स्वतंत्र हुए देशों ने हमारी तुलना में ज्यादा तरक्की की है

स्वतंत्र हुए देशों ने हमारी तुलना में ज्यादा तरक्की की है

भारतीय संविधान भी अपनी शक्ति जनता से प्राप्त करता है
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम संबोधन में जिन मुद्दों की तरफ देशवासियों का ध्यान खींचा, वे मार्गदर्शक भी हैं और समय की जरूरत भी हैं। इसमें दो राय नहीं कि भारतीय गणतंत्र की सात दशक की गौरवशाली यात्रा में एक आदर्श नागरिक के रूप में अपने दायित्व निभाने में हम कहीं न कहीं चूके हैं, जिसके चलते आज तमाम तरह की विसंगतियों और विद्रूपताओं से भारतीय लोकतंत्र दो-चार है। हमारी धार्मिक अस्मिताएं राष्ट्रीय सरोकारों से बड़ी हो गई हैं।

स्वाधीन लोकतंत्र के नागरिक के रूप में जहां हमें अधिकार मिले हैं, वहीं जिम्मेदारियां भी मिली हैं। लोकतंत्र के मुख्य अवयवों—स्वतंत्रता, समानता व बंधुत्व का अनुपालन हमारे परिपक्व नागरिक होने की कसौटी है। यही वजह है कि राष्ट्रपति ने गैर-जिम्मेदार नागरिक व्यवहार के प्रति सचेत किया है।

साथ ही चेताया कि हमारे साथ ही स्वतंत्र हुए देशों ने हमारी तुलना में ज्यादा तरक्की की है। इसका मतलब यह कतई नहीं है कि हमने तरक्की नहीं की, मगर यदि स्थिति अनुकूल होती तो भारत की तरक्की दुनिया में एक मिसाल बनती। यही वजह है कि राष्ट्रपति ने लोकतंत्र में विरोध की आवाज को तो जायज बताया, मगर साथ ही हिंसक आंदोलनों के प्रति चेताया। कहीं न कहीं हाल ही में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में हुए हिंसक प्रदर्शनों और आगजनी ने देश के आम नागरिक की ही तरह राष्ट्रपति कोविंद को भी उद्वेलित किया, जिसके चलते उन्होंने देश के नागरिकों को राष्ट्रहित में विवेकपूर्ण आचरण करने की नसीहत भी दी। उन्होंने इस बात को भी स्वीकारा कि भारतीय संविधान भी अपनी शक्ति जनता से प्राप्त करता है, ऐसे में नागरिकों का विवेकशील व्यवहार अपरिहार्य ही है।

साथ?ही असहमति व्यक्त करने के अधिकार की वकालत करते हुए उन्होंने सरकार व विपक्ष से सामंजस्य कायम करके आगे बढऩे की आशा जतायी। नि:संदेह इसका मकसद सरकार द्वारा लिये गये कुछ हालिया फैसलों से उपजे टकराव की ओर ध्यान आकृष्ट करना ही था।


उम्मीदों के अनुरूप 71वें गणतंत्र दिवस के मौके पर राजपथ पर आयोजित मुख्य समारोह में देश ने राष्ट्र की प्रगति की बानगी देखी। देश में रक्षा अनुसंधान, अंतरिक्ष व सैन्य क्षेत्र की उपलब्धियों की झांकी के साथ ही विविधता में एकता की संस्कृति की पोषक राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों तथा विभिन्न विभागों की झांकियां भी गणतंत्र दिवस परेड में नजर आईं जो देश के लोगों को आश्वस्त कर गईं कि देश तरक्की के पथ पर है, जिसमें सैन्य शक्ति दर्शाने वाले मिशन शक्ति के एंटी-सैटेलाइट हथियार, नई?आर्टिलरी तथा हाल ही में सेनाओं में शामिल मारक अपाचे व चिनूक हेलीकॉप्टर भी शामिल थे। सैन्य बलों की परेड जनमानस को अनुशासित जीवन जीने के लिये प्रेरित कर गयी। विदेशी मेहमान की परंपरा में इस बार ब्राजील के राष्ट्रपति जे.एम. बोलसोनारो गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि रहे।

इस आयोजन के प्रसंगवश दोनों देशों ने द्विपक्षीय संबंधों को नये आयाम देने की दिशा में पहल की। द्विपक्षीय समझौते के तहत दोनों देशों ने कृषि, खाद्य प्रसंस्करण, रक्षा व सुरक्षा, बायोएनर्जी, विज्ञान व प्रौद्योगिकी, खनन, स्वास्थ्य, महिला व बाल विकास, वैज्ञानिक शोध, सामाजिक सुरक्षा व सांस्कृतिक आदान-प्रदान आदि पंद्रह समझौतों पर हस्ताक्षर किये गये। इन द्विपक्षीय समझौतों के जरिये व्यापार व निवेश को बढ़ावा देने पर सहमति भी बनी। नि:संदेह इन समझौतों का दोनों देशों के विकास पर सकारात्मक असर होगा। दोनों ही देश ?औद्योगिक तथा रक्षा सहयोग बढ़ाने पर भी सहमत हुए। इसके साथ?ही दोनों देश मौजूदा दौर की सबसे बड़ी चुनौती साइबर अपराधों पर नियंत्रण के लिये सहयोग बढ़ाने पर राजी हुए।

ये समझौते इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं कि दोनों देश वर्ष 2023 में राजनयिक संबंधों की प्लैटिनम जुबली मनाने जा रहे हैं। नि:संदेह, गणतंत्र दिवस से जुड़े आयोजन जहां हमें अपनी सर्वांगीण विकास की उपलब्धियों का अहसास कराते हैं, वहीं एक नागरिक के रूप में हमें कर्तव्यबोध की भी याद दिलाते हैं। निष्कर्ष यह भी कि जिम्मेदार नागरिक के व्यवहार में लोकतंत्र का भविष्य निहित है। भारतीय लोकतंत्र इन दिनों तमाम चुनौतियों से दो-चार है, जिसका मुकाबला विवेकशील व समरसता की दृष्टि से ही संभव है। लोकतंत्र के मूलभूत सिद्धांतों—न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व का पालन करना हमारी भी जिम्मेदारी है।

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