साइनस क्या हैं ,आइए जानते हैं उसके लक्षण और आयुर्वेदिक उपचार

साइनस क्या हैं ,आइए जानते हैं उसके लक्षण और आयुर्वेदिक उपचार

डेस्क- नाक, मस्तिष्क और आंखों के अंदरूनी हिस्सों में मौजूद इन खोखली जगहों को ही साइनस कहते हैं। जब इन खोखली जगहों यानी साइनस में बाधा आती है तो बलगम आसानी से नहीं निकाल पाता। इस स्थिति को ही साइनोसाइटिस कहते हैं।

साइनोसाइटिस यानी साइनस ऐसी ही बीमारी है। थोड़ी सी सावधानी इसके लक्षण पहचानने और इसके इलाज में भरपूर मदद करेगी। आयुर्वेद में क्या-क्या हैं साइनस के इलाज,आइये जानते हैं|

हमारे चेहरे में कई जगहें ऐसी होती हैं, जो पूरी तरह से खोखली होती हैं।

आयुर्वेद में उपचार


आयुर्वेद में इस बीमारी को प्रतिश्याय कहा जाता है। इसके हिसाब से वात, पित्त और कफ का सही समायोजन हर इंसान को स्वस्थ रखता है, जबकि प्रतिश्याय होने पर वात और कफ बढ़ जाता है। मतलब इनका संतुलन बिगड़ जाता है, जो इस बीमारी का कारण बनता है।

क्या हैं लक्षण

इसमें मरीज अकसर कब्ज का शिकार रहता है। पेट खराब रहना आजकल ज्यादातर लोगों की समस्या है ही। अकसर लोग गलत खानपान पर इसका दोष मढ़ कर निश्चिंत हो जाते हैं, जबकि ये साइनस का संकेत भी हो सकता है। इसके कुछ संकेत चेहरे में अलग-अलग जगहों पर दर्द के रूप में भी मिलते हैं।

रसोई से इलाज


इसका इलाज आसानी हर रसोई घर में मिलने वाली हल्दी में छिपा है। इसका ज्यादा से ज्यादा सेवन करना सही रहता है। हल्दी को दूध में मिलाकर पीना भी काफी लाभकारी होता है।

काढ़ा है कारगर


काली मिर्च का काढ़ा दिन में दो बार सुबह-शाम लेने से काफी आराम मिलता है। इसे गुनगुनी चाय की तरह धीरे-धीरे पिएं। काढ़े में 5 काली मिर्च, 10 तुलसी की पत्ती, 3 ग्राम कुटा हुआ अदरक और एक कप पानी लें। सारी सामग्री को पानी में डाल कर तब तक उबालें, जब तक ये आधा ना रह जाए।

बचपन से होता है शुरू


बच्चों में एक साल की उम्र से ही साइनस की शुरुआत हो सकती है।
बच्चे में अगर कोल्ड बना रहता है तो ये साइनस के संकेत हो सकते हैं।

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