शिखर श्रीवास्तव हत्याकांड -डॉ मृदुला आनंद व अन्य ने कई बार बदले थे बयान ,हाईकोर्ट लखनऊ बेंच में सोमवार को है सुनवाई

शिखर श्रीवास्तव हत्याकांड -डॉ मृदुला आनंद व अन्य ने कई बार बदले थे बयान ,हाईकोर्ट लखनऊ बेंच में सोमवार को है सुनवाई

हत्या के आरोप में नार्को टेस्ट से क्यों बच रही हैं देवीपाटन मंडल की सहायक शिक्षा निदेशक डॉ मृदुला आनन्द

नाम Dr Mridula Anand पहचान हत्या आरोपी ,कांड शिशिर हत्याकांड बाराबंकी ,

वर्तमान में काम देवीपाटन मंडल में सहायक बेसिक शिक्षा निदेशक

लखनऊ -एक अधिकारी को देखकर आपके मन में क्या ख्याल आ सकता है एक अधिकारी से यह उम्मीद की जा सकती है कि वह कुछ संजीदा बातें करेगा और अपने कर्तव्यों के अन्य कर्मचारियों से अलग हटकर काम करेगा। क्योंकि उसका पद बड़ा होता है लेकिन एक ऐसा अधिकारी जो देखने में भले ही एक आम इंसान दिखे लेकिन उसके ऊपर गंभीर प्रकार से हत्या के आरोप हो ।
तो आप क्या समझ सकते हैं हम बात कर रहे हैं देवीपाटन मंडल की अपर शिक्षा निदेशक मृदुला आनंद की मृदुला आनंद वही मृदुला आनंद जिनके ऊपर यह आरोप है कि उन्होंने शिशिर श्रीवास्तव नाम के व्यक्ति का हत्या करवाया और डेड बॉडी को बाराबंकी जिले के बदोसराय में फिकवा दिया गया मामला 2015 का है इस घटना के बाद जैसे मानो प्रदेश में भूचाल आ गया था क्योंकि मृदुला आनंद के पति डॉ विजय आनंद बसपा से पूर्व विधायक रहे हैं ।
जैसे यह मामला सुर्खियों में आया कि मामला हाई प्रोफाइल से जुड़ा हुआ था और जिसकी मौत हुई थी उसके पिता बहराइच में अधिवक्ता भी थे मामला काफी जब उफान पर आया इसकी पड़ताल होने लगी पीड़ित परिवार के लोगों ने वर्तमान सहायक शिक्षा निदेशक देवीपाटन मंडल मृदुला आनन्द और उनके पति सहित अन्य लोगों को नामजद किया पुलिस ने इस मामले में काफी छानबीन की और कई दिनों तक यह अधिकारी मृदुला आनन्द फरार रही अपने संबंधों के आधार पर अभियुक्तों ने मामले का की जांच सीबीसीआईडी को ट्रांसफर करवा दी ।

लेकिन यह मामला जब हाई कोर्ट लखनऊ बेंच में पहुंचा तब कोर्ट ने सीबीसीआईडी जांच को खारिज करते हुए यह कहा कि मामले की जांच बाराबंकी पुलिस द्वारा ही की जाएगी साथ ही यह भी नाराजगी व्यक्त की कि इतने दिनों तक 2015 का मामला होने के बाद भी आज तक यह मामला पेंडिंग ही रहने पर काफी नाराजगी भी व्यक्त की कोर्ट ने इस पर भी काफी नाराजगी व्यक्त की जांच अधिकारी और बाराबंकी के पुलिस अधीक्षक उच्च न्यायालय में खुद उपस्थित होकर इस मामले केस स्टेटस कोर्ट के सामने रखा तब यह भी तथ्य काफी सामने आया कि सीडी में यानी की केस डायरी में छेड़छाड़ की गई थी अगर बात करें शुरू से ही हाई प्रोफाइल मामले में अभियुक्तों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है .

जैसा कि पीड़ित पक्ष के लोगों ने आरोप भी लगाया है वर्तमान में बाराबंकी के सीजीएम न्यायालय में पुलिस द्वारा अभियुक्त यानी कि मृदुला आनन्द और उनके पति का नार्को टेस्ट कराने के लिए एप्लीकेशन भी दिया हुआ है जिसका निस्तारण अभी तक नहीं हुआ है ।

पीड़ित परिजनों की मांग है की शिखर श्रीवास्तव की लखनऊ में हत्या कर उसके शव को बाराबंकी के बदोसराय इलाके में बीते 19 जनवरी 2015 को फेकने का काम किया गया था। जिस मामले में बांसगांव के पूर्व विधायक डॉ विजय कुमार और उनकी पत्नी डॉ मृदुला आनन्द हत्या कांड की मुख्य आरोपी हैं, जिनके खिलाफ धारा 147, 148, 364, 302, 201 की संगीन धाराओं में नामजद मुकदमा लंबित है.


सोमवार को हाई कोर्ट लखनऊ बेंच में होनी है सुनवाई
लेकिन सोमवार को उच्च न्यायालय खंडपीठ लखनऊ में इस मामले की सुनवाई होनी है जिसमें यह माना जा रहा है कि पुलिस द्वारा अभी तक की गई विवेचना कोर्ट को फिर से बताया जाएगा ।


अब देखने वाली बात यह होगी वर्तमान में सहायक बेसिक शिक्षा निदेशक के पद पर देवीपाटन मंडल पर कार्य करने वाली महिला अधिकारी डॉ मृदुला आनन्द और उनके पति पुलिस की गिरफ्त से कब तक बाहर रहते हैं।


पीड़ित पक्ष का कहना है कि उनको न्यायालय की प्रक्रिया पर पूरा भरोसा है और पुलिस द्वारा भी इस मामले में काफी छानबीन की गई है। उनका कहना है कि इस मामले को दबाने का काफी प्रयास किया गया लेकिन मामला नारको टेस्ट तक जो पहुंचा है पुलिस पूरी तरीके से तत्परता से प्रयास कर रही है कि इस मामले का निस्तारण जल्दी से जल्दी किया जाए क्योंकि हाई कोर्ट ने भी इस मामले के 2015 से लगातार लंबित रहने पर भी नाराजगी जताई थी और यह भी कहा था किसी न्यायालय में जो नारको टेस्ट के प्रार्थना पत्र का निस्तारण का मामला चल रहा है उसका भी निस्तारण जल्दी से जल्दी किया जाए।
बता दें कि इस मामले में हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच लगातार मॉनिटरिंग कर रही है और कंटेंट की कोर्ट में पुलिस अधीक्षक बाराबंकी खुद भी अपीयर हो चुके हैं और विवेचक भी लगातार उपस्थित हो रहे हैं।
इस बारे में जब डॉक्टर मृदुला आनन्द से बात की गई तो उन्होंने कहा कि बाराबंकी कोर्ट में जो भी मामला चल रहा है उसकी प्रक्रिया के बारे में उनके संज्ञान में नहीं है और यह सारा मामला उनके पति ही देखते हैं।

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