हनुमान अष्टमी पर इस मंत्र का करे जप शीघ्र ही दूर होंगे सारे दूर कष्ट

हनुमान अष्टमी पर इस मंत्र का करे जप शीघ्र ही दूर होंगे सारे दूर कष्ट

मान्यता हें की हनुमान अष्टमी के दिन हनुमानजी को चोला चढ़ाने से हर बिगड़ा काम बन जाता है और साधक पर हनुमानजी की विशेष कृपा होती है।

डेस्क-आज (29 दिसंबर, शनिवार) पौष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि है। इस दिन हनुमान अष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन हनुमानजी की पूजा विशेष रूप से की जाती है।
मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के प्रिय भक्त हनुमानजी की उपासना से जीवन के सारे कष्ट, संकट मिट जाते है। माना जाता है कि हनुमान एक ऐसे देवता है जो थोड़ी-सी प्रार्थना और पूजा से ही शीघ्र प्रसन्न हो जाते है। मंगलवार और शनिवार का दिन इनके पूजन के लिए सर्वश्रेष्ठ हैं, वहीं बुधवार को हनुमान अष्टमी होने से उनका पूजन विशेष मायने रखता है।

मान्यता हें की हनुमान अष्टमी के दिन हनुमानजी को चोला चढ़ाने से हर बिगड़ा काम बन जाता है और साधक पर हनुमानजी की विशेष कृपा होती है।

अगर आप अपने जीवन की सभी परेशानियों से निजात पाना चाहते हैं तो आप निम्न मंत्र और उपाय आजमाएं, शीघ्र ही आपके सारे कष्ट दूर होकर आपको सुख की अनुभूति होगी

ॐ हं हनुमंतये नम: मंत्र का जप करें।

हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट् का रुद्राक्ष की माला से जप करें।

संकट कटै मिटै सब पीरा, जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।

राम-राम नाम मंत्र का 108 बार जप करें।

हनुमान को नारियल, धूप, दीप, सिंदूर अर्पित‍ करें।

हनुमान अष्टमी के दिन हनुमान चालीसा का पाठ करें।

हनुमान को चमेली का तेल, सिंदूर का चोला चढ़ाएं।

गुड-चने और आटे से निर्मित प्रसाद वितरित करें।


राम रक्षा स्त्रोत, बजरंगबाण, हनुमान अष्टक का पाठ करें।
हनुमान आरती, हनुमत स्तवन, राम वन्दना, राम स्तुति, अथवा संकटमोचन हनुमानाष्टक का पाठ करें।

फिर दोपहर में घर में शुद्धता पूर्वक बने चूरमे का हनुमानजी भोग लगाएं। अगर ये संभव न हो तो गुड़-चने का भोग भी लगा सकते हैं।
उसी स्थान पर बैठकर हनुमान चालीसा या हनुमान बाहुक का पाठ करें।
इसके बाद रुद्राक्ष की माला से एक श्लोकी रामायण का पाठ करें। कम से कम 108 बार ये मंत्र बोलें-

आदौ रामतपोवनादिगमनं हत्वा मृगं कांचनं
वैदेहीहरणं जटायुमरणं सुग्रीवसंभाषणम्।
वालीनिर्दलनं समुद्रतरणं लंकापुरीदाहनं
पश्चाद्रावणकुंभकर्णहननमेतद्धि रामायणम्॥

  • सबसे अंत में हाथ जोड़कर हनुमानजी के सामने अपनी मनोकामना कहें। इस विधि से पूजा करने से हनुमानजी अपने भक्तों पर प्रसन्न होते हैं।
  • शनि ग्रह से पीड़ित जातकों को हनुमान आराधना करना चाहिए।
  • बाधा मुक्ति के लिए श्रद्घालु हनुमान यंत्र स्थापना के साथ बजरंग बाण या हनुमान चालीसा का पाठ कर सकते हैं। इससे निश्चित ही हनुमानजी प्रसन्न होते है।
  • परिवार सहित मंदिर में जाकर मंगलकारी सुंदरकांड पाठ करें।
  • श्रद्धानुसार भोजन या भंडारे का आयोजन कराएं।
  • मंगलवार और शनिवार के दिन हनुमान म‍ंदिर में जाकर रामभक्त हनुमान का गुणगान करें और उनसे अपने पापों के लिए क्षमायाचना करें। तो निश्चित ही हनुमानजी की कृपा आप पर अवश्य बनी रहेगी।
  • आज हनुमान अष्टमी पर लाल फूल और गुलाब का इत्र चढ़ाकर हनुमानजी की पूजा अवश्य करनी चाहिए।

इसके अलावा आप हनुमान अष्टमी पर हनुमानजी को एक विशेष पान अर्पित करें। इस पान में केवल कत्था, गुलकंद, सौंफ, खोपरे का बुरा और सुमन कतरी डलवाएं। पान बनवाते समय इस बात का ध्यान रखें कि उसमें चूना एवं सुपारी नहीं हो। इस पान में तंबाकू भी नहीं होनी चाहिए। हनुमानजी का विधि-विधान से पूजन करने के बाद यह पान हनुमानजी को यह बोलकर अर्पण करें- हे हनुमानजी। आपको मैं यह मीठा रस भरा पान अर्पण कर रहा हूं। आप भी मेरा जीवन मिठास से भर दीजिए। हनुमानजी की कृपा से कुछ ही दिनों में आपकी हर समस्या दूर हो जाएगी।

हनुमान अष्टमी का यह पर्व विजय उत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। जो भक्त इस खास मौक पर हनुमान जी का दर्शन और उनकी पूजा आराधना करता है उसकी हर मनोकामना पूरी होती है।

शास्त्रों में हनुमान अष्टमी को हनुमानजी का विजय उत्सव मानने के पीछे प्रसंग है। जिसके अनुसार भगवान राम और रावण के बीच युद्ध के समय जब अहिरावण ने भगवान राम और लक्ष्मण को कैद करके पाताल लोक में ले जाकर दोनों की बलि देना चाहता था, तब भगवान हनुमान ने उसे युद्ध में हरा कर और उसका वध कर भगवान को छु़ड़ाया था। युद्ध के दौरान ज्यादा थक जाने के कारण हनुमानजी पृथ्वी के नाभि स्थल अवंतिका में आराम किया था। हनुमान जी बल के कारण भगवान राम प्रसन्न होकर आशीर्वाद दिया की पौष कृष्ण की अष्टमी को जो भी भक्त पूजा करेगा उसके सारे कष्ट दूर हो जाएंगे। ऐसी मान्यता है तभी से इस दिन विजय उत्सव का पर्व मनाया जाता है ।

हनुमान अष्टमी के दिन हनुमान मंदिर जा कर हनुमानजी के दर्शन करना चाहिए और इस दिन हनुमान जी के 12 नामों का जप करना चाहिए।

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