Mohini Ekadashi 2019 आज है सौभाग्य का दिन

Mohini Ekadashi 2019 आज है सौभाग्य का दिन

Mohini Ekadashi 2019 (आज 15 मई 2019 को) क्या हैं और कैसे मनाएं..

मोहिनी एकादशी---Mohini Ekadashi 2019

वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोहिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है. इसी दिन भगवान श्री हरि विष्णु ने समुद्र मंथन से निकले अमृत कलश को दानवों से बचाने के लिए मोहिनी रूप धारण किया था. मोहिनी एकादशी का व्रत विधान करके व्यक्ति में आकर्षण और बुद्धि बढ़ती है, जिससे व्यक्ति बहुत ज्यादा प्रसिद्धि पाता है. इस बार मोहिनी एकादशी 15 मई 2019 को है।

ज्योतिषाचार्य पण्डित दयानन्द शास्त्री के अनुसार आज वैशाख शुक्ल पक्ष की एकादशी कोMohini Ekadashi 2019 मोहिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। आज के दिन भगवान विष्णु के निमित्त व्रत रखने से व्यक्ति को हर तरह के मोह बंधन से मुक्ति मिलती है और जीवन में तरक्की मिलती है। शास्त्रों के अनुसार प्राचीन समय में देवता और दानवों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था। जब इस मंथन में अमृत निकला तो इसे पाने के लिए देवता और दानवों में युद्ध होने लगा। तब भगवान विष्णु ने इसी तिथि पर मोहिनी रूप में अवतार लिया था। मोहिनी रूप में अमृत लेकर देवताओं को इसका सेवन करवाया था।
इनमें भस्मासुर से भगवान शिव को बचाने के लिए, समुद्र मंथन के बाद अमृत बांटने के लिए और इरावन से विवाह करने के लिए भी मोहिनी रूप धरने का वर्णन मिलता है।

ऐसा कहीं जिक्र नहीं मिलता है कि भगवान विष्णु ने एकादशी तिथि के दिन ही मोहिनी रूप धारण किया था। पण्डित दयानन्द शास्त्री जी ने बताया कि दरअसल इस एकादशी को मोहिनी इसलिए कहा जाता है कि क्योंकि इसके व्रत से मोह और भोग की लालसा में फंसे हुए मनुष्य को कर्म फल से मुक्ति मिलती है। पद्म पुराण में एकदशी की जो कथा मिलती है उससे भी यही तथ्य स्पष्ट होता है कि मोहिनी एकादशी मोह का हरण करने वाली एकादशी है।

यह हैं मोहिनी एकादशी व्रत कथा--Mohini Ekadashi 2019

सरस्वती नदी के किनारे भद्रावती नाम का नगर था। वहां धृतिमान नाम का राजा राज्य करता था। उसी नगर में एक बनिया रहता था, उसका नाम था धनपाल। वह भगवान विष्णु का परम भक्त था और सदा पुण्यकर्म में ही लगा रहता था। उसके पांच पुत्र थे- सुमना, द्युतिमान, मेधावी, सुकृत तथा धृष्टबुद्धि। धृष्टबुद्धि सदा पाप कर्म में लिप्त रहता था। अन्याय के मार्ग पर चलकर वह अपने पिता का धन बरबाद किया करता था।

एक दिन उसके पिता ने तंग आकर उसे घर से निकाल दिया और वह दर-दर भटकने लगा। भटकते हुए भूख-प्यास से व्याकुल वह महर्षि कौंडिन्य के आश्रम जा पहुंचा और हाथ जोड़ कर बोला कि मुझ पर दया करके कोई ऐसा व्रत बताइये, जिसके पुण्य प्रभाव से मेरी मुक्ति हो। तब महर्षि कौंडिन्य ने उसे वैशाख शुक्ल पक्ष की मोहिनी एकादशी के बारे में बताया। मोहिनी एकादशी के महत्व को सुनकर धृष्टबुद्धि ने विधिपूर्वक मोहिनी एकादशी का व्रत किया।

इस व्रत को करने से वह निष्पाप हो गया और दिव्य देह धारण कर गरुड़ पर बैठकर श्री विष्णुधाम को चला गया। इस प्रकार यह मोहिनी एकादशी का व्रत बहुत उत्तम है।

ऐसे करें ऐसे करें व्रत और पूजनMohini Ekadashi 2019

एकादशी का व्रत करने के लिए ब्रह्ममुहूर्त में उठकर घर की साफ-सफाई करके स्नान करना चाहिए और व्रत का संकल्प लेना चाहिए। इसके बाद धूप, दीप, तुलसी, अक्षत, कलश, नारियल और मेवे से भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। तत्पश्चात सूर्यदेव को जल अर्पित करना चाहिए। एकादशी व्रथ में निर्जल व्रत रखने का विधान है लेकिन जो लोग निर्जल व्रत नहीं रख सकते वह फलाहार करके भी व्रत कर सकते हैं।

एकादशी का व्रत करनेवालों को रात में सोना नहीं चाहिए बल्कि रात्रि जागरण कर भजन-कीर्तन में समय लगाना चाहिए। सुबह के समय तुलसी को जल अर्पित करें। इसके बाद शाम के समय तुलसी के पास गाय के घी का एक दीपक जलाएं। एकादशी का परायण करने से पहले किसी ब्राह्मण को भोजन करवाकर दक्षिणा देना चाहिए।

पद्मपुराण में बताया गया है कि इस एकादशी व्रत की कथा पढ़ने औऱ सुनने मात्र से हजारों गायों के दान का पुण्य प्राप्त होता है। जबकि व्रत करके कथा सुनने से उत्तम लोक की प्राप्ति होती है।

मोहिनी एकादशी पर मिलेगा बच्चों को बुद्धि का वरदान-

- मोहिनी एकादशी पर भगवान विष्णु की पीले फल फूल और मिष्ठान से पूजा-अर्चना करें.

- 11 केले और शुद्ध केसर भगवान विष्णु को अर्पण करें.

- एक आसन पर बैठकर ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का 108 बार जाप करें.

- जाप के बाद केले का फल छोटे बच्चों में बाटें और केसर का तिलक बच्चों के माथे पर करें.

यह रहेगा मुहूर्त--
मोहिनी एकादशी मुहूर्त

एकादशी तिथि का आरंभ- 14 तारीख की दोपहर 12 बजकर 59 मिनट से।
एकादशी का समापन- 15 तारीख की सुबह 10 बजकर 36 मिनट तक।
एकादशी का परायण- 16 तारीख की सुबह 8 बजकर 15 मिनट तक।

मोहिनी एकादशी पर बढ़ेगा आपका आकर्षण-

- मोहिनी एकादशी के दिन सुबह उठकर स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें.

- दाएं हाथ से पीले फल-फूल नारायण भगवान को अर्पण करें और गाय के घी का दीया जलाएं.

- अब किसी आसन पर बैठकर नारायण स्तोत्र का तीन बार पाठ करें.

- एकादशी के दिन से लगातार 21 दिन तक नारायण स्तोत्र का पाठ जरूर करें.

मोहिनी एकादशी पर करें ये महाउपाय-Mohini Ekadashi 2019

- मोहिनी एकादशी के दिन सुबह के समय जल में हल्दी डालकर स्नान करें.

- अपनी उम्र के बराबर हल्दी की साबुत गांठ पीले फलों के साथ भगवान विष्णु के मंदिर में अर्पण करें.

- विष्णु सहस्त्र नाम का पाठ करें. पाठ के बाद फलों को जरूरतमंद लोगों में बाट दें.

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