विश्व फालुन दाफा दिवस - सच्चाई,करुणा, सहनशीलता का पर्व

विश्व फालुन दाफा दिवस - सच्चाई,करुणा, सहनशीलता का पर्व

विश्व फालुन दाफा दिवस की 20वीं वर्षगाँठ पर विशेष

13 मई का दिन पूरे विश्व में फालुन दाफा अभ्यासियों के लिए एक विशेष महत्व रखता है. फालुन दाफा मन और शरीर का एक उच्च स्तरीय साधना अभ्यास है जिसे श्री ली होंगज़ी ने 13 मई, 1992 में चीन में सार्वजनिक किया. यह अभ्यास हमें रोज़मर्रा के जीवन में सच्चाई, करुणा और सहनशीलता के मूलभूत नियमों का पालन करके अपने नैतिक चरित्र को ऊपर उठाना सिखाता है. फालुन दाफा और इसके संस्थापक को दुनियाभर में 1,500 से अधिक पुरस्कारों और प्रशस्तिपत्रों से नवाज़ा गया है. श्री ली होंगज़ी को नोबेल शांति पुरस्कार व स्वतंत्र विचारों के लिए सखारोव पुरस्कार के लिए भी मनोनीत किया जा चुका है. आज दुनिया भर में 120 से अधिक देशों में 10 करोड़ से अधिक लोगों द्वारा इसका अभ्यास किया जा रहा है. सच्चाई, करुणा और सहनशीलता की शिक्षाओं के अतिरिक्त, फालुन दाफा में 5व्यायाम भी सिखाये जाते हैं जो गति में धीमे, सौम्य और ध्यान पर आधारित हैं. आज के तेज प्रवाह जीवन में फालुन दाफा का अभ्यास न केवल शारीरिक स्वास्थ्य का लक्ष्य प्राप्त करने में प्रभावी रहा है, बल्कि, इसने करोड़ों लोगों के आध्यात्मिक विकास और नैतिक चरित्र के उत्थान में भी सकारात्मक भूमिका प्रदान की है.

फालुन दाफा भारत में

फालुन दाफा, जिसे फालुन गोंग भी कहा जाता है, को भारत में सन 2000 से पहली बार सिखाया गया. तब से, देश भर के अनेकों स्कूल और कॉलेजों में इस ध्यान अभ्यास को सिखाया गया है. मुंबई के अनेक फैशन मॉडल्स भी अपने भागदौड़ भरे जीवन में स्थिरता और तनावमुक्ति के लिए फालुन दाफा को अपना रहे है. कई बड़े संगठनों ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों लिए फालुन दाफा की कार्यशालाएं आयोजित की हैं. दिलचस्प बात यह है कि कई जेल अधीक्षकों ने कारागृहों में कैदियों के स्वास्थ्य और नैतिक गुण उत्थान के लिए इस अभ्यास को सिखाने के लिए अनुरोध किया है.

विश्व फालुन दाफा दिवस की 20वीं वर्षगाँठ

दुनिया भर के फालुन दाफा अभ्यासी इस दिवस को गरिमापूर्वक मनाते हैं और रैलिओं, प्रदर्शनियों और सम्मेलनों का आयोजन करते है. भारत के फालुन दाफा अभ्यासी भी इसकी 20वीं वर्षगाँठ के अवसर पर 13 मई को अनेक शहरों में कार्यशालाओं, व्यायाम प्रदर्शन और गोष्ठियों का आयोजन कर रहे हैं.


चीन में दमन

चीन में 1992 में सार्वजनिक होने के बाद से, फालुन गोंग ने लोगों द्वारा अनुभव किए गए स्वास्थ्य लाभ और नैतिक मानकों में सुधार के कारण चीनी लोगों के बीच बेहद लोकप्रियता प्राप्त कर ली. कुछ वर्षों में, करीब 7 करोड़ चीनी लोग इसका अभ्यास तन्मयता से करने लगे. सरकार और सशस्त्र बलों के कई उच्च पदाधिकारी भी उन लोगों में से थे जिन्होंने इस अभ्यास को अपनाया. इसका बढ़ता जनाधार चीनी शासकों को खलने लगा. चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने फालुन दाफा की शांतिप्रिय प्रकृति के बावजूद इसे अपने प्रभुसत्ता के लिए खतरा माना और 20 जुलाई 1999 को इसपर पाबंदी लगा दी और इसे कुछ ही महीनों में जड़ से उखाड़ देने की मुहीम चला दी. चीनी कम्युनिस्ट पार्टी फालुन गोंग को दबाने के लिए क्रूर दमन कर रही है जो आज तक जारी है.

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