जानिए क्यों नहीं करना चाहिए महामृत्युंजय, गायत्री ,संजीवनी मंत्र का जाप

जानिए क्यों नहीं करना चाहिए महामृत्युंजय, गायत्री ,संजीवनी मंत्र का जाप

महामृत्युंजय मंत्र ऋग्वेद का प्रसिद्ध और सिद्ध मंत्र है। सहज मंत्र ओम है तो सारी बाधाओं से मुक्ति का महामंत्र महामृत्युंजय मंत्र है।

डेस्क- हिंदू धर्म में दो मंत्रों महामृत्युंजय तथा गायत्री मंत्र की बड़ी भारी महिमा बताई गई हैं। कहा जाता है कि इन दोनों मंत्रों में किसी भी एक मंत्र का सवा लाख जाप करके जीवन की बड़ी से बड़ी इच्छा को पूरा किया जा सकता है चाहे वो दुनिया का सबसे अमीर आदमी बनने की इच्छा हो या अपना पूरा भाग्य ही बदलना हो।

लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि भारतीय ऋषि-मुनियों ने इन दोनों मंत्रों को मिलाकर एक अन्य मंत्र महामृत्युंजय गायत्री मंत्र अथवा मृत संजीवनी मंत्र का निर्माण किया था। इस मंत्र को संजीवनी विद्या के नाम से जाना जाता है। इस मंत्र के जाप से मुर्दा को भी जिंदा करना संभव है बशर्ते गुरू से इसका सही प्रयोग सीख लिया जाए। हालांकि भारतीय ऋषि-मुनि इस मंत्र के जाप के लिए स्पष्ट रूप से मना भी करते हैं।

रोगों से और कष्टों से मुक्ति के लिए इन मन्त्रो का करना चाहिए जाप

  • महामृत्युंजय मंत्र ऋग्वेद का प्रसिद्ध और सिद्ध मंत्र है।
  • सहज मंत्र ओम है तो सारी बाधाओं से मुक्ति का महामंत्र महामृत्युंजय मंत्र है।
  • यह मृत संजीवनी है। ऋषि मार्कण्डेय को इसी मंत्र ने अल्पायु से जीवन संजीवनी दी थी। यमराज भी उनके द्वार से वापस चले गए थे।
  • इस मंत्र के जाप से साधक की अकाल मृत्यु से रक्षा होती है।
  • यदि आपकी कुंडली में किसी भी तरह से मृत्यु दोष या मारकेश है तो इस मंत्र का जाप करें तो उस दोष का प्रभाव कम हो जाएगा।
  • कुछ अनिष्ट होने का भय या आशंका हो तो इस मंत्र का जाप कर आप उस अनिष्ट को टाल सकते हैं।
  • रोगों से छुटकारा और जीवन में प्रसन्नता की प्राप्ति करने के लिए भी इस मंत्र के जाप से अच्छा कुछ और नहीं है।
  • इस मंत्र का जाप आर्थिक परेशानी या आपके व्यापार में घाटा की स्थिति में भी कर सकते हैं।
  • किसी भी तरह की महामारी और पारिवारिक कलह, संपत्ति विवाद आदि से बचने के लिए इस मंत्र का जाप किया जाता है।
  • ज्योतिषाचार्य पण्डित दयानन्द शास्त्री के अनुसार महामृत्युंजय मंत्र ऋग्वेद का एक श्लोक है।
  • शिव को मृत्युंजय के रूप में समर्पित ये महान मंत्र ऋग्वेद में पाया जाता है.स्वयं या परिवार में किसी अन्य व्यक्ति के अस्वस्थ होने पर मेरे पास अक्सर बहुत से लोग इस मन्त्र की और इसके जप विधि की जानकारी प्राप्त करने के लिए आते हैं.

