खुद अपने हाथ में है अपना भाग्य जान सकतें हैं हाथ की लकीरों से

खुद अपने हाथ में है अपना भाग्य जान सकतें हैं हाथ की लकीरों से
भाग्य रेखा(Palmistry Lines) के प्रकार व उनका मानव जीवन पर प्रभाव (हथेली में भाग्य रेखा)(Palmistry Lines)
हस्तरेखा ज्योतिष के अनुसार भाग्य रेखा बताती है कि व्यक्ति भाग्यशाली है या नहीं।लिखा तो सभी का भाग्य है बस हाथों की लकीरों से कुछ मदद ही मिल जाती है कि हम सही रास्ते पर हैं या नहीं हैं. या हमको कब सफलता मिलेगी।
तो आज आप खुद अपना हाथ देखने के बाद अपने भाग्य की जांच कर सकते हैं. हमारे हाथ में अंगूठे के पास और हथेली के लगभग मध्य में सीधी खड़ी हुई एक रेखा होती है. इसी को लाइफ लाइन या भाग्य रेखा माना जाता है. यही रेखा हमारा भाग्य को तय करती है।
जानिए कहां होती है भाग्य रेखा (Palmistry Lines)
भाग्य रेखा(Palmistry Lines) का उद्गम हथेली में मणिबंध से होता है तथा भाग्य रेखा मध्यमा उंगली के नीचे शनि पर्वत तक जाती है। ज्योतिषाचार्य पण्डित दयानन्द शास्त्री जी बताते हैं कि किसी-किसी जातक के हाथों में भाग्य रेखा शनि पर्वत को पार करती हुई आगे बढ़ जाती है। जरूरी नहीं है कि भाग्य रेखा मणिबंध से ही प्रारंभ हो, भाग्य रेखा हथेली में मौजूद चन्द्र पर्वत से भी आरंभ हो सकती है। हमारी हथेली में कई प्रकार की रेखाएं होती हैं, जैसे- जीवन रेखा, हृदय रेखा, मस्तिष्क रेखा, विवाह रेखा, सूर्य रेखा, बुध रेखा, भाग्य रेखा आदि।
किसी-किसी के हाथ में भाग्य रेखा (Palmistry Lines) मस्तिष्क रेखा से भी आरंभ होती है। जीवन रेखा, शुक्र पर्वत, मंगल पर्वत आदि से भी भाग्य रेखा आरंभ हो सकती है, जो रेखा हथेली में कहीं से भी निकल कर चलते हुए शनि पर्वत तक जाती है वह रेखा कहलाती है, इसलिए भाग्य रेखा कहीं से भी शुरू हो सकती है।
भाग्य में क्या लिखा हुआ है, जानने के लिए भाग्य रेखा को पढऩा आना चाहिए। उदाहरणार्थ यदि हाथ में भाग्य रेखा मणिबंध से आरम्भ होकर शनि पर्वत तक जा रही हो और भाग्य रेखा को कोई अन्य रेखा क्रास न कर रही हो, भाग्य रेखा पूर्ण स्पष्ट नजर आती हो तो ऐसा जातक भाग्यशाली होता है। उसके जीवन में सफलताएं दस्तक देती रहती हैं, जिस भी कार्य में हाथ डालेगा वह कार्य संपन्न होगा, ऐसा व्यक्ति बहुत महत्वाकांक्षी होता है।
पण्डित दयानन्द शास्त्री जी के अनुसार भाग्य रेखा सामान्यत: जीवन रेखा, मणिबंध, मस्तिष्क रेखा, हृदय रेखा या चंद्र पर्वत से प्रारंभ होकर शनि पर्वत (मध्यमा उंगली के नीचे वाला भाग शनि पर्वत कहलाता है) की ओर जाती है।
हाथों की लकीरो में व्यक्ति के पूरे जीवन का हाल होता है। इन्हीं लकीरों में ज्योतिष व्यक्ति के जीवन को प्रभावित करने वाले ग्रह की दशा देखकर उसके भविष्य का हाल बताते है। लेकिन क्या आप जानते है कि इन्हीं रेखाओं में एक भाग्य रेखा होती है जो बताती है कि किसी व्यक्ति का भाग्य कैसा रहेगा और वो कैसी जिंदगी जिएगा, कितनी सफलता हासिल करेगा, कैसा व्यापार या नौकरी करेगा और उसे जीवन में कब-कब सफलता और असफलताओं का सामना करना पडेगा।
हस्तरेखा (Palmistry Lines) ज्योतिषों के अनुसार भाग्यरेखा को सबसे महत्वपूर्ण माना गया है। हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार हथेली की भाग्य रेखा अगर शुभ हो तो व्यक्ति का भाग्य हर हाल में चमकता है। हथेली में भाग्यरेखा मणिबंध रेखा से शुरू होती है। हाथों की लकीरो में व्यक्ति के पूरे जीवन का हाल होता है। इन्हीं लकीरों में ज्योतिष व्यक्ति के जीवन को प्रभावित करने वाले ग्रह की दशा देखकर उसके भविष्य का हाल बताते है।
