Chaitr Navratri 2019 किस तरह से रखे व्रत और करें पूजन

Chaitr Navratri 2019 किस तरह से रखे व्रत और करें पूजन

Chaitr Navratri 2019 Celebration

इस इस वर्ष Chaitr Navratri 2019 में जानें कब किया जायेगा अष्टमी ब्रत ?और राम नवमी कब होगी ? कब होगा नवमी का हवन? एवं कब होगा नवरात्रो का पारण?*

इस वर्ष 2019 में चैत्र शुक्लपक्ष की अष्टमी तिथि को नवरात्रि अष्टमी तिथि मनाई जाती है। वहीं चैत्र शुक्लपक्ष की नवमी तिथि को नवमी तिथि को रामनवमी मनाई जाती है। इस दिन कन्याओं का पूजन कर नवरात्रि के नौ दिनों के व्रत का पारण किया जाता है। इस बार नवमी तिथि 13 अप्रैल की सुबह 8.19 बजे से 14 अप्रैल की सुबह 6.04 बजे तक है। इसलिए 13 अप्रैल दिन शनिवार को महानवमी का व्रत होगा।

पण्डित दयानन्द शास्त्री ने बताया कि शनिवार को अभिजीत मुहूर्त 11.56 बजे से 12.47 बजे के बीच है। इसी दौरान जन्मोत्सव होगा। उनके अनुसार नवमी तिथि 13 अप्रैल की सुबह 8.19 बजे से 14 अप्रैल की सुबह 6.04 बजे तक है पर शनिवार को ही चैत्र शुक्ल नवमी तिथि का पुनर्वसु नक्षत्र और कर्क लग्न में मघ्याह्न काल पड़ रहा है। इसी समय भगवान का जन्म हुआ था। इसलिए शनिवार को ही रामनवमी शास्त्र सम्मत है।

ज्योतिषाचार्य पण्डित दयानन्द शास्त्री ने बताया कि Chaitr Navratri 2019 इस वर्ष रामनवमी पर इस बार गौरीयोग, निपुण योग और बुधादित्य योग बन रहा है जो अति फलदायी है।

पण्डित दयानन्द शास्त्री के अनुसार चंद्रम के केंद्र में स्वग्रही होने से गौरी योग बनेगा, जबकि सूर्य चंद्रमा के साथ रहने पर दोनों के बीच दस डिग्री का अंतर होने से निपुण योग बनेगा।

इस बार राम नवमी पुष्य नक्षत्र के योग में है। पुष्य नक्षत्र सभी 27 नक्षत्रों में सबसे सर्वश्रेष्ठ नक्षत्र माना गया है। भगवान राम का जन्म पुष्य नक्षत्र में ही हुआ था।

इस प्रकार इस वर्ष प्रतिपदा तिथि 6 अप्रैल 2019 को सूर्योदय 5 बजकर 47 मिनट से शुरु हुई थी वहीं 12 अप्रैल 2019 दिन शुक्रवार को सुबह 10:18 बजे से 13 अप्रैल दिन शनिवार को सुबह दिन में 08:16 बजे तक अष्टमी तिथि होगी अतः उदया तिथि अष्टमी होने के कारण अष्टमी ब्रत भी 13 अप्रैल को ही किया जायेगा ।उसके बाद नवमी तिथि लग जाएगी।

13 अप्रैल दिन शनिवार को महानवमी का व्रत भी होगा क्योंकि 13 अप्रैल को सुबह 08:16 बजे के बाद ही नवमी तिथि लग जाएगी जो 14 अप्रैल की सुबह 6 बजे तक ही विद्यमान रहेगी।

अतः नवमी तिथि में ही नवरात्र सम्बंधित हवन -पूजन 13अप्रैल को दिन में 8:16 के बाद से लेकर 14 अप्रैल को प्रातः 06:00 बजे के पूर्व किसी भी समय किया जा सकता है। नवरात्र ब्रत का पारण दशमी तिथि 14 अप्रैल दिन रविवार को प्रातः काल 6 बजे के बाद किया जाएगा। साथ ही 13 अप्रैल दिन शनिवार को मध्यान्ह नवमी तिथि होने के कारण प्रभु श्री राम की जयतीं यानी रामनवमी का पुण्य पर्व भी मनाया जाएगा।

