Depression Remedy एक ऐसी किताब जो कुछ खास है youths के लिए

Depression Remedy एक ऐसी किताब जो कुछ खास है youths के लिए

पुस्‍तक विमोचन : डिप्रेशन (Depression)की गुत्‍थी खोलकर आत्‍महत्‍या(Suicide) से बचाने वाली किताब है, ‘जीवन संवाद’

नई दिल्ली. अवसाद(Depression) और आत्महत्या (Suicide)के विरुद्ध वरिष्ठ पत्रकार दयाशंकर मिश्र (Dayashankar Mishra) की बहुत मशहूर हुई वेबसीरीज (Webseries)'डियर जिंदगी- जीवन संवाद' (Dear Zindagi-Jeevan Samvad) किताब की शक्ल में आ गई.

रविवार को नई दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर (India International Centre) में 'जीवन संवाद' का लोकार्पण किया गया. किताब की शक्ल में आने से पहले इस वेबसीरीज(Web Series ) को एक करोड़ से अधिक बार डिजिटल माध्यम में पढ़ा जा चुका है. किताब का विमोचन वरिष्ठ आलोचक डॉ. विजय बहादुर सिंह, साहित्यिक अभिरुचि के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी धर्मेंद्र सिंह, मध्यप्रदेश माध्यम के संपादक पुष्पेंद्र पाल सिंह और किताब में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली कैंसर सर्वाइवर शील सैनी ने किया. कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ पत्रकार, जेल सुधारक और मीडिया शिक्षक डॉ. वर्तिका नंदा ने किया.

दुख से लड़ने की ताकत देती है यह किताब
इस मौके पर डॉ. विजय बहादुर सिंह ने कहा कि दयाशंकर एक ऐसा सरस गद्य लिख रहे हैं, जो हिंदी के पाठकों के लिए अब तक उपलब्ध नहीं था. उन्होंने कहा कि 'आत्महत्या और अवसाद' Suicide and Depression जैसे विषयों पर डॉक्टर या पाश्चात्य तरीके से तो कई लोग सोचते हैं, लेकिन आधुनिक जीवन-दृष्टि में भारत की गहरी परंपरा को आत्मसात करते हुए सरलता से कोई बात कहना दयाशंकर को बखूबी आता है.

यह किताब मनुष्य को दुखों से लड़ने की वैसी ही ताकत देती है, जैसी ताकत सत्य हरिश्चंद्र, भगवान राम और धर्मराज युधिष्ठिर के जीवन चरित्र से मिलती है. महाभारत में जब अर्जुन अवसाद में आए तो कृष्ण उनके चिकित्‍सक बन कर खड़े हो गए. यह किताब हमें इसी अवसाद से जीवन की ओर ले जाने का मार्ग दिखाती है. डॉ. सिंह ने यह भी कहा कि हमारी चेतना बीमार है. इसे बचाने के लिए हमें हजारों दयाशंकर चाहिए होंगे.

लेखक ने साझा किया अनुभव
अपनी किताब की उपयोगिता पर बात करते हुए दयाशंकर मिश्र ने बताया कि अब तक वेबसीरीज के रूप में लिखे गए 650 से अधिक आलेखों में से चुनिंदा 64 लेखों को पुस्तक में शामिल किया गया है. मिश्र ने बताया कि अब तक कम से कम 8 लोग ऐसे हैं, जिन्होंने स्वीकार किया कि वह आत्महत्या की मन:स्थिति में पहुंच गए थे, लेकिन इन लेखों को पढ़ना शुरू करने के बाद उनका जीवन बच गया. मिश्र ने स्पष्ट रूप से कहा कि यह किताब खुद को बहुत फिट और और तेजतर्रार दिखाने वाली व्यक्तित्व विकास की किताबों जैसी नहीं है. उन्‍होंने कहा, किताब परवरिश के साथ बच्‍चों के मन, अवसाद के कारण और मन के आत्‍महत्‍या तक पहुंचने के कारणों की विस्‍तार से बात करती है. उन्‍होंने कहा क‍ि अवसाद की गुत्‍थी खोलकर आत्‍महत्‍या से बचाने वाली किताब है जीवन संवाद.


