पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने कहा कुछ दिनों से बहुत कठिन चरण से गुजर रहा था
दिल्ली-पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने कहा कि हाल के पिछले संस्थानों में गंभीर तनाव आ गया है और उनकी विश्वसनीयता पर सवाल उठाया जा रहा है। सरकार के साथ व्यापक संवेदना और भ्रम है और संस्थानों के कामकाज |
एक कठिन चरण से गुजर रहा है। जिस भूमि ने 'वसुधैव कुतुंबकम' और क्षमा, सहिष्णुता और स्वीकृति के सभ्यता संबंधी सिद्धांतों की अवधारणा दी है, अब असहिष्णुता, क्रोध और मानवाधिकारों के उल्लंघन के समाचार में है |
Country is passing through a difficult phase. The land which gave the concept of ‘Vasudhaiva Kutumbakam’&civilisational ethos of forgiveness, tolerance&acceptance is now in news for rising intolerance, rage&infringement of human rights: Former President Pranab Mukherjee(23.11.18) pic.twitter.com/bFJ24sZCv1
— ANI (@ANI) November 24, 2018
पूर्व राष्ट्रपति ने कहा, 'हालिया दिनों में ये संस्थान गंभीर दबाव में रहे हैं और उनकी विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे हैं. शासन और संस्थानों की कार्यप्रणाली को लेकर व्यापक तौर पर उदासीपन तथा मोहभंग की स्थिति है. इस विश्वसनीयता को बहाल करने के लिए सुधार संस्थानों के भीतर से होने चाहिए.' उन्होंने कहा, 'संस्थान राष्ट्रीय चरित्र का आईना हैं. हमारे लोकतंत्र को बचाने के लिए इन संस्थानों को बिना किसी विलंब के लोगों का भरोसा वापस जीतना चाहिए.' प्रणब मुखर्जी की टिप्पणी सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक के बीच हालिया तनाव के मद्देनजर आई है