Astrology: आखिर क्यों शनिवार के दिन ही पीपल के पेड़ की पूजा की जाती हैं

Astrology: आखिर क्यों शनिवार के दिन ही पीपल के पेड़ की पूजा की जाती हैं

Astrology: हिंदु दर्शन में लिखा गया है कि पीपल के पत्ते पत्ते में देवताओं खास कर विष्णु भगवान का वास होता है।

डेस्क-अधिकतर पेड़ दिन में आक्सीजन छोड़ते हैं और कार्बनडाइआक्साईड ग्रहण करते हैं। जबकि इंसानों के विपरित रात को सभी वृक्ष कार्बन-डाइआक्साईड छोड़ते हैं व आक्सीजन लेते हैं। इन्हीं कारणों से ये कहा जाता है कि रात को वृक्ष के नीचे सोना नहीं चाहिए।

शनिवार को केसे करे पूजा

हिंदू धर्म में पीपल वृक्ष का बहुत महत्व है। इसे सभी वृक्ष से शुद्ध और पूजनीय माना गया है। हिंदु दर्शन में लिखा गया है कि पीपल के पत्ते पत्ते में देवताओं खास कर विष्णु भगवान का वास होता है। हालांकि इसे पूजने के पीछे कुछ वैज्ञानिक कारण भी हैं। शनिवार के दिन शनिदेव के साथ इसकी भी काफी पूजा की जाती है कहते हैं इससे काम में सफलता मिलती है। इसके पूजन के कुछ नियम भी हैं कहते हैं इस नियम के साथ जो पूजन करता है वो कष्‍टों से मुक्‍त हो जाता है|

वैज्ञानिक कारण

लेकिन वैज्ञानिकों के अनुसार पीपल एकमात्र ऐसा वृक्ष है जो 24 घंटे आक्सीजन ही छोड़ता है इसलिए इसके पास जाने से कई रोग दूर होते हैं और शरीर स्वस्थ रहता है। इसलिए इसे पूजा जाता है।
धार्मिक कारण

  • पीपल के वृक्ष के पूजन के पीछे रोचक धार्मिक कारण भी हैं।
  • श्रीमद्भगवदगीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि ‘अश्वत्थ: सर्ववृक्षाणाम, मूलतो ब्रहमरूपाय मध्यतो विष्णुरूपिणे, अग्रत: शिवरूपाय अश्वत्थाय नमो नम:’ यानी मैं वृक्षों में पीपल हूं।
  • पीपल के मूल में ब्रह्मा जी, मध्य में विष्णु जी व अग्र भाग में भगवान शिव जी साक्षात रूप से विराजित हैं।
  • भारतीय परंपरा में भी पेड़ पौधों को देवताओं का रुप मानकर पूजा जाता है।


शुभ फल

  • पीपल के पेड़ में नियमित रुप से जल चढ़ाने से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
  • शत्रुओं का नाश होता है साथ ही सुख संपत्ति, धन-धान्य, ऐश्वर्य, संतान सुख की भी प्राप्ति होती है। इसकी पूजा से ग्रह दोषों से भी निवारण मिलता है।
  • कई लोग अमावस्या और शनिवार को पीपल वृक्ष की पूजा में विश्वास रखते हैं।
  • ऐसा करने से सारी परेशानियां दूर होती हैं।
  • पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाने से काफी लाभ मिलता है।

हर दिन ये करना संभव नहीं हो पाए, तो प्रत्येक शनिवार भी को ये करना लाभदायक सिद्ध होता है।

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