जाने दधीचि कुंड किस लिए है प्रसिद्ध

जाने दधीचि कुंड किस लिए है प्रसिद्ध

सीतापुर -सीतापुर जिले में विश्व विख्यात नैमिषारण्य से 10 किलोमीटर की दूरी पर मिश्रिख है जिसकी प्रसिद्धि दधीचि कुंड के कारण है। कथा है कि एक बार समस्त देवता और इंद्र वृत्तासुर राक्षस से पराजित हो गए। ब्रह्मा और विष्णु जी ने देवताओं से कहा की वृत्तासुर को पराजित करने के लिए ऋषि दधीचि की हड्डियों से यदि एक धनुष बनाया जाय तभी उस धनुष से इस राक्षस को मारा जा सकता है ।

दधीचि ऋषि उस समय घोर जंगल में तप में लीन थे और उस स्थान का पता लगा पाना बहुत कठिन था। देवताओं ने भगवान विष्णु से इसमें सहायता का आग्रह किया। इस पर भगवान ने अपना सुदर्शन चक्र फ़ेंक कर कहा कि जहां यह चक्र गिरेगा उसी के पास में ऋषि दधीचि तप करते हुए मिलेंगे । यह चक्र नैमिषारण्य में गिरा जहाँ पर आज भी चक्र तीर्थ है। चक्र की नेमि (धुरी) इस स्थान पर गिरने के कारण ही इस स्थान का नाम नैमिषारण्य हुआ । इसके पास में मिश्रिख में ऋषि दधीचि ताप करते हुए मिले। इन्द्रदेव और सभी देवों ने ऋषि से अपनी हड्डियां देने का आग्रह किया जिससे राक्षस वृत्तासुर का वध किया जा सके। ऋषि ने देव कल्याण के लिए यह अनुरोध स्वीकार कर लिया पर कहा कि वह मृत्यु से पहले सभी तीर्थों के जल से स्नान करना चाहते हैं । इंद्र ने वरुण देव से सभी तीर्थों से जल लाकर एक कुंड में डालने को कहा । यह कुंड आज भी मिश्रिख में है । क्योंकि इस कुंड में सभी तीर्थों का जल मिश्रित था अतः इस स्थान का नाम भी मिश्रित पड़ा। अब इस स्थान को मिश्रिख या मिसरिख भी कहते हैं |

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रिपार्ट सुमित बाजपेयी

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