शिक्षा आयोग में 8 में से 4 पद नौकरशाही को देने से नाराज LUACTA

शिक्षा आयोग में 8 में से 4 पद नौकरशाही को देने से नाराज LUACTA

Lucknow (State News) लुआक्टा (LUACTA)की सामान्य सभा के निर्णय के क्रम मे लखनऊ विश्वविद्यालय से सह्युक्त सभी महाविद्यालयो के शिक्षकसाथी , स्ववित्तपोषित शिक्षक साथी एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों द्वारा प्रदेश सरकार द्वारा शिक्षा सेवा अधिनियम 2019 की धारा 18 को समाप्त किये जाने .

उच्च शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा एवं प्राथमिक शिक्षा के लिए दंड के संबंध मे पूर्व की व्यवस्था को लागू किये जाने तथा आयोग के गठन मे नौकरशाही के लिये पद आरक्षित करने एवं महाविद्यालयो के शिक्षको की उपेक्षा करने, प्रोफेसर का पद न दिए जाने, पुरानी पेंशन की बहाली, स्नातक स्तर पर अध्यपन करने वाले शिक्षको को शोध पर्यबेक्षक बनाये जाने तथा स्ववित्तपोषित महाविद्यालयो को अनुदान सूची पर लिये जाने .

उनकी सेवा नियमावली बनाये जाने एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के दंड के संबंध मे परिनियम मे उल्लिखित व्यवस्था मे संशोधन कर D I O S के स्थान पर R H E O को अधिकार दिए जाने तथा उन्हे भी एक बार माध्यमिक शिक्षा के शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की भांति स्थानांतरण की सुविधा प्रदान करने एवं अधिवर्षता आयु 65 वर्ष किये जाने तथा आकस्मिक अवकाश 8 से बढ़ाकर 14 किये जाने तथा मेडिकल सुबिधा प्रदान किये सहित अन्य मांगों के संबंध मे काला फीता बांधकर विरोध किया गया ।

सूच्य है कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश शिक्षा अधिनियम 2019 को दोनों सदनो से पास कराया जा चुका है । अधिनियम की धारा 18 द्वारा उच्च शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा एवम प्राथमिक शिक्षा के शिक्षको के लिए पूर्व मे प्रचलित व्यवस्था को समाप्त कर नई व्यवस्था के अंतर्गत प्रबंधतंत्रो को को दंड देने का अधिकार प्रदान कर दिया गया है ।

जिसके कारण शिक्षको मे भारी रोष व्याप्त है,आयोग के गठन मे भी नौकरशाही द्वारा 8 मे से 4 आरक्षित कर लिए गए है एवं महाविद्यालयो के शिक्षको की घोर उपेक्षा की गई है । यहां यह भी उल्लेखनीय है कि उच्च शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा एवं प्राथमिक शिक्षा मे शिक्षको के बहुत सारे पद रिक्त है एवं 24 सदस्यों का आयोग वर्तमान मे केवल शिक्षको की नियुक्ति नही कर पा रहा है तो केवल 8 सदस्यो का शिक्षा सेवा आयोग कैसे उच्च शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा एवं प्राथमिक शिक्षा के शिक्षको एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की नियुक्ति कैसे कर पायेगा ।

इससे सरकार की मंशा स्पष्ट है और वह शिक्षा व्यवस्था को पूरी तरह से नष्ट कर देना चाहती है एवं सम्पूर्ण शिक्षा स्ववित्तपोषित व्यवस्था को दे देना चाहती है ।यू जी सी द्वारा स्पष्ट निर्देश दिए जाने के बाद भी महाविद्यालयो के शिक्षको को प्रोफेसर का पद नही प्रदान किया जा रहा है एवं स्नातक स्तर पर अध्यापन कार्य करने वाले शिक्षको को शोध पर्यबेक्षक नही बनाया जा रहा है ।

शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के दंड देने के मामले मे परिनियम मे उल्लिखित व्यवस्था D I O S के स्थान पर R H E O को अधिकार प्रदान नही करने के कारण उनका गंभीर शोषण हो रहा है । वर्तमान मे महिला महाविद्यालय के प्रबंधतंत्र द्वारा जिला विद्यालय निरीक्षक के अनुमोदन के बिना 31 दिसंबर 2019 को अवकाश प्राप्त करने वाले शिक्षणेत्तर कर्मचारी श्री पृथ्वी पाल जी को अविधिक रूप से 28 दिसंबर2019 को।

सेवा से बर्खास्त कर दिया गया एवं सहायक लेखाकार श्री राजू को जिला विद्यालय निरीक्षक के अनुमोदन के बिना लंबे समय से निलंबित रखा गया है । इसी महाविद्यालय के प्रबंध तंत्र द्वारा पूर्व मे आयोग से चयनित प्राचार्या डा सुप्रभा बी सहाय का इतना उत्पीड़न किया गया कि उनका असमय निधन हो गया एवं प्रबंध तंत्र द्वारा उनके विरुद्ध वाद पर 78 लाख रुपये खर्च किया गया । नवयुग महाविद्यालय के प्रबंध तंत्र द्वारा इसी प्रकार विश्वविद्यालय के आदेशों के विपरीत दो शिक्षिकाओ की सेवा समाप्त कर दिया था जिसके लिए संघ को परीक्षाओ का भी बहिष्कार करना पड़ा एवं करामत गर्ल्स महाविद्यालय मे प्रबन्धक द्वारा साड़ी पहनने के तुगलकी आदेश को न मानने पर निलंबित कर दिया गया था।

लुआक्टा का स्पष्ट रूप से मत है कि यदि धारा 18 को समाप्त नही किया गया तो शिक्षको का घोर उत्पीड़न होगा एवं प्रबंध तंत्र घोर मनमानी करेंगे । सरकार के इस निर्णय के विरोध मे आंदोलन अभी दिनांक 21 एवं 22 जनवरी 2020 को भी जारी रहेगा । इसके बाद भी यदि सरकार द्वारा शिक्षको की समस्याओं का समाधान नही किया जाता है तो आंदोलन और उग्र किया जायेगा जिसमे परीक्षाओ का बहिष्कार भी सम्मिलित है । यदि सरकार की है हठधर्मिता के कारण परीक्षाओ का बहिष्कार होता है तो सम्पूर्ण उत्तर दायित्व सरकार का होगा ।

डा मनोज पांडेयअध्यक्ष डा अंशु केडिया महामन्त्री ने सूचना दी है ।

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