Ayodhya Ram Janm bhumi Issue-कैबिनेट सेक्रेटरी शशांक शेखर के रणनीति ने कर दी थी चौकस व्यवस्था

Ayodhya Ram Janm bhumi Issue-कैबिनेट सेक्रेटरी शशांक शेखर के रणनीति ने कर दी थी चौकस व्यवस्था

National Desk -अयोध्या Ayodhya Ram Janm bhumi Issue एक ऐसा नाम जिसके इर्द गिर्द ही देश की सारी राजनीति घूमती रहती है । मामला 1992 के बाद से कुछ ऐसा लगातार हो रहा है जिससे कि अयोध्या में सरकारी अमले के लिए कानून व्यवस्था को बनाये रखने की समस्या बनी रही है ऐसे में बसपा सरकार द्वारा 2010 में जो व्यवस्था की गई उस समय कैबिनेट सेक्रेटरी मायावती सरकार में शशांक शेखर सिंह ने ऐसी फूल प्रुफ व्यवस्था बनाई

अयोध्याRam Janm Bhumi issue विवाद पर इस बार अंतिम फैसला आने वाला है। इनको लेकर पूरे देश में उत्सुकता बनी हुई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अयोध्या विवाद पर आने वाले निर्णय के बाद की तैयारियों की समीक्षा कर रहे हैं। मोदी, शाह, योगी लगातार चेतावनी भी दे रहे हैं कि उच्चतम न्यायालय के निर्णय आने के बाद और पहले बयानबाज़ी से बचे। किसी भी तरह का बयानबाज़ी न करे।

इन सब के बीच पूरे प्रदेश में अधिकारी कानून व्यवस्था बनाये रखने के तैयारियों में व्यस्त है और सभी वर्ग समुदाय की मीटिंगे सदभावना सभाएं गांव गाव तक हो रही हैं। 2010 में अयोध्या विवाद पर उच्च न्यायालय का निर्णय आने के बाद बसपा सरकार में पूरी तरह शांति बनी रही थी। जिसका श्रेय मायावती सरकार के कैबिनेट सेक्रेटरी शशांक शेखर सिंह को जाता है। सवाल यही उठा रहा है कि क्या शशांक शेखर सिंह की तरह अयोध्या विवाद पर निर्णय आने के बाद योगी सरकार कानून व्यवस्था को बनाये रख पाएगी।

यह एक ऐसा सवाल है जिसका जबाब तो आने वाले समय में अयोध्या निर्णय के बाद ही मिल पायेगा लेकिन जिस तरह से भाजपा के बयान बाँकुरे बेलग़ाम होकर, बेख़ौफ़ होकर बयान बाज़ी कर रहे है। ऐसे बयान बांकुरों पर मोदी, शाह और योगी के अपीलों का कोई असर नहीं पड़ रहा है ऐसे में क्या 2010 जैसी शांति व्यवस्था बनी रही ? जबकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रमुख सचिव एसपी गोयल है जो शशांक शेखर सिंह के स्टाफ अफसर थे। गोयल ने शशांक शेखर सिंह से कितना प्रशासनिक अनुभव प्राप्त किया वह भी 2019 में अयोध्या निर्णय आने के बाद दिखाई देगा।

माया सरकार में कैबिनेट सेक्रेटरी शशांक शेखर सिंह आईएएस या आईपीएस अधिकारी नहीं थे लेकिन जिस प्रशासनिक क्षमता का उन्होंने परिचय दिया उसके आगे आईएएस और आईपीएस जैसे उत्कृष्ट सेवाओं के अधिकारी कमजोर दिखाई दे रहे हैं। माया सरकार में Ayodhya Ram Janm Issue कानून व्यवस्था बेहतर बनी रही इसका श्रेय माया से ज्यादा शशांक शेखर को जाता है। 2010 में अयोध्या मुद्दे पर निर्णय आने के बाद पूरे प्रदेश में शांति रही। अल्पसंख्यक बहुसंख्यक नेताओ से लेकर राम और अल्लाह के भक्त भी चुपचाप बैठे रहे।

