आपके भाग्य में धन है की नहीं इस रेखा से पता चलता है

आपके भाग्य में धन है की नहीं इस रेखा से पता चलता है

जानिए क्या कहती हैं आपके माथे की लकीर(Forehead Line) –

1. धन से जुड़ी माथे की पहली लकीर –
सामुद्रिक शास्त्र की मानें तो व्यक्ति के माथे की पहली लकीरों का संबंध सीधे धन से होता है। यह लकीर भौं के निकट बनती है, जिसे धन की लकीर भी कहते हैं। वहीं, जिस व्यक्ति की धन की यानी माथे की पहली लकीर जितनी साफ दिखाई देगी, वह व्यक्ति उतना ही धनवान कहलाता है। परंतु माथे की वही लकीर स्पष्ट ना हो तो जान लें कि यह संकेत देता है कि आने वाले समय में व्यक्ति को धन से जुड़ी कई समस्याएं होनी वाली है। उस व्यक्ति के वित्तीय जीवन में उतार-चढ़ाव की संभावनाएं भी हमेशा बनी रहेगी।

2. माथे की दूसरी लकीर सेहत की देती है जानकारी –
अब बात करते हैं माथे पर बनीं दूसरी लकीर की जो व्यक्ति के स्वास्थ्य जीवन से जुड़ी हुई मानी जाती है। यह लकीर भौहों के निकट की लकीर के बाद दूसरी लकीर होती है। बता दें कि अगर माथे की दूसरी लकीर गाढ़ी और साफ दिखाई देती हो तो समझ लें कि इसका मतलब है कि उस व्यक्ति का स्वास्थ्य जीवन पर हमेशा अच्छा बना रहेगा। इसके विपरीत यह लकीर पतली और हल्की होती है तो व्यक्ति को स्वास्थ्य या परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। जान लें कि माथे की दूसरी लकीर का स्पष्ट ना होना खराब स्वास्थ्य की ओर भी इशारा करता है।

3. भाग्य से है माथे की तीसरी लकीर का कनेक्शन –
माथे पर पड़ने वाली नीचे से तीसरी लकीर भाग्य की लकीर होती है और यह लकीर बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। खास बात यह है कि यह लकीर बहुत ही कम लोगों के माथे पर होती है। अगर यह लकीर माथे पर बनी होती है, तो वह व्यक्ति भाग्यशाली कहलाता है।

4. जीवन के उतार-चढ़ाव से जुड़ी है चौथी लकीर –
हमारे माथे पर बनने वाली चौथी लकीर का संबंध जीवन में आने वाले उतार-चढ़ाव से होता है। हालांकि यह लकीर 26 से 40 वर्ष तक के उतार-चढ़ाव और संघर्ष के बारे में जानकारी देती है। ऐसे व्यक्ति चालीस (40) की उम्र के बाद ही सफलता की बुलंदियों में होते हैं। ऐसे व्यक्तियों का आर्थिक जीवन भी बहुत अच्छा होता है।

5. पांचवीं लकीर को माना जाता है खतरनाक –
याद रखें कि माथे पर बनने वाली पांचवीं लकीर बहुत ही खतरनाक मानी जाती है। यह लकीर आपके जीवन में तनाव और चिंता को दर्शाती है। कभी-कभी तो ऐसे लोग अपना घरबार छोड़कर वैराग्य जीवन की तरफ चल देते हैं।

6. छठी लकीर वाले करते हैं अप्रत्याशित उन्नति –
बताते चलें कि माथे पर छठी लकीर नाक की सीधी तरफ ऊपर जाने वाली लकीर को कहते हैं। इसे दैवीय लकीर कहा जाता है, और ऐसा इसलिए क्योंकि यह लकीर संकेत देती है कि व्यक्ति के ऊपर दैवीय कृपा है। ऐसे व्यक्ति जीवन में अप्रत्याशित रूप से सफल होते हैं।


