ताप्ती के तीर ओ जाने वाले, हो सके तो लौट के आना

ताप्ती के तीर ओ जाने वाले, हो सके तो लौट के आना


आलेख :- रामकिशोर दयाराम पंवार रोंढावाला
मेरे जन्म के एक वर्ष पूर्व 1963 में बनी पंजाब से सदाबहार हीरो धर्मेन्द एवं नूतन पर बनी फिल्म बंदनी का शैलेन्द्र का लिखा स्वर्गीय मुकेश की मधुर आवाज में गाया गीत ओ जाने वाले, हो सके तो लौट के आना. ए घाट , तू ए बाट कहीं भूल न जाना..... इस गीत को मेरा मन बार - बार गुणगुनाता है जबसे मुझे श्रद्धेय अश्विनी कुमार चोपड़ा मिन्ना जी के दुखद निधन की खबर मिली है.

हिन्दी पत्रकारिता के बेताज बादशाह परम श्रद्धेय अश्विनी कुमार मिन्ना जी दैनिक पंजाब केसरी दिल्ली के प्रधान संपादक इन निदेशक थे. परम श्रद्धेय श्री अश्विनी कुमार मिन्ना जी मात्र 63 वर्ष की आयु में देवलोक को चल गए. बीते बीते शनिवार 18 जनवरी २०२० की सुबह 11.30 बजे अश्विनी कुमार मिन्ना जी ने इस राम - नाम - काम - धाम - अल्प मुकाम वाली दुनिया को सदा के लिए अलविदा २०२० कह कर देवलोक की ओर चल पड़े.

अपनी पैतृक विरासत में मिली जोखिम भरी संघर्षो से घिरी जवाबदेही पत्रकारिता को अपने सिद्धांतो पर चला कर अपनी और अपने परिवार की आन - बान - शान - पहचान को बनाए रखा. पांच नदियों के प्रदेश पंजाब से हिन्द केसरी के दौर में पंजाब केसरी नामक बीज का अंकुरण करने वाले स्व. लाला जगत नारायण चोपड़ा के सपनो को हिन्दी पत्रकारिता के करोड़ों पाठकों तक पहुंचाने का काम स्वर्गीय अश्विनी कुमार मिन्ना जी ने किया. आप भारतीय पत्रकार जगत को एक अपूर्णीय क्षत्ति दे गये , जिसकी भरपाई बरसो तक असंभव है...! अश्वनी कुमार मिन्ना जी ने पंजाब के आतंकवाद पर अपना बलिदान देने वाले पितामह स्व. लाला जगत नारायण के 9 सितम्बर 1981 तथा पूज्य पिताजी रमेशचन्द्र जी चोपड़ा की 12 मई 1984 को हुए बलिदान को कभी नहीं भूलाया

. परम श्रद्धेय अश्विनी कुमार मिन्ना जी 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आव्हान पर व पूर्व केन्द्रीय मंत्री स्वर्गीय श्रीमती सुषमा स्वराज व स्वर्गीय अरुण जेटली के मनाने पर भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर करनाल हरियाणा से भारी मतो से सांसद चुनकर आये लेकिन उनकी बेबाक लेखनी ने कई बार केन्द्र की मोदी सरकार को भी सवालो के कटघरे में ला खड़ा किया.

दंबग - निर्मिक - नीडर - निष्पक्ष लेखनी ने केन्द्र की भाजपा सरकार जो 2014 से 2019 तक रही लेकिन वे सत्ता के अंहकार से कोसो दूर खड़े दिखाई पड़े. कांग्रेस से उनकी अनबन उनके परिवार को प्रदान की गई सुरक्षा में कटौती के बाद शुरू हुई लेकिन वे 21 वी सदी में भारत को ले जाने वाले प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी से काफी प्रभावित थे. उनकी मित्रता केन्द्रीय मंत्री रहे स्व. माधवराव सिङ्क्षधया से होने के कारण वे स्व. राजीव गांधी के संपर्क में आ गए थे.

बड़े - बड़े नेताओ से करीबी संबधो के बाद भी मिन्ना जी ने अपनी कलम से किसी प्रकार का समझोता नहीं किया...! मिन्ना जी की प्रतिदिन लिखी जाने वाली संपादकीय पढऩे वालो की लम्बी - चौड़ी जमात थी. दिल्ली पर भले ही आम आदमी पार्टी की और केन्द्र में भाजपा की सरकार मौजूद है लेकिन दिल्ली में सिक्का आज भी पंजाब केसरी का चलता है. पूरी दिल्ली पर राज करने वाले हिन्दी पत्रकारिता के बेताज पंजाब केसरी घर से लेकर चौपाल तक पढ़ा जाने वाला समाचार पत्र रहा है. अमर शहीद सिरोमणी लाला जगत नारायण के ज्वेष्ठ पौत्र एवं शहीद श्री रमेश चन्द्र के ज्येष्ठ पुत्र अश्विनी कुमार जिन्हें छोटे से लेकर बड़े - बड़े लोग प्यार और स्नेह सम्मान और सत्कार के साथ मिन्नाजी के नाम से सम्बोधित करते थे आज वही मिन्ना जी हमारे बीच नहीं रहे.


