समय कितना बलवान यह तस्वीर बयां करती है

समय कितना बलवान यह तस्वीर बयां करती है

पैसा और शोहरत ही सब कुछ नहीं होता, लोकसंग्रह कीजिए

डेस्क -जमीन पर बैठे ये महाशय सजल चक्रवर्ती हैं। पूर्व मुख्य सचिव झारखंड। चारा घोटाले में दोषी घोषित हुए सजल चक्रवर्ती के न जाने कितने अफसर पैर छूते रहे होंगे, लेकिन आज इनकी बेबसी देख बड़ी तकलीफ़ हुई।

आजकल इनका वजन 150 किलो के आसपास है, कई बीमारियों से ग्रसित हैं, ठीक से चल नहीं पाते। रांची कोर्ट पहली मंज़िल में पेशी थी, एक सीढ़ी घसीटकर उतरे फिर दूसरी सीढ़ी पहुंचने के लिए खुद को घसीट रहे थे। माता-पिता नहीं रहे। भाई सेना में बड़े अफसर थे, अब नहीं रहे। जिसको गोद लिए उसकी शादी हो गई। उसे भी मतलब नहीं है इनसे। घर में कुछ बंदर और कुत्ते पाल रखे हैं, ये शानो शौकत, पैसे सब निर्रथक सिद्ध हुए। अब बस मौत ही इनका कष्ट दूर कर सकती है।

जरा सोचिये, कल तक बड़े-बड़े अधिकारी जिनकी गाड़ी का दरवाज़ा खोलने को आतुर थे। वही आज दुनिया के सामने जमीन पर असहाय पड़े थे। इन्होंने दो शादियां कीं मगर दोनों पत्नियों ने तलाक ले लिया। कोर्ट में सबका कोई न कोई आया था, पर यह अकेले थे। इसकी वजह शायद यह भी हो कि जब यह पद पर रहे होंगे इन्होंने अधिकारी वर्ग को छोड़ किसी की मदद न की होगी। अगर की होती तो आज कोई न कोई उनके लिए खड़ा रहता। इसलिए जब हम सामर्थ्यवान हों तो हमें दूसरे की मदद जरूर करनी चाहिए। जिससे कि लोग बाद में भी आपको याद करें, आपके साथ हों, पैसे कमाना बड़ी बात नहीं होती। धनसंग्रह पर हमेशा लोकसंग्रह भारी पड़ता है, यह सर्वविदित और जगजाहिर है। इसलिए जीवन में जीवंतता और मिलनसारिता बनाए रखिए।

ज़ुबैर खान (मीडिया शिक्षाविद् और सलाहकार)

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