इस महामंत्र के बारे में जहांतक मेरी जानकारी है,वो मैं पाठकों के समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ

|| महा मृत्‍युंजय मंत्र ||

ॐ त्र्यम्बक यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धन्म। उर्वारुकमिव बन्धनामृत्येर्मुक्षीय मामृतात् !!

||संपुटयुक्त महा मृत्‍युंजय मंत्र ||

ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्‍बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्‍धनान् मृत्‍योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ !!

||लघु मृत्‍युंजय मंत्र ||

ॐ जूं स माम् पालय पालय स: जूं ॐ। किसी दुसरे के लिए जप करना हो तो-ॐ जूं स (उस व्यक्ति का नाम जिसके लिए अनुष्ठान हो रहा हो) पालय पालय स: जूं ॐ

कालजयी मंत्र: --

ॐ ह्रौं जूं सः। ॐ भूः भुवः स्वः। ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्‌। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्‌। स्वः भुवः भूः ॐ। सः जूं ह्रौं ॐ ( समस्त गृहस्थों के लिए। विशेषकर रोगों से और कष्टों से मुक्ति के लिए)

रोगों से मुक्ति के लिए बीज मंत्र---

रोगों से मुक्ति के लिए यूं तो महामृत्युंजय मंत्र विस्तृत है लेकिन आप बीज मंत्र के स्वस्वर जाप करके रोगों से मुक्ति पा सकते हैं। इस बीज मंत्र को जितना तेजी से बोलेंगे आपके शरीर में कंपन होगा और यही औषधि रामबाण होगी। जाप के बाद शिवलिंग पर काले तिल और सरसो का तेल ( तीन बूंद) चढाएं।

ॐ हौं जूं सः ( तीन माला) ...

क्या है महामृत्युंजय गायत्री (संजीवनी) मंत्र--

ऊँ हौं जूं स: ऊँ भूर्भुव: स्व: ऊँ ˜यंबकंयजामहे
ऊँ तत्सर्वितुर्वरेण्यं ऊँ सुगन्धिंपुष्टिवर्धनम
ऊँ भर्गोदेवस्य धीमहि ऊँ उर्वारूकमिव बंधनान
ऊँ धियो योन: प्रचोदयात ऊँ मृत्योर्मुक्षीय मामृतात
ऊँ स्व: ऊँ भुव: ऊँ भू: ऊँ स: ऊँ जूं ऊँ हौं ऊँ..

पण्डित दयानन्द शास्त्री के अनुसार ऋषि शुक्राचार्य ने इस मंत्र की आराधना निम्न रूप में की थी जिसके प्रभाव से वह देव-दानव युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए दानवों को सहज ही जीवित कर सकें।

महामृत्युंजय मंत्र में जहां हिंदू धर्म के सभी 33 देवताओं (8 वसु, 11 रूद्र, 12 आदित्य, 1 प्रजापति तथा 1 वषट तथा ऊँ) की शक्तियां शामिल हैं वहीं गायत्री मंत्र प्राण ऊर्जा तथा आत्मशक्ति को चमत्कारिक रूप से बढ़ाने वाला मंत्र है। विधिवत रूप से संजीवनी मंत्र की साधना करने से इन दोनों मंत्रों के संयुक्त प्रभाव से व्यक्ति में कुछ ही समय में विलक्षण शक्तियां उत्पन्न हो जाती है। यदि वह नियमित रूप से इस मंत्र का जाप करता रहे तो उसे अष्ट सिदि्धयां, नव निधियां मिलती हैं तथा मृत्यु के बाद उसका मोक्ष हो जाता है।

संजीवनी मंत्र के जाप में निम्न बातों का ध्यान रखें--

(1) जपकाल के दौरान पूर्ण रूप से सात्विक जीवन जिएं।
(2) मंत्र के दौरान साधक का मुंह पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए।
(3) इस मंत्र का जाप शिवमंदिर में या किसी शांत एकांत जगह पर रूद्राक्ष की माला से ही करना चाहिए।
(4) मंत्र का उच्चारण बिल्कुल शुद्ध और सही होना चाहिए साथ ही मंत्र की आवाज होठों से बाहर नहीं आनी चाहिए।
(5) जपकाल के दौरान व्यक्ति को मांस, शराब, सेक्स तथा अन्य सभी तामसिक चीजों से दूर रहना चाहिए। उसे पूर्ण ब्रहमचर्य के साथ रहते हुए अपनी पूजा करनी चाहिए।

