क्या है Guruvayur Temple में Tulabharam ,क्यों मोदी ने कमल के फूलों से तौलाया अपना वजन

क्या है Guruvayur Temple में Tulabharam ,क्यों मोदी ने कमल के फूलों से तौलाया अपना वजन
Guruvayur Temple में मोदी के वजन के कमल का दाम रूपये 22000
केवल हिंदुओं को ही मिलता है इस मन्दिर में प्रवेश
डेस्क -केरल के जिस Guruvayur Temple में PM Modi द्वारा पूजा की गई और फिर उन्हें उन्ही के वजन के बराबर कमल के फूलों से Tulabharam किया गया यानि कि कमल के फूलों से तोला गया इसके पीछे कई कारण भी हो सकते हैं ।
इसके लिए केरल के Guruvayur Temple के बारे में भी जान लेना जरूरी है कहा जाता है कि गुरुवायूर टेंपल दक्षिण का वृंदावन है और यहां श्री कृष्ण भगवान की पूजा होती है गुरुवायूर टेंपल का नाम इसलिए पड़ा कि वहां मंदिर की स्थापना देव गुरु बृहस्पति के द्वारा की गई थी जहां भगवान कृष्ण की भी मूर्ति है और सबसे बड़ी बात यह है कि भगवान कृष्ण की मूर्ति में उनके चार हाथ दर्शाए गए हैं जिसमें से एक हाथ में भगवान कृष्ण के कमल का फूल है और इसी कारण से भगवान श्री कृष्ण को कमल के फूल का अर्पण किया जाता है यह भी माना जा सकता है की पीएम मोदी द्वारा जो गुलाब का tularambh तुलादान किया गया उसमें कमल के फूल से जो उनको तोला गया इसमें कहीं ना कहीं भाजपा के चुनाव चिन्ह कमल को भी जोड़कर देखा जा रहा है|
पीएम मोदी ने चुनाव जीतने के बाद और प्रचंड बहुमत मिलने के बाद केरल की यह पहली यात्रा की है और केरल के मंदिर में जा कर पूजा की वैसे भी मोदी आज केरल जाने के तुरंत बाद फिर से प्रधानमंत्री बनने के बाद मालदीव की विदेश यात्रा पहली बार करने जा रहे हैं और मोदी की यह रणनीति रही है या यह कहें कि उनकी आदत रही वह कहीं भी जाते हैं मंदिर में पूजा अवश्य करते हैं ,और यह विदेश यात्रा करने से पहले मोदी ने केरल के मंदिर में पूजा की एक महत्वपूर्ण और भी है मंदिर के बारे में गुरुवायुर मंदिर के बारे में बताया जाता है यहां गैर हिंदू का प्रवेश वर्जित है और केवल हिंदू ही इस मंदिर में जा कर पूजा अर्चना कर सकता है।
मोदी को जिस तरीके से भारत में पूर्ण समर्थन मिला और प्रचंड बहुमत आई उसके बाद अब विदेश में भी मालदीव सरकार ने मोदी को सम्मानित किए जाने का फैसला लिया और पहली बार सरकार बनने के बाद मालदीव जाने के बाद जो एशिया का सबसे छोटा देश माना जाता है वहां पीएम मोदी द्वारा वहां की संसद सदस्यों को संबोधित किया जाना है जिसको वहां की बोलचाल की भाषा में मजलिस कहा जाता है।

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