युवाओं के लिए है यह किताब(book for youths )

पुष्पेंद्र पाल सिंह ने कहा कि यह किताब युवाओं के साथ बच्‍चों के लिए भी उपयोगी है. क्योंकि एक तरफ युवा पीढ़ी पर रोजगार पाने का दबाव रहता है और दूसरी तरफ यही उम्र प्रेम और भावुकता की भी होती है. ऐसे में कई बार दबाव में नौजवान घातक कदम उठा लेते हैं. वे किसी से अपनी परिस्थिति साझा नहीं कर पाते हैं और भीतर के अंधेरे की तरफ चल निकलते हैं. ऐसे युवा जब इस किताब को पढ़ेंगे तो उन्हें लगेगा जैसे कोई उनका दोस्त उनकी परेशानियों के बारे में बड़ी जिम्मेदारी से उनसे बात कर रहा है. इससे जीने का जो हौसला बढ़ेगा, वह हमारे समाज की सबसे बड़ी जरूरत है. पुष्पेंद्र पाल सिंह ने कहा कि 'स्वांत: सुखाय' की बजाय परिवर्तन की आकांक्षा के साथ लिखी गई पुस्तक है 'जीवन संवाद'.

जटिल विषयों के साथ सरल संवाद
धर्मेंद्र सिंह ने विश्व की कुछ महान कृतियां और यूरोप के देशों का उदाहरण देते हुए कहा कि हमें अपनी जीवनशैली को समय की जरूरतों के हिसाब से ढालने की जरूरत है. भारत में अभी लोग मानसिक स्वास्थ्य को लेकर बहुत सजग नहीं हैं. यही नहीं अभी हम उस पुरानी धारणा से ग्रसित हैं जिसमें अवसाद या डिप्रेशन के बारे में दूसरों को बताना शर्म की बात समझा जाता है. हमारी यह रूढ़ियां मानसिक समस्याओं को और ज्यादा बढ़ा देती हैं. ऐसे में दयाशंकर मिश्र बातचीत के रूप में इतने जटिल विषयों से संवाद कर रहे हैं. यानी उनकी किताब को पढ़ते समय हमें अवसाद की रूढ़िवादी मानसिकता से बचने का मौका मिलेगा और जरूरतमंद व्यक्ति सिर्फ बेहतर जीवन के बारे में बात करने के बहाने अपनी कमियों को भी आसानी से देख लेगा.

दुख के क्षणों में होगी मददगार
शील सैनी जो खुद भी कैंसर सरवाइवर हैं, उन्होंने बताया कि जब वह अस्पताल में जीवन और मृत्यु से संघर्ष कर रही थीं, तब 'जीवन संवाद' के डिजिटल लेखों ने उन्हें 'जीवन संजीवनी' दी. शील सैनी ने कहा यह किताब सिर्फ अवसाद से लड़ने के लिए नहीं, यह किताब हर उस आदमी के लिए है जो दुख में है, तकलीफ में है और जिसे अपने सामने बहुत धुंधला दृश्य नजर आता है. यह किताब हमारे दुख के क्षणों में मदद का हाथ बढ़ाते हुए दोस्त की तरह है. इस पुस्तक को संवाद प्रकाशन ने प्रकाशित किया है.
विमोचन समारोह में बड़ी संख्‍या में देश के प्रबुद्ध लोग, सीआईएसएफ के अध‍िकारी, जवान और प्रतिष्‍ठि‍त लेखक और मुंबई, इंदौर, लखनऊ, भोपाल, रांची और पटना समेत कई शहरों से आए ‘जीवन संवाद’ वेबसीरीज के पाठक शामि‍ल थे

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