Hartalika Teej 2019 क्या है सही तारीख और क्या है सही तरीका त्योहार मकनाने का

Hartalika Teej 2019 क्या है सही तारीख और क्या है सही तरीका त्योहार मकनाने का

जानिए इस वर्ष 2019 में कब करें "हरतालिका तीज व्रत" Hartalika Teej 2019 और क्यो ??

हरतालिका तीज व्रत 2 सितंबर 2019 (Hartalika Teji 2019 vrat date )को ही मनाया जाना शास्त्र सम्मत क्यों होगा??

Dharm Desk -सम्पूर्ण भारतवर्ष में "हरतालिका तीज" (Hartailka Teej 2019) सुहागिन महिलाओं द्वारा किए जाने वाले प्रमुख व्रतों में से एक है। यह व्रत पति की लंबी उम्र और मंगल कामना के लिए रखा जाता है। इस दौरान महिलाएं निर्जला व्रत रखकर माता गौरी और भगवान भोले नाथ की आराधना करती हैं।

हिन्‍दू पंचांग के अनुसार यह व्रत हर साल भादो माह की शुक्‍ल पक्ष तृतीया को आता है लेकिन इस बार जन्‍माष्‍टमी (Janmashtmi)की ही तरह हरतालिका तीज की तिथि को लेकरक असमंजस की स्थिति बन गई है। महिलाओं को समझ नहीं आ रहा है कि आखिर किस दिन हरतालिका तीज का व्रत रखा जाना चाहिए। कुछ लोग कह रहे हैं कि व्रत 1 सितंबर को होगा, जबकि कुछ लोग 2 सितंबर को व्रत रखने की सलाह दे रहे हैं।

पंचांग भेद* को लेकर एक बार फिर *हरितालिका तीज व्रत* की तिथि 1 सितंबर रविवार और 2 सितंबर सोमवार को पंचांगों में बताई गई है।
नीमच के *निर्णय सागर पंचांग* में हरितालिका तीज व्रत भाद्रपद शुक्ल द्वितीया रविवार *( 1 सितंबर )* को बताई है।
जबकि
*उज्जैन के महाकाल पंचांग* में हरितालिका तीज व्रत (Hartalika teej Vrat )भाद्रपद शुक्ल तृतीया सोमवार ( 2 सितंबर ) को बताई है।
सम्पूर्ण भारत वर्ष में "हरतालिका तीज" सुहागिन महिलाओं के प्रमुख व्रतों में से एक है. यह व्रत पति की लंबी उम्र और मंगल कामना के लिए रखा जाता है। इस दौरान महिलाएं निर्जला व्रत रखकर माता गौरी और भगवान भोले नाथ की आराधना करती हैं। हिन्‍दू पंचांग के अनुसार यह व्रत हर साल भादो माह की शुक्‍ल पक्ष तृतीया को आता है. लेकिन इस बार जन्‍माष्‍टमी की ही तरह हरतालिका तीज की तिथि को लेकरक असमंजस की स्थिति बन गई है. महिलाओं को समझ नहीं आ रहा है कि आखिर किस दिन हरतालिका तीज का व्रत रखा जाना चाहिए. कुछ लोग कह रहे हैं कि व्रत 1 सितंबर को होगा, जबकि कुछ लोग 2 सितंबर को व्रत रखने की सलाह दे रहे हैं। इस तरह की स्थिति करीब 23 वर्षों के बाद उत्पन्न हो गयी है।

हरतालिका तीज(Har talika Teej Date) की तिथि को लेकर असमंजस क्‍यों?