पंजाब केसरी से 2004 से जुड़ा हूं
मैं उन सौभाग्यशाली लोगो में शामिल है जिन्हे स्वर्गीय अश्विनी कुमार मिन्ना जी के हस्ताक्षर युक्त नियुक्ति पत्र मिला जिसकी एक प्रति कलैक्टर बैतूल, जिला पुलिस अधीक्षक एवं जिला जन सपंर्क अधिकारी बैतूल को भेजी गई. बीते 15 - 16 वर्षो से बतौर बैतूल ब्यूरो दैनिक पंजाब केसरी के लिए काम करते रहा. मुझे याद है जब होशंगाबाद में केन्द्रीय मंत्री प्रणब मुखर्जी किसी कार्यक्रम में भाग लेने आए थे तब मेरी खबर होशंगाबाद से बाय लाइन लगी थी. खण्डवा, सिवनी,हरदा, छिन्दवाड़ा और बालाघाट तक की खबरे मेरे नाम से छपी. मैं बीते 15 - 16 वर्षो में उनसे सिर्फ दो बार मिला लेकिन वे मुझे अच्छी तरह से जानते थे. जिसके पीछे की एक कहानी बैतूल जिले से शुरू होती है. बैतूल एसडीएम ने कुछ पत्रकारो के समाचार पत्रो के पंजीयन निरस्त करने का नोटिस जारी कर दिया. हड़बडाहट में अधिकारी ने बैतूल हलचल, गोण्डवाना टाइम्स के साथ - साथ दैनिक पंजाब केसरी एवं वीर अर्जून दिल्ली का भी घोषणा पत्र के बदले पंजीयन प्रमाण पत्र ही निरस्त कर दिया. जब मैं पूरे मामले को लेकर प्रेस कौसिंल आफ इंडिया में लेकर गया तब वहां पर बैतूल जिला प्रशासन की ऐसी किरकिरी हुई कि बैतूल कलैक्टर ने मुझे दैनिक पंजाब केसरी के ब्यूरो पद से हटाने के लिए 50 हजार रूपये का आफर के साथ एक व्यक्ति को दिल्ली सीधे मिन्ना जी के पास बैतूल कलैक्टर के द्वारा मेरे संदर्भ में लिखी गई एक चि_ी एवं एक अन्य व्यक्ति को पंजाब केसरी का बैतूल ब्यूरो बनाने की अनुशंसा की थी. कलैक्टर के पत्र को पढऩे के बाद मिन्ना जी ने उस व्यक्ति को जो जवाब दिया वह आज भी बैतूल कलैक्टर के रूप में उस समय पदस्थ रहे व्यक्ति को याद रहेगा लेकिन इस प्रकरण ने मेरा रूतबा बढ़ा दिया.

पंजाब केसरी कार्यालय में जब मैं पहुंचा तो मुझे यह संदेश मिला कि मैं जब भी दिल्ली आऊ तो बिना मिन्ना जी से मिले नही जाऊंगा. उस दिन मै डर गया मुझे लगने लगा आज पंजाब केसरी में अपना आखिरी दिन होगा....! मैं शाम के 5 बजे अपने चेम्बर में आए मिन्ना जी के पास डरते - डरते पहुंचा. उनके चरण स्पर्श करने के बहाने मैने अपना संक्षिप्त परिचय दिया तो उन्होने में मेरी पीठ थप थपाई और सामने बैठे व्यक्ति से कहा कि देखो ए है हमारे रिर्पोटर जिसको हटाने के लिए कलैक्टर तक के आफर आए .....!

उस दिन मुझे पता चला कि वहां पर क्या हुआ था. उसके बाद मैं अपनी जीवन संगनी के साथ उनसे मिलने गया मेरे एक्सीडेंट होने के बाद. मिन्ना जी ने मुझे हर प्रकार का सहयोग का वादा किया और निभाया भी. आज पूरे 15 साल 16 होने जा रहे मेरे पंजाब केसरी से जुड़े हुए. पंजाब केसरी के रूप में मुझे वह दिन अच्छी तरह से याद है जब मैं सुप्रसिद्ध फ्री स्ट्राइल कुश्ती के बेताज बादशाह एवं रामायण में हनुमान का रोल अदा करने वाले स्वेत श्याम फिल्मो के कलाकार दारा सिंह से जब मिला तो वे जैसे ही मेरे द्वारा पंजाब केसरी के रूप में परिचय दिया तो दारा सिंह ने मुझे गले लगा लिया और वे ठहाके मार कर बोले मैं हिन्द केसरी तू पंजाब केसरी .....!


यह अपने आप में गौरव की बात है कि हमारे परम श्रद्धेय मनीष शर्मा जी ही वह कड़ी थे जिनके माध्यम से मैं पंजाब केसरी रूपी माला में एक मोती के रूप में पिरोया जा सका. आज श्रद्धेय अश्विनी कुमार मिन्ना जी पर मुझे लिखने का मन हुआ तो मैं उन्हे श्रद्धा सुमन के रूप में एक श्रद्धाजंलि रूपी शब्दो- अक्षरो - भावनाओ की माला बना कर उनके छायाचित्र पर लगाने का प्रयास किया है.
अंत में एक बार फिर यही कहना चाहता हूं कि ओ दूर के मुसाफिर हमको भी साथ ले ले, हम रह गए अकेले........

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