सज्जन कुमार को सुनाई गई उम्रकैद की सजा ,31 दिसंबर तक करना है सरेंडर

सज्जन कुमार को सुनाई गई उम्रकैद की सजा ,31 दिसंबर तक करना है सरेंडर

डेस्क- 1984 के सिख विरोधी दंगों दिल्ली उच्च न्यायालय ने कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को दोषी ठहराया, सुनवाई अदालत के फैसले को उलट दिया, जो पहले उसे बरी कर दिया था।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाते हुए कहा, "1947 की गर्मियों में, विभाजन के दौरान, कई लोगों की हत्या कर दी गई थी। 37 साल बाद दिल्ली इसी तरह की त्रासदी का साक्षी था। अभियुक्त ने राजनीतिक संरक्षण का आनंद लिया और परीक्षण से बच निकला |

1984 के सिख दंगों के अलावा: कांग्रेस के सज्जन कुमार, कप्तान भागमल, गढ़ारी लाल और पूर्व कांग्रेस काउंसिलर बलवान खोखर को जीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। किशन खोकर और पूर्व विधायक महेंद्र यादव को जेल में 10 साल की सजा सुनाई गई है |

1984 के सिख दंगों के मामले में सज्जन कुमार के दृढ़ विश्वास पर मंजिंदर सिंह सिरसा और शिरोमणि अकाली दल ने कहा हम न्याय देने के लिए अदालत का धन्यवाद करते हैं। हमारी लड़ाई तब तक जारी रहेगी जब तक सज्जन कुमार और जगदीश टाइटलर को मौत की सजा नहीं मिलती और गांधी परिवार को अदालत में खींच लिया जाता है और जेल में डाल दिया जाता है।

Manjinder Singh Sirsa, Shiromani Akali Dal on conviction of Sajjan Kumar in 1984 anti-Sikh riots case: We thank the court for giving us justice. Our fight will continue till Sajjan Kumar & Jagdish Tytler get a death sentence & Gandhi family is dragged to the court & put in jail. pic.twitter.com/TtfEXn4Qiz

— ANI (@ANI) December 17, 2018

इस मामले में दोषियों ने अपनी सजा और सीबीआई ने इस मामले में पूर्व कांग्रेस सांसद सज्जन कुमार को बरी किए जाने के फैसले को चुनौती दी थी। दंगा पीड़ित जगदीश कौर ने भी सज्जन कुमार की रिहाई को चुनौती दे रखी थी।


न्यायमूर्ति एस. मुरलीधर व न्यायमूर्ति विनोद गोयल ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद 29 अक्तूबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था। निचली अदालत ने 30 अप्रैल 2013 को सज्जन कुमार को बरी कर दिया था तथा पूर्व पार्षद बलवान खोखर, कैप्टन भागमल व गिरधारी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।

वहीं, पूर्व विधायक महेंद्र यादव व किशन खोखर को तीन-तीन साल कैद की सजा सुनाई थी। दोषियों ने मई 2013 में अदालती फैसले को चुनौती दी थी।

पूर्व कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने सिख दंगा मामलों की सुनवाई करते हुए 29 मार्च 2017 को पहले बंद हो चुके पांच मामलों में बलवान खोखर व महेंद्र यादव समेत 11 लोगों को नोटिस जारी किया था। अदालत ने इनसे पूछा था कि क्यों न इन मामलों में दोबारा जांच व सुनवाई करवाई जाए, क्योंकि उन पर बेहद गंभीर आरोप हैं।


सीबीआई की ओर से अपील पर जिरह करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता आरएस चीमा ने कहा था कि जस्टिस आरएन मिश्रा जांच आयोग के समक्ष सज्जन कुमार के खिलाफ 17 हलफनामे दिए गए थे लेकिन उन पर एक भी मुकदमा दर्ज नहीं हुआ था।


एनडीए सरकार ने इन मामलों की जांच के लिए जस्टिस नानावटी जांच आयोग बनाया था। इस आयोग ने दिल्ली छावनी व पुल बंगश इलाकों में हुई हत्याओं की जांच दोबारा कराने की सिफारिश की थी। इसके बाद इन मामलों की जांच सीबीआई को सौंपी गई। सीबीआई ने जांच के बाद इन मामलों में वर्ष 2010 में कड़कड़डूमा जिला अदालत में दो आरोप पत्र दाखिल किए थे।

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