माँ दुर्गा के धरती पर माँ जननी के अवतार को ठुकराने वाले को माँ दुर्गा कभी नहीं बख्शती

माँ दुर्गा के धरती पर माँ जननी के अवतार को ठुकराने वाले को माँ दुर्गा कभी नहीं बख्शती

माँ जननी और गौ माता की पूजा के बाद हो आदि शक्ति की पूजा

माँ जननी और गौ माता की पूजा के बिना माँ दुर्गा की पूजा अधूरी
उज्जैन / कोलकाता : कल से आदि शक्ति माँ नव दुर्गा (Navdurga )सर्वशक्तिशाली दयालु एवं दैत्यों का संघार करने वाली माँ दुर्गा की उपासना (Navratri 2019 )का शुभारम्भ हो रहा है और इन नौ दिनों में हर कोई बढ़ - चढ़ कर माँ दुर्गा की सेव भाव से भक्ति पूजन करेगा. किन्तु हमारे संस्कृति में हमें जन्म देने वाली माँ को भी पूजनीय स्थान प्रदान किया गया है क्योकि उन्होंने हमें जन्म दिया. और जन्म के बाद हमें संस्कार दिए हमें जीवन जीने की सिख दी. पर हम समझदार और युवा अवस्था में प्रवेश करते ही उस जननी माँ को तो उनके हाल पर छोड़ देते है (कोई वृद्ध आश्रम भेज देता है तो कोई घर में ही नौकरों की तरह बर्ताव करता है तो किसी के पास दो घडी का समय नहीं होता की वो अपने माँ से प्यार से बैठ बात करे उनके सुख और दुःख बाटें.) ये बात हर इंसान जब अपने दिल पर हाथ रख कर पूछेगा की मेने अपने माँ के साथ कैसा व्यवहार किया है तो वह इसमें से कुछ बात तो अपने अस्तित्व में भी पायेगा.
यह बात अखिल भारतीय हिन्दू सेवा दल के राष्ट्रीय सचिव एवं वरिष्ठ पत्रकार विनायक अशोक लुनिया ने मीडिया के माध्यम से देश वासियों को नवरात्र (Navratri 2019 ) की शुभकामनाये प्रेषित करते हुए कहा की श्री लुनिया ने आगे कहा की मुझे सोशल मीडिया पर बहुत से लोग बढ़-चढ़ कर माँ बाप पर हो रहे अत्याचार पर बने विडिओ शेयर करते मिल जाते है जिसमे माँ बाप को वृद्ध आश्रम में भेज दिया तो कही उनको घर में ही प्रताड़ित किया जा रहा है, छोटी छोटी सी चीज़ों के लिए तरसाया जा रहा है. मै मानता हूँ की आज महंगाई की मार इस कदर हमारी कमर तोड़ रखी है की आज खर्च बहुत सोच समझ के किया जाता है पर एक तरफ माँ बाप के जरुरी चींजों के लिए पैसे ना होने वाले बच्चों के पास उसी समय पत्नी के लिए या मित्रों के साथ बाहर पार्टी करने के लिए फिजूल पैसे आ जाते है. यहाँ बेहद दुःख लगता है.
आज यह बात इसलिए लिख रहा हूँ क्योकि कल से नव दुर्गा की स्थापना हो रही है और वो माँ का स्वरुप है वो माँ हर हर में नहीं आ सकती हमारे हर इंसान को अपना प्यार अपना दुलार नहीं दे सकती इसलिए माँ दुर्गा ने धरती पर अपना प्रतिबिम्ब हमारे बिच हर घर में माँ के रूप में बनाया और हमें माँ के द्वारा हमारे हक़ का प्यार दुलार देने के लिए माँ को धरती पर भेजा. तो क्या हमें उस नवदुर्गा की पूजा करना चाहिए और उनके प्रतिबिम्ब का तिरस्कार करना चाहिए? उनको तरसना चाहिए? क्या उनके बुढ़ापे में हमें उनको प्यार नहीं करना चाहिए? क्या उनके बुढ़ापे में उनको ठोकर मार देना चाहिए? क्या ऐसा करने के बाद आप जब माँ दुर्गा की पूजा करेंगे तब वो आपकी भक्ति से खुश होगी ? नहीं माँ दुर्गा के धरती पर माँ जननी के अवतार को ठुकराने वाले को माँ दुर्गा कभी नहीं बख्शती, माँ तत्काल रूप में आपको सजा ना दे पर आपके किये की सजा आपको निश्चित ही मिलता है तो क्यों न हम माँ दुर्गा की पूजा के पहले माँ जननी की पूजा करें उनके चरणों को छूकर उनसे आशीर्वाद ले, वहीँ साथ ही साथ हम माँ जननी की पूजा कर हम माँ के बाद अपने दूध पर हमें जीवन दान देने वाली 36 कोटि देवी देवताओं के वास् करने वाले महान गौ माता की पूजा कर उनको छारा खिला कर हम माँ दुर्गा की आराधना करें तो माँ दुर्गा भी प्रसन्न होगी क्यों की माँ जननी माँ दुर्गा के प्रतिबिम्ब के रूप में हम सभी के समक्ष मौजूद है तो वहीँ 36 कोटि देवी देवताओं के वास् वाली गौ माता की जब हम सेवा करेंगे तो उनके दिल से निकलने वाला आशीर्वाद स्वयं माँ दुर्गा के आशीर्वाद सामान होगा. इसलिए माँ जननी और गौ माता की पूजा के बाद करें आदि शक्ति की आराधना. श्री लुनिया ने अंत में अपने विचार से किसी को ठेस पहुंचा हो तो क्षमा मांगते हुए कहा की हम सभी एक बार अपने अस्तित्व में झाँक कर अवश्य देखे...
विनायक अशोक लुनिया

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