क्या वर्ष 2019 में हल निकल पाएगा, राम जन्मभूमि विवाद का

क्या वर्ष 2019 में हल निकल पाएगा, राम जन्मभूमि विवाद का

पूरा देश लोकसभा चुनाव से पहले राम जन्मभूमि मामले को हल होकर रामलला के स्थान पर भव्य श्री राम मंदिर को देखना चाहता है|


डेस्क-वर्तमान परिदृश्य में चल रहे अयोध्या राम मंदिर भारत के सुप्रीम कोर्ट में अपने अंतिम चरण में है और ग्रहों के संकेतों के अनुसार इस मामले में 2018 का अंतिम चरण भी विवादों से घिरा रहेगा। परन्तु 2019 के प्रारम्भिक 3 महीनों में सफल सुचना के अधिक योग बन रहे हैं।

राम जन्मभूमि से जुड़े क़ानूनी मुद्दे के ज्योतिषीय पहलु

भारत के नींव चार्ट यानि जन्मकुंडली के अनुसार चंद्रमा में बृहस्पति का दशा अगस्त 2018 से शुरू होगा। और 27/28 जुलाई 2018 का चंद्र ग्रहण मकर राशि या मकर राशि में पड़ रहा है जो भारतीय स्वतंत्रता जन्मकुंडली का 9वां घर है।

ज्योतिष में 9वां घर विशेष रूप से धार्मिक विवादों और उच्च न्यायालयों के देशों को चिह्नित करता है। बृहस्पति ग्रह भारत वर्ष की जन्मकुंडली के अदालत के मामलों या विवादों के 6 घर में है, बृहस्पति कुंभ राशि को पहलू दे रहा है जो राशी संकेत है धार्मिक स्थानों और मंदिरों। पारगमन में मंगल और केतु मकर राशी में देश की धार्मिक नीव अयोध्या राम मंदिर बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले के 9 वें घर में जा रहे हैं।

अयोध्या में भव्य राम मंदिर देखना चाहता है पूरा देश

  • ग्रहों के अनुसार संभावना है कि अदालत हिंदू मुकदमे के पक्ष में अपना समर्थन दे सकती है।
  • धनु राशि से स्थानांतरित शनि अपने पहलू से संकेत करता है।
  • जिसका मतलब ज्योतिष गणना के अनुसार भगवान राम जन्मभूमि अपना स्थान प्राप्त कर सकती है। इस प्रकार सभी ग्रहों के संकेत अयोध्या राम मंदिर के पक्ष में निर्णायक निर्णय दिखा रहे हैं।
  • रामजन्मभूमि मुद्दे का हल और अयोध्या में भव्य राम मंदिर देखना चाहता है पूरा देश।
  • पूरा देश लोकसभा चुनाव से पहले राम जन्मभूमि मामले को हल होकर रामलला के स्थान पर भव्य श्री राम मंदिर को देखना चाहता है.
  • ऐसे में अब गेंद सरकार के पाले में हैं।
  • 2019 चुनाव से पहले रामजन्मभूमि मुद्दे का हल और अयोध्या में भव्य राम मंदिर देखना चाहता है पूरा देश
  • राम जन्मभूमि मामले पर सुप्रीम कोर्ट के रुख के बाद एक बार फिर इस मुद्दे ने न केवल तूल पकड़ा है बल्कि आए दिन समाचार पत्रों और मीडिया की सुखिर्यों में छाया हुआ है. साल
  • 2011 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में विवादित स्थल को तीन हिस्सों में विभाजित कर सभी पक्षों को साधने का प्रयास किया था.
  • हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के सीजेआई पद से रिटायर हुए दीपक मिश्र राम जन्मभूमि मामले की दिन-प्रतिदिन की सुनवाई के लिए सहमत हुए थे.
  • मामले के तीन पक्षों- निर्मोही अखाड़ा, श्रीरामजन्मभूमि न्यास और बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी का भी इस बात पर जोर था कि मामले को जितनी जल्दी हो सके समाप्त किया जाए
  • क्योंकि पहले से ही काफी समय बीत चुका है. लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
  • सीजेआई दीपक मिश्र के रिटायरमेंट के बाद रंजन गोगोई ने कार्यभार संभाला और इसी दौरान एक सुनवाई में उन्होंने मात्र 3 मिनट में पक्ष-विपक्ष का तर्क सुनकर मामले की सुनवाई
  • जनवरी, 2019 के लिए टाल दी. इस स्थिति में यह मामला एक बार फिर 2011 में जाकर टिका हुआ है, जहां से वह चला था।
  • लेकिन मामले की सुनवाई हर बार टलने से न केवल हिंदू समाज बेचैन है बल्कि संत समाज अपने को छला हुआ महसूस कर रहा है.
  • देशभर में चहुंओर हर वर्ग से मंदिर निर्माण पर कानून बनाने की मांग उठ रही है. ऐसे में केंद्र सरकार पर हर दिन दबाव बढ़ता ही जा रहा है|




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