मोदी सरकार का बड़ा फैसला सवर्णों को 10% आरक्षण की दी मंजूरी

मोदी सरकार का बड़ा फैसला सवर्णों को 10% आरक्षण की दी मंजूरी

मोदी सरकार मंगलवार को लोकसभा में आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों को आरक्षण देने संबंधी बिल पेश कर सकती है।

डेस्क- लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। मोदी कैबिनेट ने सवर्णों को 10% आरक्षण दिए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। केंद्रीय कैबिनेट की सोमवार को हुई बैठक के बाद यह फैसला किया गया।

दरअसल 2018 में SC/ST एक्ट में किए गए बदलाव को लेकर सवर्ण मोदी सरकार से नाराज चल रहे थे। माना जा रहा है इसे ​देखते हुए ही भाजपा ने यह फैसला लिया है।

एक नजर आरक्षण पर

  • OBC 27%
  • SC 15%
  • ST 7.5%

आरक्षण का लाभ कैसे मिलेगा

  • इसका फ़ायदा ब्रम्हाण्ड, राजपूत और अन्य स्वर्ण जातियों को मिलेगा।
  • सरकारी नौकरियों में आर्थिक आधार पर दिया जाएगा 10% आरक्षण।
  • आरक्षण का कोटा मौजूदा 49.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 59.5 प्रतिशत किया जाएगा।
  • 8 लाख सालाना आमदनी और 5 एकड़ से कम जमीन वालों को मिलेगा लाभ।
  • जिनके पास सरकारी जमीन पर अपना मकान होगा, उन्हें नहीं मिलेगा आरक्षण।

क्या होंगे बदलाव

  • मोदी सरकार मंगलवार को लोकसभा में आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों को आरक्षण देने संबंधी बिल पेश कर सकती है।
  • इसके लिए संविधान के अनुच्छेद 15 और अनुच्छेद 16 में बदलाव किया जाएगा।
  • दोनों अनुच्छेद में बदलाव कर आर्थिक आधार पर आरक्षण देने का रास्ता साफ हो जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट के क्या थे तर्क

  • सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में साफ किया था कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग या इनके अलावा किसी भी अन्य विशेष श्रेणी में दिए जाने वाले आरक्षण का कुल आंकड़ा 50% से ज्यादा नहीं होना चाहिए।
  • संविधान के अनुच्छेद 16 (4) में देश के पिछड़े नागरिकों को आरक्षण देने का जिक्र है।
  • केंद्र सरकार के कार्मिक मंत्रालय ने जुलाई 2016 में बताया था कि देश में अभी जातिगत आधार पर 49.5% आरक्षण दिया जा रहा है।

नरसिम्हा राव ने उठाया था कदम

  • नरसिम्हा राव सरकार ने आर्थिक आधार पर आरक्षण का फैसला किया था।
  • जिसके बाद सरकार ने 1991 में 10 %आरक्षण का फैसला किया था।
  • लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उस फैसले को खारिज करते हुए कहा कि गरीबी आरक्षण का आधार नहीं है।
  • साल 2006 में कांग्रेस ने भी एक कमेटी बनाई जिसको आर्थिक रूप से पिछड़े उन वर्गों का अध्ययन करना था जो मौजूदा आरक्षण व्यवस्था के दायरे में नहीं आते हैं, लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ।

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