ऋण मुक्तेश्वर मंदिर यहां पूजा कर पा सकते हैं हर प्रकार के ऋणों से मुक्ति

ऋण मुक्तेश्वर मंदिर यहां पूजा कर पा सकते हैं हर प्रकार के ऋणों से मुक्ति

यह हैं ऋणमुक्तेश्वर का प्रभाव और महत्व --

मध्य प्रदेश की प्राचीन एवं पौराणिक नगरी उज्जैन में स्थित ऋणमुक्तेश्वर मंदिर में पीली पूजा कर ऋणों से मुक्ति पा सकते हैं।

मान्यता है कि ऋणमुक्तेश्वर महादेव के पूजन से किसी भी प्रकार का ऋण भार, पितृ ऋण व अन्य ऋण का जल्द निराकरण हो जाता है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पण्डित दयानन्द शास्त्री जी ने बताया कि प्रचलित दन्त कथानुसार शिप्रा नदी के तट पर स्थित वट वृक्ष के नीचे सत्यवादी राजा हरीशचंद्र ने कुछ समय तक तप किया था। उन्हें एक गेंडे के भार इतना सोना ऋषि विश्वामित्र को दान करना था, वह भी तब जब अपना राजपाट पहले ही दान कर चुके थे। इसके बाद विश्वामित्र ने यह दान मांगा था। राजा हरीशचंद्र के स्त्री-बच्चे बिकने के बाद भी यह दान पूर्ण नहीं हो रहा था। यहां वटवृक्ष के नीचे ऋणमुक्तेश्वर महादेव का लिंग स्थित है। राजा ने इसकी पूजा कर वर प्राप्त कर ऋण मुक्त हो गए थे। बाद में इन्हें सुख-वैभव और राजपाट मिल गया था। उज्जैन अवंतिका तीर्थ धाम होने से इस मंदिर में दर्शन कर ही मनुष्य ऋण से मुक्त हो जाता है।

विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर की नगरी उज्जयिनी (उज्जैन) में मंदिरों की इस श्रृंखला में ऋणमुक्तेश्वर महादेव का अति प्राचीन मंदिर में प्रतिवर्ष हजारों की संख्या में यहां आकर दर्शनार्थी पूजा अर्चना कर विभिन्न ऋणों से मुक्त होने की प्रार्थना करते हैं। उनकी मनोकामना पूरी भी होती है। शहर से लगभग एक किलोमीटर दूर स्थित यह मंदिर मोक्षदाईनी क्षिप्रा नदी के तट पर स्थित है।

यहां प्रति शनिवार को पीली पूजा का बड़ा महत्व है। पीला पूजा से तात्पर्य पीले वस्त्र में चने की दाल, पीला पुष्प, हल्दी की गांठ और थोड़ा सा गु़ड़ बांधकर जलाधारी पर अपनी मनोकामना के साथ अर्पित करना है।

ज्योतिष शास्त्र में कर्ज उतारने के लिये कई उपायों को बताया गया है लेकिन मध्यप्रदेश के उज्जैन में पुराण प्रसिद्ध ऋण मुक्तेश्वर महादेव की आराधना की जाये या उनके दर्शन ही कर लिये जाये तो ऋण से मुक्ति मिल जाती है।वाल्मीकि धाम क्षेत्र में ऋणमुक्तेश्वर मंदिर स्थित है। मान्यता है कि यह अनादि है। यहां दूर-दूर से भक्त मनोकामना लेकर आते हैं। मान्यता है कि भगवान ऋणमुक्तेश्वर के पूजन से ऋण से मुक्ति मिलती है।

पुराणोक्त मान्यता है कि जिस वट वृक्ष के नीचे बैठकर आकाशवाणी सुनकर सत्यवादी राजा हरीशचंद्र, ऋषि विश्वामित्र को दक्षिणा देकर ऋण मुक्त हुये थे वहीं पर राजा हरीशचंद्र ने शिवलिंग स्थापित किया था और उनका नाम ऋण मुक्तेश्वर महादेव हो गया।

भगवान शिव ने राजा को यह वरदान दिया था कि जो भी व्यक्ति यहां दर्शन करने के साथ अभिषेक और पीली पूजन करेगा वह ऋण मुक्त तो होगा ही वहीं अन्य सभी तरह की चिंता से भी उसे मुक्ति मिल जायेगी।ज्योतिषाचार्य पण्डित दयानन्द शास्त्री जी ने बताया की यदि किसी को ऋण से बहुत परेशानी है तो उसे एक बार उज्जैन आकर ऋण मुक्तेश्वर महादेव की पूजन अर्चन जरूर करना चाहिये।

चने की दाल से पूजन---
कोई भी ऋण स्वर्ण से चुकाया जा सकता है। लेकिन सोने के अभाव मॆ जो भी व्यक्ति चने की दाल जो की देवगुरु ग्रह की वस्तु है।
गुरु ग्रह से सम्बन्धित (सोना, हल्दी, केसर, चना दाल) अपने गुरु का नाम स्मरण कर गणेश गौरी नवग्रह मंडल का पूजन कर अपने नाम कुल,गोत्र का स्मरण कर पूजन करने से भी जातक के सभी प्रकार के भारी से भारी ॠणों का नाश होता है।

भगवान शिव का यह धाम इस कलयुग के ऋणग्रस्त जीवों के लिये सभी तरह से कल्याणकारी है।

पंडित दयानंद शास्त्री

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