महाशिवरात्रि पर कैसे करें महादेव को प्रसन्न, जानिए पूजा विधि

महाशिवरात्रि पर कैसे करें महादेव को प्रसन्न, जानिए पूजा विधि

सूर्योदय के समय पुष्पांजलि और स्तुति कीर्तन के साथ महाशिव रात्रि का पूजन संपन्न होता है|


डेस्क- महाशिवरात्रि में किसी भी प्रहर अगर भोले बाबा की आराधना की जाए, तो मां पार्वती और भोले त्रिपुरारी दिल खोलकर कर भक्तों की कामनाएं पूरी करते हैं. महाशिवरात्रि पर पूरे मन से कीजिए शिव की आराधना और पूरी कीजिए अपनी हर कामना

महाशिवरात्रि हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है. यह भगवान शिव के पूजन का सबसे बड़ा पर्व भी है. फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाता है. माना जाता है कि सृष्टि के प्रारंभ में इसी दिन मध्यरात्रि को भगवान शंकर का ब्रह्मा से रुद्र के रूप में अवतरण हुआ था.

कैसे करें महाशिवरात्रि में पूजा

  • इस दिन शिव की पूजा किस तरह से की जाती है. सबसे पहले मिट्टी के बर्तन में पानी भरकर, ऊपर से बेलपत्र, धतूरे के पुष्प, चावल आदि डालकर शिवलिंग पर चढ़ायें.
  • अगर घर के आस-पास में शिवालय न हो, तो शुद्ध गीली मिट्टी से ही शिवलिंग बनाकर भी उसे पूजा जा सकता है.
  • इस दिन शिवपुराण का पाठ सुनना चाहिए. रात्रि को जागरण कर शिवपुराण का पाठ सुनना हरेक व्रती का धर्म माना गया है.
  • इसके बाद अगले दिन सवेरे जौ, तिल, खीर और बेलपत्र का हवन करके व्रत समाप्त किया जाता है.
  • यह दिन भगवान शंकर का सबसे पवित्र दिन है. यह अपनी आत्मा को पुनीत करने का महाव्रत है.
  • इस व्रत को करने से सब पापों का नाश हो जाता है. हिंसक प्रवृत्ति बदल जाती है. निरीह जीवों के प्रति आपके मन में दया भाव उपजता है.
  • महाशिवरात्रि को दिन-रात पूजा का विधान है. चार पहर दिन में शिवालयों में जाकर शिवलिंग पर जलाभिषेक कर बेलपत्र चढ़ाने से शिव की अनंत कृपा प्राप्त होती है.
  • साथ ही चार पहर रात्रि में वेदमंत्र संहिता, रुद्राष्टा ध्यायी पाठ ब्राह्मणों के मुख से सुनना चाहिए.
  • सूर्योदय से पहले ही उत्तर-पूर्व में पूजन-आरती की तैयारी कर लेनी चाहिए.
  • सूर्योदय के समय पुष्पांजलि और स्तुति कीर्तन के साथ महाशिव रात्रि का पूजन संपन्न होता है. उसके बाद दिन में ब्रह्मभोज भंडारा के द्वारा प्रसाद वितरण कर व्रत संपन्न होता है.
  • शिव को महादेव इसलिए कहा गया है कि वे देवता, दैत्य, मनुष्य, नाग, किन्नर, गंधर्व पशु-पक्षी व समस्त वनस्पति जगत के भी स्वामी हैं.
  • शिव का एक अर्थ कल्याणकारी भी है. शिव की अराधना से संपूर्ण सृष्टि में अनुशासन, समन्वय और प्रेम भक्ति का संचार होने लगता है.
  • इसीलिए, स्तुति गान कहता है- मैं आपकी अनंत शक्ति को भला क्या समझ सकता हूं.
  • अतः हे शिव, आप जिस रूप में भी हों उसी रूप को मेरा आपको प्रणाम.
  • शिव और शक्ति का सम्मिलित स्वरूप हमारी संस्कृति के विभिन्न आयामों का प्रदर्शक है.
  • हमारे अधिकांश पर्व शिव-पार्वती को समर्पित हैं. शिव औघड़दानी हैं और दूसरों पर सहज कृपा करना उनका सहज स्वभाव है.
  • 'शिव' शब्द का अर्थ है ‘कल्याण करने वाला’. शिव ही शंकर हैं.
  • शिव के 'शं' का अर्थ है कल्याण और 'कर' का अर्थ है करने वाला.
  • शिव, अद्वैत, कल्याण- ये सारे शब्द एक ही अर्थ के बोधक हैं. शिव ही ब्रह्मा हैं, ब्रह्मा ही शिव हैं.

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