जानिए क्यों नहीं करना चाहिए महामृत्युंजय गायत्री (संजीवनी) मंत्र का जाप

आध्यात्म विज्ञान के अनुसार संजीवनी मंत्र के जाप से व्यक्ति में बहुत अधिक मात्रा में ऊर्जा पैदा होती है जिसे हर व्यक्ति सहन नहीं कर सकता। नतीजतन आदमी या तो कुछ सौ जाप करने में ही पागल हो जाता है तो उसकी मृत्यु हो जाती है। पण्डित दयानन्द शास्त्री ने बताया कि इसीलिए इसे गुरू के सान्निध्य में सीखा जाता है और धीरे-धीरे अभ्यास के साथ बढ़ाया जाता है। इसके साथ कुछ विशेष प्राणायाम और अन्य यौगिक क्रियाएं भी सिखनी होती है ताकि मंत्र से पैदा हुई असीम ऊर्जा को संभाला जा सके। इसीलिए इन सभी चीजों से बचने के लिए इस मंत्र की साधना किसी अनुभवी गुरू के दिशा- निर्देश में ही करनी चाहिए।

जानिए महा मृत्‍युंजय जप की विधि

महा मृत्युंजय मंत्र का पुरश्चरण सवा लाख है और लघु मृत्युंजय मंत्र की 11 लाख है.मेरे विचार से तो कोई भी मन्त्र जपें,पुरश्चरण सवा लाख करें.इस मंत्र का जप रुद्राक्ष की माला पर सोमवार से शुरू किया जाता है.जप सुबह १२ बजे से पहले होना चाहिए,क्योंकि ऐसी मान्यता है की दोपहर १२ बजे के बाद इस मंत्र के जप का फल नहीं प्राप्त होता है.आप अपने घर पर महामृत्युंजय यन्त्र या किसी भी शिवलिंग का पूजन कर जप शुरू करें या फिर सुबह के समय किसी शिवमंदिर में जाकर शिवलिंग का पूजन करें और फिर घर आकर घी का दीपक जलाकर मंत्र का ११ माला जप कम से कम ९० दिन तक रोज करें या एक लाख पूरा होने तक जप करते रहें. अंत में हवन हो सके तो श्रेष्ठ अन्यथा २५ हजार जप और करें.ग्रहबाधा, ग्रहपीड़ा, रोग, जमीन-जायदाद का विवाद, हानि की सम्भावना या धन-हानि हो रही हो, वर-वधू के मेलापक दोष, घर में कलह, सजा का भय या सजा होने पर, कोई धार्मिक अपराध होने पर और अपने समस्त पापों के नाश के लिए महामृत्युंजय या लघु मृत्युंजय मंत्र का जाप किया या कराया जा सकता है।

ज्योतिषाचार्य पण्डित दयानन्द शास्त्री ने बताया कि इस अद्भुत मंत्र का जाप शुभ मुहुर्त में शुरू करना चाहिए। इसके लिए महाशिवरात्रि, श्रावणी सोमवार, प्रदोष (सोम प्रदोश अधिक शुभ है), सर्वार्थ या अमृत सिद्धि योग, मासिक शिवरात्रि (कृष्ण पक्ष चतुर्दशी) अथवा अति आवश्यक होने पर शुभ लाभ या अमृत चौघड़िया में किसी भी दिन शुभ माना जाता है। घातक व जटिल स्थिति में भी यह मंत्र आपकी परेशानियों को समाप्त करता है। इस मंत्र का जाप पूरी श्रद्धा व पवित्र हृदय से करना चाहिए। महामृत्युंजय जप अनुष्ठान शास्त्रीय विधि-विधान से करना चाहिए। मनमाने ढंग से करना या कराना हानिप्रद हो सकता है।

यह हें महा मृत्युंजय मंत्र का अक्षरशः अर्थ

त्रयंबकम = त्रि-नेत्रों वालायजामहे = हम पूजते हैं, सम्मान करते हैं, हमारे श्रद्देयसुगंधिम= मीठी महक वाला, सुगंधितपुष्टि = एक सुपोषित स्थिति,फलने-फूलने वाली, समृद्ध जीवन की परिपूर्णतावर्धनम = वह जो पोषण करता है, शक्ति देता है,स्वास्थ्य, धन, सुख में वृद्धिकारक; जो हर्षित करता है, आनन्दित करता है, और स्वास्थ्य प्रदान करता है, एक अच्छा मालीउर्वारुकम= ककड़ीइव= जैसे, इस तरहबंधना= तनामृत्युर = मृत्यु सेमुक्षिया = हमें स्वतंत्र करें, मुक्ति देंमा= नअमृतात= अमरता, मोक्ष

