रेस दोनों की कुंडली का अध्ययन

बीजेपी -कांग्रेस दोनों की कुंडली का अध्ययन करने के बाद यह निकलकर आता है कि कांग्रेस अभी बृहस्पति की महादशा में है।
कांग्रेस के लिए बृहस्पति की दशा फायदे वाली रहेगी।
जिसमें से शुक्र का अंतर चल रहा है।
अभी शनि कुंडली में स्थित सूर्य पर से गुजर रहा है।
वहीं हाल ही वृश्चिक राशि में गया बृहस्पति कुंडली के आधार पर बुध के ऊपर से गुजर रहा है।
वहीं बीजेपी की बात करें तो चंद्रमा की दशा में चंद्रमा का अंतर चल रहा है।
चंद्रमा में चंद्रमा की अंतर्दशा बीजेपी के लिए थोड़ी मुश्किल पैदा करने वाली है।
बृहस्पति का वृश्चिक राशि में पारगमन भी बीजेपी की कुंडली के अनुसार फायदा देने वाला नहीं है।
वहीं साढ़े साती भी आखिरी चरण में है।
साढ़े साती का आखिरी चरण भी बीजेपी को परेशानी में डालने वाला है।
वृश्चिक राशि में गया बृहस्पति चंद्रमा के ऊपर से गुजर रहा है।
वोटिंग के दिन यानी कि 7 दिसंबर 2018 को चंद्रमा ज्येष्ठा नक्षत्र में सूर्य के साथ युति कर सकता है।
वोटिंग वाले दिन केतु का चंद्रमा के साथ संयोजन सत्ता पक्ष के लिए अच्छा नहीं माना जाता।
बहुत सी सीटों पर किसी एक तरफा वोटिंग देखने को मिल सकती है।
परिणाम वाले दिन चंद्रमा उत्तराषाढ़ा नक्षत्र से गुजरते हुए केतु के साथ संयोजन में रहेगा।
कुल मिलाकर यदि सितारों की बात सुनें तो आने वाले दिनों में बीजेपी को मेहनत का फल कम ही मिलेगा,
हालांकि बृहस्पति में शुक्र की अंतर्दशा आपसी झगड़ों को बढ़ा सकती है।
वहीं कांग्रेस यदि आंतरिक झगड़ों से मुक्त हो पाई, तो फायदे में रहेगी।
अभी वृश्चिक राशि में बृहस्पति का परिभ्रमण कांग्रेस के लिए फायदेमंद रह सकता है।

Share this story