नवरात्रि के व्रत के बाद नवमी के दिन उत्तर भारत के कई राज्यों में कन्या पूजन किया जाता है। इस बार नवरात्रि में के नवें दिन रामनवमी का त्योहार मनाया जाता है।

इस दिन (रविवार) 14 अप्रैल को नवमी वैष्णव मतानुसार महानवमी रवीपुष्य नक्षत्र और सर्वार्थसिद्धि योग सुबह 9 बजकर 37 मिनट तक होगा।

ज्योतिषी पण्डित दयानन्द शास्त्री ने बताया कि श्रीराम के अवतरित होने की प्रचलित मान्यता चैत्र मास, शुक्ल पक्ष, नवमी तिथि, मध्याह्न काल और पुनर्वसु नक्षत्र है।

12 अप्रैल 2019 दिन शुक्रवार को सुबह 10:18 बजे से 13 अप्रैल दिन शनिवार को सुबह दिन में 08:16 बजे तक अष्टमी तिथि होगी उसके बाद नवमी तिथि लग जाएगी। 13 अप्रैल दिन शनिवार को महानवमी का व्रत होगा क्योंकि 13 अप्रैल को सुबह 08:16 बजे के बाद ही नवमी तिथि लग जाएगी।

पूजन से साढ़े साती व ढय्या में होगा लाभ---
पण्डित दयानन्द शास्त्री ने बताया कि शनिवार को पुष्य नक्षत्र युक्त नवमी तिथि के कारण रामनवमी पर भगवान की पूजा करने से शनि की साढ़े साती और ढय्या के साथ महादशा व अंतर्दशा से परेशान लोगों का लाभ मिलेगा। इससे उनकी समस्या दूर होगी। नवमी तिथि होने से माता दुर्गा को अपराजिता फूल, ईत्र व अबरख चढ़ाने से मनोवांक्षित फल की प्राप्ति होगी। शनि और राहू ग्रह के प्रकोप से भी शांति मिलेगी।

गुरु और सूर्य की बढ़िया स्थिति से पूजन लाभदायी ---
ज्योतिषी दयानन्द शास्त्री के अनुसार श्रीराम के अवतरित होने की प्रचलित मान्यता चैत्र मास, शुक्ल पक्ष, नवमी तिथि, मध्याह्न काल और पुनर्वसु नक्षत्र है।
13 अप्रैल 2019 को दोपहर 12 बजे कर्क लग्न, कर्क राशि के साथ गुरु और सूर्य की उत्तम पूजा, भक्ति, सत्संग व मनोकामना पूर्ति के लिए श्रीराम जन्मोत्सव मनाना श्रेष्ठ है।

पूजन के साथ उपवास भी रखेंगे श्रद्धालु ---
ज्योतिषी पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार रामनवमी की पूजा में पहले देवताओं पर जल, रोली और लेपन चढ़ेगा। फिर मूर्तियों पर मुट्ठी भरके चावल चढ़ाया जाएगा। पूजा के बाद आरती की जाएगी। नारद पुराण के अनुसार रामनवमी के दिन भक्तों को उपवास करना चाहिए। श्री राम जी की पूजा-अर्चना करने के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए। गाय, भूमि व वस्त्र आदि का दान देना चाहिए।

रावण के अंत के लिए रामावतार---
धर्मशास्त्रों के अनुसार Chaitr Navratri 2019 राम नवमी के ही दिन त्रेता युग में महाराज दशरथ के घर विष्णु जी के अवतार भगवान श्री राम का जन्म हुआ था। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम का जन्म रावण के अंत के लिए हुआ था। श्रीराम का राज सुशासन मर्यादित व्यवहार और सदाचारयुक्त शासन के लिए याद किया जाता है। उत्तर भारत समेत देश के कई हिस्सों में रामनवमी का त्योहार पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु अयोध्या आते हैं। सरयू नदी में स्नान कर भगवान के मंदिर में जाकर भक्तिपूर्वक उनकी पूजा-अर्चना करते हैं।

पंडित दयानंद शास्त्री

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