निर्णय आने के बाद शांति कैसे बनी रही? किस तरह से तैयारी की गयी थी इसका ब्लू प्रिंट शशांक शेखर सिंह ने ही तैयार किया था। मायावती से सहमति के बाद लागू करने की ज़िम्मेदारी सरकार से जुड़े समस्त विभागों के कर्मचारियों और अधिकारियों को बहुत ही सुनियोजित तरीके से दी गयी थी। कहने के लिए मामला कानून व्यवस्था से जुड़ा था जिसमे केवल पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी की ज़िम्मेदारी होती है लेकिन शशांक शेखर सिंह ने इसका दायरा आमजन तक बढ़ा दिया था। अयोध्या विवाद के बाद अप्रत्याशित शांति कैसी बनी रही इसको लेकर हमने कई बार शशांक शेखर सिंह से जानने का प्रयास किया।

मेरे जिज्ञासा को देखते हुए शशांक शेखर सिंह ने मेरे सभी सवालों का जवाब अपने ब्लू प्रिंट की तैयारी के लेखा जोखा के साथ दिया। उन्होंने बताया कैसे और किस तरह निष्पक्ष होकर कड़े से कड़े निर्णय को मजबूती से क्रियान्वित किया जा सकता है। शशांक शेखर सिंह ने सिलसिलेवार तैयारियों को बताया जिसके आधार पर प्रदेश में अयोध्या निर्णय आने के बाद अप्रत्याशित शांति बनी रही।

प्रदेश के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक, जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक से लेकर गांव तक फैले चौकीदार और समाज के हर तबके के छोटे बड़े नेताओ की ज़िम्मेदारी तय कर दी थी। जिसके कारण हर स्तर पर इतनी जबरदस्त निगरानी व्यवस्था थी कि अगर किसी ने भी अशांति फैलानी का प्रयास किया तो वह बच नहीं पायेगा। प्रत्येक जिले की गांव से लेकर जिला स्तर तक नेताओं, आराजक तत्वों और कर्मचारियों एवं अधिकारियों की ऐसी सूची बनाई गए गयी थी जो व्यवस्था को प्रभावित करने और अफवाह फैलाने में सक्रिय हो सकते थे।

372 पेज की शशांक शेखर सिंह द्वारा बनाई गयी ब्लू प्रिंट कानून व्यस्था के लिए एक आदर्श मॉडल कहा जा सकता है बशर्ते निष्पक्षता से लागू किया जाये। शशांक की सुरक्षा की ब्लू प्रिंट में मुख्यसचिव, DGP, डीएम, SP ही नहीं थाने के दरोगा, सिपाही, चौकीदार तथा सरकार से जुड़े हुए कर्मचारी, लेखपाल, ग्राम पंचयात अधिकारी और ब्लॉक तहसील जिला सभी विभागों की ज़िम्मेदारी तय की गयी थी। सिंगल विंडो कानून व्यवस्था कैसे और किस तरह निष्पक्षता से लागू करके बड़े बड़े आराजक तत्वों, बड़े बड़े नेताओं तथा बयान बांकुरों पर नकेल कसी जा सकती है इसका उदहारण शशांक शेखर सिंह की 372 पृष्ठीय ब्लू प्रिंट में दिया गया है एक बार फिर अयोध्या Ayodhya Ram Janm Bhumi Issue विवाद पर अंतिम फैसला आने वाला है तो जनमानस में चर्चाएं जोड़ पकड़ रही है कि क्या निर्णय आने के बाद प्रदेश में शांति बनी रहेगी। जिस तरह से दोनों सम्प्रदायों के बीच बयान बाज़ी का दौर चल रहा है उससे समस्या बढ़ ही रही है और योगी सरकार के लिए चुनौती भी। समय तय करेगा कि कानून व्यस्था को लेकर शशांक शेखर सिंह जैसे प्रशासनिक क्षमता योगी सरकार में है ?

हालांकि शशांक शेखर सिंह का 2013 में निधन हो गया लेकिन जब जब अयोध्या Ayodhya Ram Janm bhumi Issue विवाद जैसे बड़े फैसले होंगे तब तब माया सरकार और शशांक शेखर सिंह जैसे अधिकारी की नजीर सरकारों के सामने होंगी।

Courtesy urid

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