जिंदा है या मौत हो गई ,प्रेम का प्रतीक परिंदा हंस की जिसे घायल किया था युवकों ने

जिंदा है या मौत हो गई ,प्रेम का प्रतीक परिंदा हंस की जिसे घायल किया था युवकों ने

सारस (हंस) के हत्यारोपी को कहीं बचा तो नहीं रहे हैं वन दरोगा नन्द गोपाल

उत्तर प्रदेश का राजकीय प्रतिबंधित पक्षी है सारस ( हंस )

गोण्डा (Gonda) State News पक्षियों की दुनिया आपने सुना ही होगा कि परिंदों का संसार बहुत ही सुंदर होता है ! हर एक परिंदा किसी ना किसी को भी के लिए जाना जाता है ! धार्मिक और साइंटिफिक दोनों ही स्तरों पर इसे नकारा नहीं जा सकता है ! हम आपको ऐसे पक्षी के बारे में बता रहे हैं जो सिर्फ परिंदों के लिए ही नहीं बल्कि इंसानों के लिए सुखद गृहस्थ जीवन और नि:स्वार्थ प्रेम का प्रतीक है !
सारस ( हंस ) पक्षी की इस खूबी का उल्लेख पुराणों में भी मिलता है वही वैज्ञानिकों ने भी इसे अद्भुत बताया है ! लेकिन शैतानी प्रवृति के लोग अपनी भूख मिटाने के लिए इस तरह के परिंदों का शिकार करने से बाज नहीं आते हैं और जिम्मेदार विभाग के जिम्मेदार अधिकारी /कर्मचारी चंद रुपयों में बिक कर ऐसे अपराधियों के विरुद्ध कार्रवाई करने के बजाय उसे बचाने में अपना पूरा दमखम लगा देते हैं !


क्या है पूरा मामला

उत्तर प्रदेश का राजकीय प्रतिबंधित पक्षी सारस का शिकार गोंडा जनपद के कोतवाली देहात के सालपुर चौकी क्षेत्र अंतर्गत टिकरिया गांव के एक विशेष समुदाय के युवकों द्वारा किया गया ! उक्त घटना विगत 23 नवंबर शाम करीब 4:45 बजे की बात है जब एक युवक द्वारा सिसई टिकरिया गांव का बड़का तालाब में सारस ( हंस ) का शिकार करके उसे लेकर भागने लगा तो एक समुदाय के कुछ लोगों ने देखा और हल्ला मचा कर उसे छुड़ाने दौड़े लेकिन वह अपने गांव के मस्जिद के समीप पहुंचने से उसके जान पहचान के कई लोग आकर मारपीट करने पर आमदा हो गए लेकिन बचाने वालों की संख्या अधिक होने पर उन लोगों को सारस ( हंस ) को छोड़कर भागना पड़ा ! लोग उसे बचाकर पास के मंदिर पर ले आए और 100 नंबर पर डायल करके पुलिस को सूचना दी मौके पर पहुंची ने एक व्यक्ति को हिरासत में लेकर सारस का इलाज करवाने सालपुर चौकी पर ले आए प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार उपचार दौरान ही सारस ( हंस )की मृत्यु हो गई !


क्या कहते है पुलिस चौकी इंचार्ज सालपुर

इस संबंध में चौकी इंचार्ज सालपुर अरुण कुमार राय से जानकारी लेने पर उन्होंने बताया कि यह मामला वन विभाग से संबंधित है मैंने विभाग को दूरभाष पर सूचित कर दिया था वहां के वन दरोगा नन्द गोपाल आए थे मैंने सारस ( हंस )को उनके सुपुर्द कर दिया , बाकी कार्यवाही वन दरोगा करेंगे !
मेरा कार्य मौके पर शांति व्यवस्था बनाना था इसलिए पुलिस मौके पर पहुंचकर सारस ( हंस ) को अपने कब्जे में लेकर चौकी पर आई थी !

क्या कहते हैं इस मामले में वन दरोगा नन्द गोपाल

पण्डरी कृपाल रेंज के वन दरोगा नन्द गोपाल इस मामले के बारे में पहले कुछ बोलने से कतराते रहे बताया रेन्जर साहब से पूछो , रेन्जर अनिल के फॉल से दूरभाष पर जानकारी लेने पर उनके द्वारा मौके पर वन दरोगा आनन्द गोपाल को भेजने की पुष्टि की वहीं दूरभाष पर ही नंद गोपाल से बात कराई नंद गोपाल ने बताया कि सारस को मामूली चोटें आई थी उपचार के बाद उसे गुमड़ी पर छोड़ दिया गया है ! यह पूछे जाने पर कि प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार उपचार के दौरान ही उसकी मौत हो गई थी उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है वह दौड़ रहा था !
यह पूछे जाने पर कि सर्व विदित है कि वह हमेशा जोड़े में रहता है एक साथी के बिछड़ने पर वह रो रो कर अपनी जान भी दूसरे के वियोग में दे देता है फिर उसे वहां पर क्यों नहीं छोड़ा गया जहां उसका दूसरा साथी जोड़ा मौजूद था , जबकि पुलिस चौकी सालपुर से गुमड़ी की दूरी लगभग 18 किलोमीटर है वहीं पुलिस चौकी सालपुर से घटनास्थल की दूरी मात्र 2 किलोमीटर है इस पर वह कोई उत्तर नहीं दे सके !

वन दरोगा के लापरवाही से उपचार के दौरान ही हो गई थी सारस ( हंस ) की मृत्यु

घायल सारस ( हंस ) का उपचार वन दरोगा ने स्थानीय झोलाछाप डॉक्टर से कराया जब तक उसकी सांसे चलती रही किसी पशु चिकित्सक के पास ले जाने का प्रयास नहीं किया गया , जिससे उसकी जान चली गई !
वही उपचार करने वाले व्यक्ति ने दूरभाष पर बताया कि उसकी हालत बहुत नाजुक थी मैं उपचार करके चला आया था, बचना उसका मुश्किल था !
सरस को बचाने वाले सिसई गांव के लोगों के द्वारा उसका शिकार करने वाले युवक का नाम बदला ने पर भी भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबे पढ़ने कृपाल रेंज के वन दरोगा नंद गोपाल ने लापरवाही में सारस हंस हत्यारोपी ऊपर कार्रवाई करने के बजाय उसे बचाने का पूरा प्रयास कर रहे हैं !
सारस ( हंस )को बचाने वाले गांव के लोगों के द्वारा तथा मीडिया ने जब उनसे जानकारी लेने का प्रयास किया तो उनके द्वारा अब तक उन्हें केवल इस मामले में गुमराह ही किया जाता रहा !

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