आज हैं बुधवार, इन्द्रा एकादशी ओर पितृपक्ष का शुभ संयोग

इन्द्रा एकादशी के श्राद्ध ओर पितृ तर्पण कर पाएं पितरों का आशीर्वाद--

आज इंदिरा एकादशी के व्रत से मनुष्य को यमलोक की यातना का सामना नहीं करना पड़ता है। पद्म पुराण में तो यह भी कहा गया है कि श्राद्ध पक्ष में आने वाली इस एकादशी का पुण्य अगर पितृगणों को दिया जाए तो नरक में गए पितृगण भी नरक से मुक्त होकर स्वर्ग चले जाते हैं। साथ ही उनको बैकुंठ धाम की प्राप्ति भी होती है।
यह एकादशी पापों को नष्ट करने वाली तथा पितरों को अ‍धोगति से मुक्ति देने वाली होती है। एकादशी तिथि के श्राद्ध को संयासी श्राद्ध कहा जाता है। इस दिन पितृगणों के अलावा साधुओं व संन्यासियों का भी श्राद्ध किया जाता है। सनातन धर्म के अनुसार आश्विन माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी को इंदिरा एकादशी भी कहते हैं। इस दिन भगवान शालिग्राम के निमित्त व्रत किया जाता है। इस व्रत को करने से पितृगणों को भी स्वर्ग में स्थान मिलता है। यह श्राद्ध और व्रत मूलतः उन पितृगणों के निमित किया जाता है है जिन्होनें अपने जीवन में सन्यास का मार्ग धारण किया हो अथवा जो सन्यास आश्रम की ओर अग्रसर हुए हों।
आज 25 सितंबर 2019 (बुधवार) को एकादशी व द्वादशी का श्राद्ध बताया है। इस दिन दो श्राद्ध होंगे।
पण्डित दयानन्द शास्त्री जी ने बताया कि यदि सम्भव हो तो इस दिन पितृदोष दूर करने के लिए घर में गीता पाठ कराएं। प्रत्येक अमावस्या ब्राह्मण को भोजन अवश्य कराएं। भोजन में पूर्वजों की मनपसंद वस्तुएं बनाएं। केसर, मेकयुक्त खीर अवश्य बनाएं।
यह कार्य अवश्य करें इन्द्रा एकादशी को--
एकादशी पर स्नान के बाद पितरों के लिए धूप-ध्यान करें। श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण करें। इस दिन खासतौर पर संन्यासियों के लिए श्राद्ध कर्म किए जाते हैं। पितरों के लिए काले तिल का दान करें।
आज इंदिरा एकादशी और बुधवार के योग में गणेशजी की विशेष पूजा जरूर करें। भगवान गणपति को दूर्वा 21 की गांठ चढ़ाएं। श्री गणेशाय नम: मंत्र का जाप करें। मोदक का भोग लगाएं। गणेशजी के साथ ही शिव-पार्वती की भी पूजा करें।
एकादशी पर भगवान विष्णु के लिए पूजा-पाठ और व्रत करने की परंपरा है। इस दिन भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा करें। दक्षिणावर्ती शंख में केसर मिश्रित दूध भरकर अभिषेक करें।
विष्णु-लक्ष्मी की एक साथ पूजा करने पर घर में सुख-समृद्धि बढ़ सकती है।
पितृ पक्ष और एकादशी के योग में शाम को देवी तुलसी के पास दीपक जलाएं। परिक्रमा करें। ध्यान रखें सूर्यास्त के बाद तुलसी को स्पर्श नहीं करना चाहिए।
सूर्यास्त के बाद शिवलिंग के पास घी का दीपक जलाएं और ऊँ सांब सदाशिवाय नम: मंत्र का जाप करें। मंत्र जाप कम से कम 108 बार करें। मंत्र जाप के लिए रुद्राक्ष की माला का उपयोग करना चाहिए।।
यह अचूक टोटका अवश्य करें -- पितृ दोष से मुक्ति के लिए तुलसी पत्र मिला दही शहद का घोल शालिग्राम पर चढ़ाकर पितृ के निमित दान करें।
अच्छी सेहत के लिए --
शालिग्राम जी पर चढ़े गुलाल से तिलक करें।
भाग्यवृद्धि के लिए-- शालिग्राम जी पर चढ़ा नारियल पानी पिएं।
विवाद टालने के लिए--
कर्पूर जलाकर शालिग्राम जी की आरती करें।
किसी भी तरह की हानि (नुकसान) से बचने के लिए-- शालिग्राम जी पर गुलाबी फूलों की माला चढ़ाएं।
व्यावसायिक उन्नति के लिए-- शालिग्राम जी पर पंचामृत चढ़ाएं।
शिक्षा में सफलता के लिए-- शालिग्राम जी पर चढ़ा सफ़ेद फूल नोटबुक में रखें।
व्यापार में सफलता के लिए -- शालिग्राम जी पर चढ़े चंदन से वर्कप्लेस की दीवार पर टीका करें।
पारिवारिक खुशहाली के लिए तुलसी माला से "ॐ प्रधानपुरुषेश्वराय नमः" मंत्र का जाप करें।
किसी हनुमान मंदिर जाएं और चमेली के तेल का दीपक जलाकर हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करें।

Share this story