केजरीवाल ने धरना देने की प्रथा को जिंदा किया

केजरीवाल ने धरना देने की प्रथा को जिंदा किया

कुछ भी अण्णा के आंदोलन से किसी को फायदा हुआ हो या नहीं लेकिन केजरीवाल एण्ड कंपनी को सियासत करने का मौका मिल गया है। वैसे इस आंदोलन से पूर्व आईपीएस किरण बेदी ने भी सियासी पारी खेलने का मौका जरूर तलाशा लेकिन वो केजरीवाल की तरह मेन स्ट्रीम में शामिल होने में सफल नहीं हुई लेकिन वो इतनी खुशकिस्मत नहीं थीं शायद। कुछ भी कहो केजरीवाल है बड़ ही जीवट टाइप का आदमी। कितनी बार पिटा, लोगों ने गालियां बकीं। मुकदमे चलाये लेकिन पट्ठा इरादों का बड़ा मजबूत निकला। जब देखो किसी न किसी के खिलाफ धरना देता रहता था। लोगों ने उसका नाम धरना कुमार ही रख दिया।

काफी समय बाद कोई ऐसा मुख्यमंत्री लोगांें को देखने को मिला जो सीएम होते हुए देश की राजधानी दिल्ली में धरने पर बैठा। केन्द्र सरकारों ने उसे शहरी आतंकी कहा, उसे गिरफ्तार कर जेल तक भेज दिया। कई दिग्गज नेताओं और मंत्रियों ने उस पर मानहानि का आपराधिक केस भी चलाया। लोगों ने यह भी कहा कि कुछ दिनों में ही आम आदमी पार्टी का वजूद खत्म हो जायेगा। लेकिन पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने लोगों के मंसूबों पर पानी फेर दिया। शीला दीक्षित जैसी दिग्गज कांग्रेसी नेता और 15 साल तक दिल्ली में राजकरने वाली मुख्यमंत्री को ऐसा मजा चखाया कि वो इस हार को कभी भी नहीं भुला सकती है।

केजरीवाल की हठधर्मिता शायद अब लोगों को समझ में आने लगी है। इसके महत्व को देखते हुए हाल ही में वेस्ट बंगाल की सीएम ममता दीदी ने भी लगातार तीन दिनों तक कोलकाता में धरना दिया। उनके धरने से मोदी सरकार के छक्के छूट गये। सबसे बड़ी बात यह रही कि दीदी पीएम की रेस में सबसे आगे देखी जा रही हैं। साथ ही लोगों की सहानुभूति भी खूब बटोरी।

ममता दीदी के बाद धरना देने की बारी अब टीडीपी नेता और आन्ध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू ने दिल्ली के आन्ध्र भवन पर एक दिन का सांकेतिक धरना दिया। उन्होंने कहा कि वो मोदी को चैन से बैठने नहीं देंगे। मोदी और शाह ने आंध्र प्रदेशवासियों के साथ धोखा दिया है। उन्होंने एनडीए की सरकार केन्द्र में बनने के समय आन्ध्र को विशेष राज्य देने का वादा किया था लेकिन पांच साल बीतने जा रहे हैं लेकिन वो अब वादा खिलाफी कर रहे हैं।

विनय गोयल

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