govardhan Puja -क्यों गाय के गोबर को माना जाता है धन जानिए इस पूजा के मायने

govardhan Puja -क्यों गाय के गोबर को माना जाता है धन जानिए इस पूजा के मायने

गोवर्धन पूजा(govardhan Puja)- कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा (kartik shukl pratipada ) एक गाय अपने जीवनकाल में 4,10,440 मनुष्यों हेतु एक समय का भोजन जुटाती है

Jyotish Desk -
28 अक्टूबर 2019, सोमवार..
गाय का गोबर वास्तव में किसानों के लिए और सारे संसार के लिए धन है। गोबर्धन अर्थात् गोबर ही धन का श्रोत है।
चतुर्थ दिन - गोवर्धन पूजा/अन्नकूट पूजा , 28 अक्टूबर 2019, सोमवार
गोवर्धन पूजा (govardhan Puja) सायंकाल मुहूर्त :- 15:25:46 से 17:39:44 तक
अवधि :2 घंटे 13 मिनट
गोवर्धन पूजा (govardhan Puja) में गोधन यानी गायों की पूजा की जाती है। शास्त्रों में बताया गया है कि गाय उसी प्रकार पवित्र होती जैसे नदियों में गंगा। गाय को देवी लक्ष्मी का स्वरूप भी कहा गया है। देवी लक्ष्मी जिस प्रकार सुख समृद्धि प्रदान करती हैं उसी प्रकार गौ माता भी अपने दूध से स्वास्थ्य रूपी धन प्रदान करती हैं। इनका बछड़ा खेतों में अनाज उगाता है। इस तरह गौ सम्पूर्ण मानव जाती के लिए पूजनीय और आदरणीय है। गौ के प्रति श्रद्धा प्रकट करने के लिए ही कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के दिन गोर्वधन की पूजा की जाती है और इसके प्रतीक के रूप में गाय की।
स्वामी दयानन्द सरस्वती कहते हैं कि एक गाय अपने जीवनकाल में 4,10,440 मनुष्यों हेतु एक समय का भोजन जुटाती है
गाय की रीढ़ में स्थित सूर्यकेतु नाड़ी सर्वरोगनाशक, सर्वविषनाशक होती है।
गाय(Cow) एकमात्र ऐसा प्राणी है, जो ऑक्सीजन ग्रहण करता है और ऑक्सीजन ही छोड़ता है
सूर्य केतु नाड़ी सूर्य के संपर्क में आने पर स्वर्ण का उत्पादन करती है। गाय के शरीर से उत्पन्न यह सोना गाय के दूध, मूत्र व गोबर में मिलता है। यह स्वर्ण दूध या मूत्र पीने से शरीर में जाता है और गोबर के माध्यम से खेतों में। कई रोगियों को स्वर्ण भस्म दिया जाता है।
वैज्ञानिक कहते हैं कि गाय एकमात्र ऐसा प्राणी है, जो ऑक्सीजन ग्रहण करता है और ऑक्सीजन ही छोड़ता है, ‍जबकि मनुष्य सहित सभी प्राणी ऑक्सीजन लेते और कार्बन डाई ऑक्साइड छोड़ते हैं। पेड़-पौधे इसका ठीक उल्टा करते हैं।*
देशी गाय के एक ग्राम गोबर में कम से कम 300 करोड़ पौधों को पोषण देने वाले जीवाणु होते हैं। धरती की नमी बचाये रखते है।
रूस में गाय के घी से हवन पर वैज्ञानिक प्रयोग किए गए हैं।
एक तोला (10 ग्राम) गाय के घी से यज्ञ करने पर ऑक्सीजन बनती है।
क्यों होती है गोवर्धन पूजा
जब श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों को मूसलधार वर्षा से बचने के लिए सात दिन तक गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी उँगली पर उठाकर रखा और गोप-गोपिकाएँ उसकी छाया में सुखपूर्वक रहे। सातवें दिन भगवान ने गोवर्धन को नीचे रखा और हर वर्ष गोवर्धन पूजा करके अन्नकूट उत्सव मनाने की आज्ञा दी। तभी से यह उत्सव अन्नकूट के नाम से मनाया जाने लगा।
इस पर्व का सन्देश है, क़ि यदि मानवजाति और भोजन को जहर से बचाना चाहते हो तो कीटनाशक और अन्य रासायनिक खादों को बन्द करके, गौ मूत्र और गुड़ को मिलाकर अमृत जल से खेती में छिड़काव करो। गाय के गोबर की कम्पोस्ट खाद बना, अमृत मिट्टी गाय के गोबर, अमृत जल और वृक्षों के सूखे पत्तों को मिलाकर अमृत मिट्टी से खेती करे।

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