पहले अभियुकों ने फिर पुलिस ने किया रेप पीड़िता मामले में गलत काम ,फजीहत के बाद किया गिरफ्तारी

पहले अभियुकों ने फिर पुलिस ने किया रेप पीड़िता मामले में गलत काम ,फजीहत के बाद किया गिरफ्तारी

भ्रष्ट पुलिस वालों पर कब दर्ज होगा आत्महत्या के लिए उकसाने का मुकदमा

गोण्डा (एच पी श्रीवास्तव ) करनैलगंज की रेप पीड़िता अनीता पाठक के मामले में पुलिस ने अब उसी मामले में अभियुक्तों की गिरफ्तारी कर ली है जिसमे पहले एफआर लगाई गई थी अब जब यह साफ हो गया है कि पहले गलत तरीके से एफआर लगाया गया था । अशोक कुमार सिंह प्रभारी निरीक्षक मनकापुर ने बताया कि आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है ।

अब सवाल यह उठता है कि गलत विवेचना करने वालों पर कब होगा आत्महत्या के लिए उकसाने का मुकदमा दर्ज ।

पुलिस विभाग की बेशर्मी और जानलेवा हरकत के कारण करनैलगंज की रेप पीड़िता की जान गई और अब जान जाने के बाद अब हरकत में आई पुलिस ने रेप पीड़िता की मौत के बाद अब अभियुक्त की गिरफ्तारी की है ।

गोण्डा की पुलिस जानलेवा हो चुकी है मुकदमो की विवेचना गुण दोष के आधार पर न करके अपनी जागीर समझते हुए की जाती है ।

गोण्डा के करनैलगंज में एक महिला के साथ गैंगरेप का मुकदमा कायम कराया गया । भ्रष्ट पुलिस वालों ने विवेचना करते हुए कानून का भी पोस्टमार्टम कर डाला सारे कानूनी प्रक्रिया को धता बताते हुए महिला का 164 का बयान होने के बाद जिसमे मृतक महिला ने दो अभियुक्तों का नाम भी लिया था जिसके बाद भी विवेचक करनैलगंज के अजीत प्रताप सिंह और बाद में क्राइम ब्रांच के परमानंद त्रिपाठी ने भी इसी एफआर की पुष्टि कर दी थी ।

पुलिस विवेचना को किस तरह से विवेचक न्यायिक प्रक्रिया को तोड़मरोड़ कर इस लेविल पर पहुचाया जिससे कि रेप पीड़िता ने उस भ्रष्ट और सड़े -गले सिस्टम के कारण आत्महत्या कर ली ।

कानून के जानकार बताते हैं कि 164 के बयान के बाद भी जिस तरह से रेप के मामले में एफआर लगाया गया एक तरह से इसने रेप पीड़िता को इस स्तर तक उकसाया जिससे रेप पीड़िता ने आत्महत्या कर लिया जिससे कि कानूनी क्रम में विवेचकों और इस विवेचना को पुष्ट करने वाले और मॉनिटर करने वाले सीओ के खिलाफ 306 आईपीसी के तहत आत्महत्या के लिए उकसाने का मुकदमा होना चाहिए ।

पुलिस कानून से ऊपर नही है यह घटना बताती है कि पुलिस के कुछ लोग मानवता खो चुके हैं कानून का डर उन्हें नही है और वह कानून के दायरे में नही आते हैं ।

पुलिस की दूषित विवेचना का बानगी मात्र है इसी तरह से अधिकतर विवेचना की जाती है उच्चाधिकारियों द्वारा लाभ लेकर किये गए गैरकानूनी काम से किसी की जीवन पर संकट आ जाये क्या इतने के बाद भी पुलिस अधिकारियों द्वारा अपने कर्तव्य निर्वहन नही किया गया तो पुलिस की छवि भी समाज की नजरों में गिरती चली जायेगी ।

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