Depression से मुक्ति पाने के लिए आप अपने जीवनशैली में लाये ये बदलाव

Depression से मुक्ति पाने के लिए आप अपने जीवनशैली में लाये ये बदलाव

बच्चों में उदासी, चिड़चिड़ाहट, पसंद के कामों में अरुचि, सिर दर्द, अनिद्रा, थकान जैसे लक्षणों का पाना Depression के लक्षण होते हैं |

डेस्क-उदासी, फिर निराशा और फिर डिप्रेशन। यह छोटी-सी भावना गहरा जाए तो जानलेवा हो जाती है। Depression से समय रहते इससे छुटकारा पाना ही ठीक होता है। जितनी सतही यह समस्या लगती है, उसकी जड़ें उतनी ही गहरी बैठ जाती हैं।

आइए कैसे आप ज़रा सी सावधानी से  Depression से पा सकते हैं मुक्ति

क्या करता है डिप्रेशन


निराश ही तो है, कुछ दिन में अपने-आप मन बहल जाएगा। सब ठीक हो जाएगा...। हम ऐसा ही तो सोचते हैं, जब कुछ दिनों से घर-परिवार में हमें कोई चुप-चुप, अलसाया सा, चिड़चिड़ाया सा दिखता है।

ऐसे में व्यक्ति का सामाजिक समायोजन बिगड़ने लगता है। तरक्की छोड़िए, सामान्य कामों को पूरा करने लायक आत्म-विश्वास और प्रेरणा तक नहीं बचती। नतीजा, हार और रोग आसपास मंडराने लगते हैं। अंतत: एक हंसती-खेलती जिंदगी जागरूकता और सही उपचार के अभाव में अंधेरों में गुम हो जाती है।

जीवनशैली में बदलाव कर सकता है मदद


व्यायाम और योग: थोड़ी देर के लिए या फिर एक निश्चित अवधि तक एरोबिक जैसे व्यायाम करने से शरीर में ऐसे केमिकल्स के स्राव तेज हो जाते हैं, जो डिप्रेशन कम करने में मदद करते हैं। विभिन्न योगासनों, प्राणायाम आदि से मूड संभालने में मदद मिलती है। ध्यान योग भी सहायक है।


सामाजिकता: अवसाद को रोकने और उसके उपचार में अन्य लोगों से सहायता मिलना बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। ये लोग रिश्तेदार, दोस्त या फिर आस-पड़ोस के भी हो सकते हैं। एक मजबूत सामाजिक दायरा होना बहुत जरूरी है।

डिप्रेशन के लक्षण


व्यक्ति में निराशा, चिड़चिड़ाहट, प्रसन्नता का अभाव, भूख और वजन का कम या ज्यादा हो जाना, ऊर्जापूर्ण ना रहना, मन उखड़ा रहना, थकान, अनिद्रा या बहुत ज्यादा सोना, खुद के किसी काम ना आने की भावना का पनपना या फिर अपराधबोध, एकाग्र होकर काम न कर पाना और कभी-कभी मृत्यु या आत्महत्या जैसे विचार आना जैसे लक्षण आम तौर पर लगभग दो-तीन हफ्ते तक चलते हैं।

बच्चों में उदासी, चिड़चिड़ाहट, पसंद के कामों में अरुचि, सिर दर्द, अनिद्रा, थकान जैसे लक्षणों का पाना डिप्रेशन के लक्षण होते हैं |

डिप्रेशन के इलाज


डिप्रेशन के इलाज में कॉग्निटिव बिहेवियरल साइकोथेरेपी और गंभीर मामलों में दवाओं की भी जरूरत पड़ती है। मनोवैज्ञानिक और साइकियाट्रिस्ट इसके इलाज में अहम भूमिका निभाते हैं। इसका इलाज लंबी अवधि तक चल सकता है। यह मरीज की स्थिति पर निर्भर करता है।

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