LOk Sabha Election 2109 - क्या है सीतापुर कि जनता का मूड

LOk Sabha Election 2109 - क्या है सीतापुर कि जनता का मूड

सीतापुर- लोकसभा चनावों का बिगुल बजते ही सभी राजनैतिक दलो ने चुनावी समर में अपनी-अपनी जीत के दावे करने भी शुरू कर दिए हैं। पूरे देश कि तरह यूपी की सीतापुर लोकसभा सीट के लिए भी नेताओ के साथ ही जनता भी चुनावो को लेकर काफी उत्सुक है। लेकिन इस बार जनता बदलाव करने के मूड में दिखाई दे रही है । 2004 में हुए परिसिमन के बाद से सीतापुर सीट के समीकरण काफी बदल गए।

मुस्लिम, बाह्मण व दलित समाज के लोग जिस पार्टी कि ओर अपना रुख कर लेंगे उसी का उम्मीदवार जीत की दहलीज़ तक पहुंचेगा। यही वजह है कि बीते 2004 के लोकसभा चुनाव में बसपा ने अपने जीते हुए प्रत्याशी का टिकट काट कर एक मुस्लिम महिला कैसर जहां को प्रत्याशी बनाया था। बसपा का ये फैसला तुरुप का इक्का साबित हुआ था। सन 1950 में संविधान बनने के बाद सन 1952 में हुए पहले आम चुनावो से लेकर अब तक कम्युनिस्ट पार्टी को छोड़कर सभी बड़े राजनैतिक दलो ने इस सीट पर जीत क स्वाद चखा है। यहाँ के मतदाताओ ने कांग्रेस के उम्मीदवारो को सात बार लोकसभा तक पहुंचाया है|
एक बार कांग्रेस से मोह भंग होने के बाद यहाँ कि जनता ने अन्य पार्टियो पर भी विश्वास करके उन्हें संसद का रास्ता दिखाया। लेकिन जनता कि उम्मीदो पर कोई भी खरा नही उतरा। बीते तीन चुनावो में जनता ने बसपा पर भरोसा किया, लेकिन जनता को उसने भी ठगने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उसके बाद मौजूदा समय मे बीजेपी के सांसद राजेश वर्मा को भी तिबारा बीजेपी से मौका मिला। मगर उन पर अपने क्षेत्र पर न दिखाने का आरोप जनता लगा रही है। इस सीट पर हर बार चुनावो से पहले जनता से वही चिरपरिचित वादे किये जाते है।
संसदीय सीट के लिए महत्वपूर्ण मुद्दे आज भी वही है, जो 1952 के पहले आम चुनावो में थे। बाढ़ से राहत, शिक्षा, स्वास्थ्य समेत तमाम बुनियादी सुविधाओं की कमी का निपटारा आज भी नहीं हो पाया है। इस बार पूरे देश कि तरह ही सीतापुर संसदीय क्षेत्र की जनता भी बदलाव चाहती है। लोगो का अब यह भी मानना है की अब ईमानदार लोगो को ही संसद के दरवाजे तक पहुंचना चाहिये।
रिपोर्ट सुमित बाजपेयी

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