हरतालिका तीज का व्रत भादो माह की शुक्‍ल पक्ष तृतीया यानी कि गणेश चतुर्थी से एक दिन पहले रखा जाता है. अब समस्‍या यह है कि इस साल पंचांग की गणना के अनुसार तृतीया तिथि का क्षय हो गया है यानी कि पंचांग में तृतीया तिथि का मान ही नहीं है. इस हिसाब से 1 सितंबर को जब सूर्योदय होगा तब द्वितीया तिथि होगी, जो कि 08 बजकर 27 मिनट पर खत्‍म हो जाएगी इसके बाद तृतीया तिथि लग जाएगी। के मुताबिक तृतीया तिथि अगले दिन यानी कि दो सितंबर को सूर्योदय से पहले ही सुबह 04 बजकर 57 मिनट पर समाप्‍त हो जाएगी। ऐसे में असमंजस इस बात का है कि जब तृतीया तिथि को सूर्य उदय ही नहीं हुआ तो व्रत किस आधार पर रखा जाए।शास्त्रों के अनुसार तृतीया और चतुर्थी मिली हुई तिथि में तीज व्रत का पूजा करना उत्तम है। यही कारण है कि 2 सितंबर को तीज व्रत है। उज्जैन (मध्यप्रदेश) के आसपास के अधिकतर महिलाएं दो सितंबर 2019 को ही तीज व्रत करेंगी।

ज्योतिषाचार्य पण्डित दयानन्द शास्त्री जी ने बताया कि व्रतधारी सुहागनों को हस्‍त नक्षत्र में तीज का पारण नहीं करना चाहिए। जो महिलाएं 1 सितंबर 2019 को व्रत रखेंगी उन्‍हें 2 सितंबर को तड़के सुबह हस्‍त नक्षत्र में ही व्रत का पारण करना पड़ेगा, जो कि गलत है।
वहीं अगर महिलाएं 2 सितंबर 2019 को व्रत करें तो वे 3 सितंबर को चित्रा नक्षत्र में व्रत का पारण करेंगी।

पुराणों में चित्रा नक्षत्र में व्रत का पारण करना शुभ

इन तिथि भेद का स्पष्टिकरण *निर्णय सिंधु के पृष्ठ 169 - 170 पर विस्तार से दिया गया है।*
( देखें निर्णय सिंधु में लिखित जानकारी)
*निर्णय सिंधु ने स्पष्ट किया है कि हरतालिका व्रत भाद्रपद शुक्ल तृतीया को होता है। उसमें अगली तिथि ग्रहण करना चाहिए। चतुर्थी सहित तीज अधिक फल देती है। यह सौभाग्य को बढ़ाने वाली होती है।*
जबकि
*द्वितीया से संयुक्त तीज व्रत वैधव्य प्रदान करती है।*

*अतः हरतालिका तीज व्रत भाद्रपद शुक्ल तृतीया सोमवार 2 सितंबर को ही करना उत्तम है।*
निर्णय सिंधु के अनुसार 1 सितंबर को तीज व्रत करने की मनाही है।

पण्डित दयानन्द शास्त्री जी के अनुसार अगर आप हरतालिका तीज का व्रत रखने की सोच रही हैं तो पहले अपने किसी परिचित विद्वान और अनुभवी पंडित जी या ज्‍योतिषी से तिथी को लेकर विचार-विमर्श जरूर कर लें।

इस व्रत में सुहागन व्रती महिला निर्जला रहकर शिव-पार्वती की पूजा करती हैं ।हरतालिका तीज व्रत उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश और राजस्थान के कई इलाकों में रखा जाता है। इस दिन महिलाएं शिव, पार्वती के साथ गणेश जी की पूजा करती हैं। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए पूरे दिन निर्जला व्रत करती हैं। कुछ महिलाएं उसी दिन शाम के पूजन के बाद जल ग्रहण कर लेती हैं तो कुछ अगले दिन ही जल ग्रहण करती हैं। कहा जाता है कि अगर एक बार आप इस व्रत को करना शुरू कर देते हैं तो इसे दोबारा छोड़ा नहीं जाता है। इस व्रत को सुहागिन महिलाओं के साथ-साथ कुंवारी कन्याएं भी रखती हैं।
आचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री जी ने कहा कि दिनभर निर्जला रहकर महिलाएं शाम में बालू से बने शिव-पार्वती की पूजा करते हैं। हरतालिका तीज ( Hartalika Teej )की कथा के अनुसार हरितालिका व्रत (Hartalika vrat ) से सौभाग्यवती स्त्री जहां दीर्घायु पति पाती हैं वहीं यदि कुमारी व्रत करें तो मनचाहा वर प्राप्त कर सकती हैं। क्षेत्रवाद के अनुसार परंपरा का निर्वहन किया जाता है।

पंडित दयानंद शास्त्री

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