लेकिन क्या आप जानते है कि इन्हीं रेखाओं में एक भाग्य रेखा होती है जो बताती है कि किसी व्यक्ति का भाग्य कैसा रहेगा और वो कैसी जिंदगी जिएगा, कितनी सफलता हासिल करेगा,
कैसा व्यापार या नौकरी करेगा और उसे जीवन में कब-कब सफलता और असफलताओं का सामना करना पडेगा। हस्तरेखा ज्योतिषों के अनुसार भाग्यरेखा को सबसे महत्वपूर्ण माना गया है।
जीवन में भाग्य रेखा का महत्व सबसे अधिक माना गया है । इस रेखा को अंग्रेजी में फेट लाइन या लक लाइन भी कहते हैं. यह रेखा जितनी अधिक गहरी स्पष्ट और निर्दोष होती है उस व्यक्ति का भाग्य उतना ही ज्यादा श्रेष्ठ कहा जाता है. सभी हाथों में यह रेखा नहीं पाई जाती है लगभग 50% हाथों में ही भाग्य रेखा पाई जाती है. जिन हाथों में भाग्य रेखा नहीं होती है ।
पण्डित दयानन्द शास्त्री जी ने बताया कि ऐसे व्यक्ति अपने कर्मों के द्वारा जीवन में सफलता प्राप्त करते हैं और जिन हाथों में यह भाग्य रेखा पाई जाती है उनको बहुत कम मेहनत पर ही जीवन में बहुत बड़ी बड़ी उपलब्धियां प्राप्त हो जाती हैं. भाग्य रेखा के बारे में समझने के लिए आइए हम पहले हाथ की मुख्य रेखाएं वह हथेली में ग्रहों की स्थिति को निम्न चित्र द्वारा समझ लेते हैं:
हस्त रेखा विज्ञान के अनुसार हाथ में भाग्य रेखा(Palmistry Lines) मुख्यत: ग्यारह प्रकार की होती है जिनका वर्णननिम्नानुसार है:--
प्रथम प्रकार की भाग्य रेखा व उसका मानव जीवन पर प्रभाव:--
पहले प्रकार की भाग्य रेखा हथेली में मणिबंध के ऊपर से निकल कर अन्य रेखाओं का सहारा लेते हुए शनि पर्वत पर पहुंच जाती है. पहले प्रकार की भाग्य रेखा चित्र में दिखाई गई है:
इस प्रकार की भाग्य रेखा सर्वोत्तम कहलाती है, इस प्रकार की भाग्य रेखा वाले व्यक्ति जीवन में बहुत ऊंचा पद प्राप्त करते हैं.
दूसरे प्रकार की भाग्य रेखा व उसका मानव जीवन पर प्रभाव:
दूसरे प्रकार की भाग्य रेखा जीवन रेखा के पास से निकलकर शनि पर्वत पर पहुंच जाती है,इस प्रकार की भाग्य रेखा चित्र में दिखाई गई है:
इस प्रकार की रेखा भी श्रेष्ठ मानी गई है, इस प्रकार के व्यक्तियों का भाग्योदय 28 वें वर्ष के बाद होता है ऐसे व्यक्ति संकोची स्वभाव के होते हैं तथा तुरंत निर्णय लेने में समर्थ नहीं होते हैं.
तीसरे प्रकार की भाग्य रेखा व उसका मानव जीवन पर प्रभाव
तीसरे प्रकार की भाग्य रेखा शुक्र पर्वत से निकलकर शनि पर्वत पर पहुंच जाती है यह भाग्यरेखा जितनी ज्यादा स्पष्ट होती है उतनी ही ज्यादा शुभ मानी जाती है.इस प्रकार की भाग्य रेखा चित्र में दिखाई गयी है:
चूंकि यह भाग्य रेखा जीवन रेखा को काटकर आगे बढ़ती है व जिन स्थानों पर यह जीवन रेखा को काटती है उस उम्र में व्यक्ति को जीवन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है.इस प्रकार के व्यक्तियों को पत्नी सुंदर आकर्षक व तड़क-भड़क में रहने वाली मिलती है .ऐसे व्यक्तियों का बुढ़ापा कष्टमय निकलता है.
चौथे प्रकार की भाग्य रेखा (Palmistry Lines)व उसका मानव जीवन पर प्रभाव:
चौथे प्रकार की भाग्य रेखा मंगल पर्वत से निकलती हुई शनि पर्वत पर पहुंच जाती है.इस प्रकार की भाग्य रेखा चित्र में दिखाई गई है:
ऐसे व्यक्तियों का भाग्योदय यौवनावस्था के बाद होता है.शिक्षा के क्षेत्र में इनको बार-बार बाधाएं देखनी पड़ती है. उच्च शिक्षा प्राप्त नहीं हो पाती है. ऐसे व्यक्तियों को मित्रों का सहयोग नहीं मिल पाता है.
