हंस की मौत मामला आपकी की खबर द्वारा खुलासे के बाद में दो युवकों पर विभाग ने काटा केस

हंस की मौत मामला आपकी की खबर द्वारा खुलासे के बाद में दो युवकों पर विभाग ने काटा केस

गोण्डा में प्यार की मिसाल हंस पक्षी के एक जोड़े हुए समाप्त , वन दरोगा नन्द गोपाल की लापरवाही से गई दोनों की जान

हंस पक्षी के शिकार का मामला बना संदेहास्पद, पक्षी के मृत्यु के बाद उसे दफनाया गया या बना विभागीय लोगों का निवाला

गोण्डा ! विश्व का सबसे विशाल उड़ने वाला सारस (हंस) पक्षी की संख्या जहां भारत में सबसे अधिक पाई जाती है वही उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा इसे राजकीय प्रतिबंधित पक्षी का दर्जा दे रखा है इसके संरक्षण हेतु सरकार की तरफ से कोई विशेष ध्यान नहीं दिया जा रहा है जिससे वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों/ कर्मचारियों द्वारा इसके शिकार करने वालों पर अपना चाबुक ना चला कर चंद पैसों की लालच में शिकारियों पर शिथिलता बरते हुए इस राजकीय पक्षी को अपना निवाला तक बना डालते हैं !

क्या है पूरा मामला हंस प्रकरण का

थाना कोतवाली देहात के पुलिस चौकी सालपुर क्षेत्र अंतर्गत विगत 23 नवंबर शाम को टिकरिया गांव के युवकों द्वारा सारस हंस पक्षी का शिकार कर ले जाया जा रहा था तभी कुछ दूसरे सम्प्रदाय के लोगों ने देख लिया और हल्ला गुहार मचा कर उसे बचाकर मंदिर पर ले आए 100 नंबर डायल कर सूचना दी मौके पर पहुंची पुलिस ने एक व्यक्ति को हिरासत में लेते हुए सारस पक्षी को लेकर सालपुर चौकी पर ले आए और वन विभाग को सूचना देकर वहां से आए वन दरोगा नंद गोपाल को उस घायल पक्षी को सुपुर्द कर दिया गांव वालों के अनुसार लोगों का कहना था कि हम लोगों ने घायल पक्षी को ले जाते समय यह कह दिया था कि इस पक्षी को जिस तालाब में शिकार किया गया है लाकर वही छोड़ा जाए जिंदा रहे तब भी मृत अवस्था में भी क्योंकि इसका दूसरा साथी यहां मौजूद है नहीं तो वह भी इसके वियोग में मर जाएगा !

वन दरोगा नंद गोपाल के लापरवाही से थी गई हंस के दूसरे साथी की भी जान

वन दरोगा नंद गोपाल दवारा घायल हंस पक्षी का इलाज झोलाछाप डॉक्टर से कराया गया जिससे उसकी जान चली गई और मीडिया व गांव वालों को दूसरे दिन तक यह गुमराह करते रहे कि वह जिंदा है उसे गुमड़ी पर छोड़ दिया गया है ! स्थानीय सूत्रों के अनुसार झोलाछाप डॉक्टर के इलाज के दौरान ही हंस की हालत इतनी नाजुक थी कि वह बचने लायक नहीं था जिससे विभागीय जिम्मेदार लोग उसे ले जाकर अपना निवाला बना डाले हैं ! वहीं स्थानीय सूत्रों के अनुसार हंस ( सारस) का दूसरा साथी 25 नवंबर को सिसई टिकरिया के बड़के तालाब में अपने साथी के वियोग में मर गया ! वह तालाब के किनारे पड़ा था जिसे कुत्ते खा रहे थे !

"आपकी की खबर" द्वारा खुलासे के बाद में दो युवकों पर विभाग ने काटा केस

वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों से आप की खबर टीम ने बराबर संपर्क कर हंस पक्षी के बारे में जानकारी किया जाता रहा तो अपने को फंसता देख वन विभाग पण्डरी कृपाल रेंज के जिम्मेदार अधिकारी आनन-फानन में बैक डेट 23 नवंबर में ही दो युवकों जाहिर पुत्र गोर्रे व साफ़त अली पुत्र जलहु निवासी टिकरिया थाना कोतवाली देहात गोण्डा के विरुद्ध वन्य जीव अधिनियम 1972 की धारा 9/51 R.C. No 12/19-20 दिनांक 23-11-2019 मैं केस दर्ज किया है !

हंस का पोस्टमार्टम बना संदेहास्पद

23 नवंबर शाम को शिकार हुए हंस सारस की मौत का पोस्टमार्टम अभी भी संदेहास्पद स्थित में बना हुआ है कुछ लोग इसे विभागीय अधिकारियों का निवाला होना बता रहे हैं तो वहीं पण्ड़री कृपाल रेंज के रेंजर ओ. पी. लाल इसके पोस्टमार्टम होने की बात कर रहे हैं उनसे यह पूछे जाने पर की किस डॉक्टर द्वारा हंस का पोस्टमार्टम किया गया था बताया कि बाबागंज में हुआ है नाम नहीं जानते पर अस्पताल की टीम ने किया है यही आम लोगों को संदेह के घेरे में रहा है वही वन दरोगा नंद गोपाल का कहना है कि हंस रात भर जिंदा था सुबह गुमड़ी पर छोड़ आए और मर गया बाद में पोस्टमार्टम कराया गया !
पूछने पर कि डॉक्टर का नाम व टीम मेंबर का में कौन कौन थे यह विभागीय जिम्मेदार नहीं बता सके !

विभागीय दायित्व के प्रति लापरवाह है वन दरोगा नंद गोपाल

वन्य जीव संरक्षण हो यह हरे पेड़ की बिना परमिट कटान, वन दरोगा नंद गोपाल की वीट में सब कुछ संभव है ! धड़ल्ले से बेखौफ होकर शिकारी व लकड़ी माफिया सक्रिय और चंद पैसों की लालच में इनके द्वारा ऐसे लोगों को संरक्षण देकर प्राकृतिक संपदा का दोहन करवाया जा रहा है !

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