कैसे करें भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न बिल्वपत्र अर्पण द्वारा

कैसे करें भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न बिल्वपत्र अर्पण द्वारा

बेलपत्र से भगवान शिव का पूजन करने से समस्त सांसारिक सुख की प्राप्ति होती है, धन-सम्पति की कभी भी कमी नहीं होती है।

धर्मडेस्क--भगवान शिव की पूजा में बिल्व पत्र यानी बेल पत्र का विशेष महत्व है। महादेव एक बेलपत्र अर्पण करने से भी प्रसन्न हो जाते है, इसलिए तो उन्हें आशुतोष भी कहा जाता है।बिल्व तथा श्रीफल नाम से प्रसिद्ध यह फल बहुत ही काम का है। यह जिस पेड़ पर लगता है वह शिवद्रुम भी कहलाता है। बिल्व का पेड़ संपन्नता का प्रतीक, बहुत पवित्र तथा समृद्धि देने वाला है।


शिव पुराण अनुसार श्रावण मास में सोमवार को शिवलिंग पर चढ़ाने से एक करोड़ कन्यादान के बराबर फल मिलता है। पण्डित दयानन्द शास्त्री ने बताया कि शिवलिंग का बिल्व पत्र से पूजन करने पर दरिद्रता दूर होती है और सौभाग्य का उदय होता है। बिल्ब पत्र से भगवान शिव ही नहीं उनके अंशावतार बजरंग बली प्रसन्न होते हैं।

शिवपुराण के अनुसार घर में बिल्व वृक्ष लगाने से पूरा कुटुम्ब विभिन्न प्रकार के पापों के प्रभाव से मुक्त हो जाता है। जिस स्थान पर बिल्ववृक्ष होता है उसे काशी तीर्थ के समान पूजनीय और पवित्र माना गया है। ऐसे स्थान पर साधना अराधना करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।

बेल के पत्ते शंकर जी का आहार माने गए हैं, इसलिए भक्त लोग बड़ी श्रद्धा से इन्हें महादेव के ऊपर चढ़ाते हैं। शिव की पूजा के लिए बिल्व-पत्र बहुत ज़रूरी माना जाता है। शिव-भक्तों का विश्वास है कि पत्तों के त्रिनेत्रस्वरूप् तीनों पर्णक शिव के तीनों नेत्रों को विशेष प्रिय हैं।

ज्योतिर्विद पण्डित दयानन्द शास्त्री के अनुसार बिल्व पत्र के वृक्ष को ” श्री वृक्ष ” भी कहा जाता है इसे ” शिवद्रुम ” भी कहते है। बिल्वाष्टक और शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव को बेलपत्र अत्यंत प्रिय है। मान्यता है कि बेल पत्र के तीनो पत्ते त्रिनेत्रस्वरूप् भगवान शिव के तीनों नेत्रों को विशेष प्रिय हैं। बिल्व पत्र के पूजन से सभी पापो का नाश होता है ।स्कंदपुराण’ में बेल पत्र के वृक्ष की उत्पत्ति के संबंध में कहा गया है कि एक बार माँ पार्वती ने अपनी उँगलियों से अपने ललाट पर आया पसीना पोछकर उसे फेंक दिया , माँ के पसीने की कुछ बूंदें मंदार पर्वत पर गिरीं, कहते है उसी से बेल वृक्ष उत्पन्न हुआ।

  • शास्त्रों के अनुसार इस वृक्ष की जड़ों में माँ गिरिजा, तने में माँ महेश्वरी, इसकी शाखाओं में माँ दक्षयायनी, बेल पत्र की पत्तियों में माँ पार्वती, इसके फूलों में माँ गौरी और बेल पत्र के फलों में माँ कात्यायनी का वास हैं।
  • बिल्व का पेड़ संपन्नता का प्रतीक, बहुत पवित्र तथा समृद्धि देने वाला है। मान्यता है कि बिल वृक्ष में माँ लक्ष्मी का भी वास है अत: घर में बेल पत्र लगाने से देवी महालक्ष्मी बहुत प्रसन्न होती हैं, जातक वैभवशाली बनता है।
  • बेलपत्र से भगवान शिव का पूजन करने से समस्त सांसारिक सुख की प्राप्ति होती है, धन-सम्पति की कभी भी कमी नहीं होती है।
  • बेलपत्र के पेड़ की टहनी से चुन-चुनकर सिर्फ बेलपत्र ही तोड़ना चाहिए, कभी भी पूरी टहनी नहीं तोड़ना चाहिए।

पण्डित दयानन्द शास्त्री बताते हैं कि शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पित करने से महादेव शीघ्र प्रसन्न होते हैं। मान्यता है कि भगवान शिव की आराधना बेलपत्र के बिना पूरी नहीं होती। लेकिन एक बेलपत्र में तीन पत्तियां अवश्य ही होनी चाहिए.तभी वह बिलपत्र शिवलिंग पर चढ़ने योग्य होता है ।भगवान शंकर को बिल्व पत्र बेहद प्रिय हैं। भांग धतूरा और बिल्व पत्र से प्रसन्न होने वाले केवल शिव ही हैं। शिवरात्रि के अवसर पर बिल्वपत्रों से विशेष रूप से शिव की पूजा की जाती है। तीन पत्तियों वाले बिल्व पत्र आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं, किंतु कुछ ऐसे बिल्व पत्र भी होते हैं जो दुर्लभ पर चमत्कारिक और अद्भुत होते हैं।

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