पांचवें प्रकार की भाग्य रेखा व उसका मानव जीवन पर प्रभाव:
पांचवें प्रकार की भाग्य रेखा जीवन रेखा से शुरू होकर शनि पर्वत पर पहुंच जाती है. चित्र में पांचवें प्रकार की भाग्य रेखा दिखाई गई है:
ऐसे व्यक्ति सफल चित्रकार का साहित्यकार होते हैं. ऐसे व्यक्ति किसी विशेष कला में पारंगत होते हैं. ऐसे व्यक्ति सफल देशभक्त होते हैं व उनका बुढ़ापा बहुत ही सुख में व्यतीत होता है.
छठे प्रकार की भाग्य रेखा व उसका मानव जीवन पर प्रभाव:
छठे प्रकार की भाग्य रेखा राहुल पर्वत से निकलकर शनि पर्वत पर पहुंच जाती है.इस प्रकार की भाग्य रेखा चित्र में दिखाई गयी है:
इस प्रकार की भाग्य रेखा अत्यंत सौभाग्यशाली मानी जाती है.ऐसे व्यक्तियों का भाग्य 36 वर्ष के बाद उदय होता है.व्यक्ति 36 में से 42 में साल में आश्चर्यजनक उन्नति करता है. ऐसी भाग्य रेखा वाले जातकों का प्रारंभिक जीवन कष्ट जनक होता है व ऐसे व्यक्तियों को जीवन के उत्तर काल में धनवान,यश,प्रतिष्ठा आदि प्राप्त होती है.
सातवें प्रकार की भाग्य रेखा व उसका मानव जीवन पर प्रभाव:
सातवें प्रकार की भाग्य रेखा ह्रदय रेखा से सीधे शनि पर्वत पर पहुंच जाती है. चित्र में सातवें प्रकार की भाग्य रेखा दिखाई गई है:
ऐसी भाग्य रेखा वाले व्यक्ति सहृदय होते हैं.दूसरों की सहायता करते हैं.ऐसे व्यक्ति करोड़ों रुपए कमाते हैं व धार्मिक कार्यों में भी खर्च करते हैं.
आठवें प्रकार की भाग्य रेखा व उसका मानव जीवन पर प्रभाव:
आठवें प्रकार की भाग्य रेखा नेपच्यून से सीधे शनि पर्वत पर पहुंच जाती है.चित्र में आठवें प्रकार की भाग्य रेखा दिखाई गई है:
इस प्रकार की भाग्य रेखा वाले बच्चों की बुद्धि बहुत तेज होती है. विद्या की दृष्टि से वह श्रेष्ठ विद्या प्राप्त करते हैं.ऐसे लोग स्वतंत्र विचारों के होते हैं. ऐसे व्यक्ति सफल साहित्यकार न्यायाधीश होते हैं व विदेश यात्रा जीवन में अनेक बार करते हैं.
नवें प्रकार की भाग्य रेखा व उसका मानव जीवन पर प्रभाव:
नवें प्रकार की भाग्य रेखा चंद्र पर्वत से शनि पर्वत पर पहुंच जाती है.यह चित्रानुसार दिखती है:
यदि यह भाग्य रेखा शनि पर्वत पर दो तीन भागों में बढ़ जाए तो व्यक्ति अतुलनीय धन का स्वामी होता है व इनकी आय के स्रोत एक से अधिक होते हैं.ऐसा व्यक्ति विदेश में पूर्ण सफलता प्राप्त करता है व धार्मिक कार्यों में बढ़-चढ़कर भाग लेता है. वह समाज में सम्मान प्राप्त करता है.
दसवें प्रकार की भाग्य रेखा व उसका मानव जीवन पर प्रभाव:
दसवीं प्रकार की भाग्य रेखा हर्षल क्षेत्र से शनि पर्वत पर पहुंच जाती है.इसकी स्तिथि चित्रानुसार होती है:
इस प्रकार की भाग्य रेखा जिन हाथों में होती है वह निश्चय ही उच्च पद प्राप्त करता है. ऐसे ही व्यक्ति जीवन में कई बार विदेश यात्राएं करते हैं व वायु सेना में उच्च पद प्राप्त अधिकारी होते हैं.जीवन में ऐसा व्यक्ति राष्ट्र स्तरीय सम्मान प्राप्त करता है.
ग्याहरवें प्रकार की भाग्य रेखा व उसका मानव जीवन पर प्रभाव:
ग्यारहवीं प्रकार की भाग्य रेखा मस्तिष्क रेखा से शुरू होकर शनि पर्वत पर पहुंच जाती है.चित्र में यह भाग्य रेखा दिखाई गई है:
ऐसी भाग्य रेखा बहुत कम हाथों में देखने को मिलती है.ऐसे व्यक्तियों का व्यक्तित्व अपने आप में भव्य होता है. ऐसे व्यक्ति शुक्र की तरह जीवन में चमकते हैं.ऐसा व्यक्ति साधारण कुल में जन्म लेकर सभी दृष्टियों से योग्य और सुखी होता है. अगर ऐसी रेखा अंत में जाकर दो भागों में बंट जाए तो व्यक्ति उच्च स्तर का अधिकारी होता है।

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