भाजपा को जिताती मीडिया

भाजपा को जिताती मीडिया


डेस्क-पिछले साल कोबरा पोस्ट ने देश के लगभग हर बड़े मीडिया हाउस की नब्ज टटोलने का प्रयास किया था। कोबरा पोस्ट के पत्रकार पुष्प ने स्टिंग आपरेशन करते हुए यह साबित कर दिया कि पैसों केे खातिर हर मीडिया हाउस पेड न्यूज चलाने में गुरेज नहीं करना चाहता है।

कुछ मीडिया प्रबंधन तो इस बात के लिये भी तैयार थे कि वो किसी भी राजनीतिक दल के फेवर में प्रोग्राम भी डिजायन करने के लिये भी तैयार हैं। इनमें इंडिया टुडे, टाइम्स, एचटी, भास्कर,दैनिक जागरण, अमर उजाला, आज समेत देश के अन्य बड़े क्षेत्रीय भाषा के मीडिया हाउसों के मालिकों की बातचीत का वीडियो भी जारी किया गया था। तब मीडिया जगत में हड़कंप मच गया था।एक दो मीडिया के मालिकान अदलत चले गये थे।


लेकिन आज जिस तरह के सर्वे और डिबेट टीवी चैनलों पर दिखाई जाती है उससे साफ जाहिर होता है कि कोबरा पोस्ट का स्टिंग आपरेशन बिल्कुल सही है। देश
के लगभग सभी मीडिया समूह आजतक, इंडिया टीवी, ईटीवी, टाइम्स नाउ, आर पब्लिक, एबीपी, जी न्यूज, न्यूज 18 समूह आदि पर ऐसे ही प्रोग्राम दिन भर चलाये जा रहे हैं जिनमें सिवाए मोदी सरकार के कुछ भी नहीं दिखाया जाता है। दिन भर न्यूज एंकर डिबेट के नाम पर सरकार के पक्ष में गला फाड़ते रहते हैं। इनमें अंजना ओम कश्यप, रोहित सरदाना, श्वेता सिंह, अमीश देवगन,सुमित अवस्थी समेत अनेक मोदी भक्त एन्कर सरकार के गुणगान में जुटे रहते हैं। इनका प्रयास रहता है कि डिबेट के दौरान विपक्षी दलों के प्रतिनिधियों को घेर कर उन्हें और उनकी पार्टी को बेइज्जत करना होता है। इतना हीे नहीं ये लोग इन हाउस सर्वे कराकर लोगों के बीच यह भ्रांति भी फैलाने का काम करते हैं कि देश में उनके द्वारा किये गये सर्वे की पार्टी की ही जीत होने जा रही है। जबकि हकीकत इससे बिल्कुल विपरीत होती है। आजतक पर एक सर्वे प्रचारित किया जा रहा है कि उप्र में तो भाजपा की हालत गंभीर है वहीं वो बिहार में वो लोकसभा के चुनाव में 40 में 35 सीटें मिल रही हैं।

लेकिन बिहार में पिछले एक डेड़ साल में राजनीतिक हालात में बदलाव आया है। जब से नितीश कुमार ने महागठबंधन से नाता तोड़ बीजेपी से हाथ मिला कर फिर सरकार बनायी है तब से नितीश कुमार की छवि भी डैमेज हुई है लोगों को लगने लगा है कि नितीश कुमार सत्ता में बने रहने के लिये किसी से भी हाथ मिला सकते हैं और किसी भी हद तक जा सकते हैं। उन्होंने सत्ता पाने के लिये अपने धुर विरोधी लालू यादव से गठबंधन कर सत्ता पायी। लेकिन लगभग डेढ़ साल बाद यह कहते हुए लालू यादव और कांग्रेस के महागठबंधन से नाता तोड़ लिया कि वो भ्रष्टाचारियों के साथ सरकार नहीं चला सकते हैं। वहीं दूसरी ओर 2015 में अपनी विरोधी बीजेपी से गठबंधन कर सत्ता पाने में सफल रहे हैं। इससे यह साफ दिखने लगा है कि नितीश कुमार को अपने प्रदेश की जनता की कम अपने भविष्य की चिंता ज्यादा है। इसके अलावा पिछले डेढ़ दो साल में बिहार में क्राइम ग्राफ काफी तेजी से बढ़ रहा है। भ्रष्टाचार के भी कई घोटालों का खुलासा हुआ है जिसमें सरकार के मंत्री और अधिकारियों की संलिप्तता देखी गयी हे।

इससे भी प्रदेश सरकार की छवि धुंधली हुई है। समाज कल्याण मंत्रालय के महिला छात्रावासों में जिस प्रकार की अनियमितता और शोषण के मामले उजागर हुए हैं उससे भी सरकार की विश्वसनीयता पर सवालिया निशान लगे है। पूर्व महिला समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा के पति पर भी शोषण के आरोप लगे हैं। देशभर में हुई फजीहत के चलते नितीश कुमार ने मंत्री से इस्तीफा मांग लिया। लेकिन तब तक काफी देरहो चुकी थी। सरकार और पुलिस की काफी फजीहत हो चुकी थी।इस बीच राजेडी के नेता और पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने बिहार सरकार के खिलाफ मुहिम चलाते हुए उप चुनावों में नितीश कुमार को जबरदस्त हार का स्वाद चखाया। इस दौरान तेजस्वी यादव ने अपनी प्रतिभा और मेहनत से यह प्रूफ कर दिया कि राजद की कमान अब उनके हाथों में ही आने वाली है। ऐसे में ऐसे टीवी चैनल अपने फर्जी सर्वे के जरिये लोगों को किस हद तक भ्रमित कर पायेंगे यह तो समय ही बतायेगा। लेकिन बिहार के जो हालात नजर आ रहे हैं उनके अनुसार नितीश कुमार के साथ बीजेपी व अन्य एनडीए घटकों के भी होश उड़ाने वाले परिणाम आम चुनाव में आ सकते हैं।

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