जानिए महा मृत्‍युंजय मंत्र का अर्थ

समस्‍त संसार के पालनहार, तीन नेत्र वाले शिव की हम अराधना करते हैं। विश्‍व में सुरभि फैलाने वाले भगवान शिव मृत्‍यु न कि मोक्ष से हमें मुक्ति दिलाएं।|| इस मंत्र का विस्तृत रूप से अर्थ ||हम भगवान शंकर की पूजा करते हैं, जिनके तीन नेत्र हैं, जो प्रत्येक श्वास में जीवन शक्ति का संचार करते हैं, जो सम्पूर्ण जगत का पालन-पोषण अपनी शक्ति से कर रहे हैं,उनसे हमारी प्रार्थना है कि वे हमें मृत्यु के बंधनों से मुक्त कर दें, जिससे मोक्ष की प्राप्ति हो जाए.जिस प्रकार एक ककड़ी अपनी बेल में पक जाने के उपरांत उस बेल-रूपी संसार के बंधन से मुक्त हो जाती है, उसी प्रकार हम भी इस संसार-रूपी बेल में पक जाने के उपरांत जन्म-मृत्यु के बन्धनों से सदा के लिए मुक्त हो जाएं, तथा आपके चरणों की अमृतधारा का पान करते हुए शरीर को त्यागकर आप ही में लीन हो जाएं.

क्या होता हैं महामृत्युंजय मंत्र का प्रभाव

मेरे विचार से महामृत्युंजय मंत्र शोक,मृत्यु भय,अनिश्चता,रोग,दोष का प्रभाव कम करने में,पापों का सर्वनाश करने में अत्यंत लाभकारी है.महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना या करवाना सबके लिए और सदैव मंगलकारी है,परन्तु ज्यादातर तो यही देखने में आता है कि परिवार में किसी को असाध्य रोग होने पर अथवा जब किसी बड़ी बीमारी से उसके बचने की सम्भावना बहुत कम होती है,तब लोग इस मंत्र का जप अनुष्ठान कराते हैं.महामृत्युंजय मंत्र का जाप अनुष्ठान होने के बाद यदि रोगी जीवित नहीं बचता है तो लोग निराश होकर पछताने लगे हैं कि बेकार ही इतना खर्च किया।

घर में दो शिवलिंग की पूजा नही करनी चाहिए जाने क्यों

यहां पर मैं एक बात कहना चाहूंगा कि मेरे विचार से तो इस मंत्र का मूल अर्थ ही यही है कि हे महादेव..या तो रोगी को ठीक कर दो या तो फिर उसे जीवन मरण के बंधनों से मुक्त कर दो.अत: इच्छानुसार फल नहीं मिलने पर पछताना या कोसना नहीं चाहिए.अंत में एक बात और कहूँगा कि महामृत्युंजय मन्त्र का अशुद्ध उच्चारण न करें और महा मृत्युंजय मन्त्र जपने के बाद में इक्कीस बार गायत्री मन्त्र का जाप करें ताकि महामृत्युंजय मन्त्र का अशुद्ध उच्चारण होने पर भी पर अनिष्ट होने का भय न रहे.जगत के स्वामी बाबा भोलेनाथ और माता पार्वती आप सबकी मनोकामना पूर्ण करें।

जानिए क्या रखें महामृत्युंजय मंत्र में रखें सावधानी

1. महामंत्र का उच्चारण शुद्ध रखें

2. एक निश्चित संख्या में जप करें।

3. मंत्र का मानसिक जाप करें।

4. पूरे विधि-विधान और धूप-दीप के साथ जाप करें

5. रुद्राक्ष की माला पर ही जप करें।

6. माला को गोमुखी में रखें।

7. जप काल में महामृत्युंजय यंत्र की पूजा करें।

8. महामृत्युंजय के जप कुशा के आसन पर बैठकर करें।

9. जप काल में दुग्ध मिले जल से शिवजी का अभिषेक करते रहें।

10. महामृत्युंजय मंत्र का जाप पूर्व दिशा की तरफ मुख करके ही करें।

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पण्डित दयानन्द शास्त्री


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