पण्डित दयानन्द शास्त्री जी बताते हैं कि जिस व्यक्ति के माथे पर स्वच्छ, सरल, गम्भीर, पूर्ण तथा स्पष्ट रेखाएं होती है वह दीर्घायु एवं सुखी होता है। ललाट के एक छोर से दूसरे छोर तक जाने वाली एक स्पष्ट रेखा 20 वर्ष की आयु दर्शाती है। ऐसी जितनी रेखा ललाट पर होती है व्यक्ति की आयु उतनी होती है।

जिनके मस्तक पर छोटा सा चांद बना हुआ होता है उन पर ईश्वर की विशेष कृपा होती है। ऐसे व्यक्ति महान संत, सन्यासी, उपदेशक अथवा योगी होते है।

मस्तक पर जितनी रेखाएं बनी होती हैं व्यक्ति के उतने ही भाई-बहन होती है। मोटी रेखायें भाई की एवं पतली रेखायें बहन की मानी जाती है। जिनका मस्तक चौड़ा होता है, उस व्यक्ति के कई पुत्र होते हैं लेकिन आजीविका में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इनके बच्चे भाग्यशाली एवं कर्मठ होता है।

पण्डित दयानन्द शास्त्री जी के अनुसार जिस व्यक्ति के मस्तक के ऊपरी हिस्से में उभार हो, और नीचे की तरफ हल्का सा झुकाव दिखे वे उच्च पद प्राप्त करते हैं। साथ ही ऐसा व्यक्तियों के कई स्त्रियों से संबंध होते हैं। अक्सर इन्हें स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

जिनका मस्तक नीचे से ऊपर की ओर उठा हुआ हो, वह धैर्यवान, बुद्धिमान व धनवान होता है। इनका वैवाहिक जीवन सरल एवं सुखमय होता है।

जिनके मस्तक पर रेखा नहीं होती है वह व्यक्ति धनी व दीर्घायु होता है। जिनके ललाट गहरे होते हैं वह ग़लत तरीके से धनोपार्जन करने वाले हैं। अपने गलत कार्यों के कारण इन्हें जेल भी जाना पड़ता है।

किसी मनुष्य के ललाट (Forehead )में स्वच्छ, सरल, गम्भीर, पूर्ण तथा स्पष्ट रेखा होने से, वह व्यक्ति सुखी एंव दीर्घायु होता है। छिन्न-भिन्न रेखा से दुःखी और अल्पायु माना जाता है। ललाट में उद्धव रेखा, त्रिशूल व स्वास्तिक आदि के बने होने से, धन पुत्र एंव स्त्री युक्त होकर मनुष्य सुखमय जीवन व्यतीत करता हैं।

जिसके मस्तक पर रेखा नहीं होती है, वह पुरूष धनी व दीर्घजीवी होता है। जिनके ललाट गहरे हों, वह पुरुष अपराध करने में चूकता नहीं, वो हत्या तक कर सकता है। करने वाले एंव बन्दी गृह के भोगी होते हैं। मस्तक में एक रेखा का पूर्णमान लगभग 20 वर्ष माना जाता है। इसी अनुपात से अनुभव द्वारा मनुष्य की आयु का भी निर्णय किया जाता है।

जिस व्यक्ति का मस्तक उपर से उठा हुआ हो तथ नीचे से झुका हो, वह मनुष्य अधिक स्त्रियों से विवाह करने वाला होता है। ऐसे पुरूष अधिक शिक्षा प्राप्त करके उच्च मुकाम हासिल कर लेते है। इनका स्वास्थ्य बहुत अच्छा नहीं होता है।

जिस पुरूष का मस्तक चैड़ा हो, वह व्यक्ति अधिक पुत्रों वाला होता है, परन्तु काम-धन्धे को लेकर परेशान रहता है। इनकी सन्तान भाग्यशाली एंव कर्मठ मानी जाती है।

जिस पुरूष का मस्तक छोटा हो, वह मनुष्य अधिक पुत्रियों वाला होता है। ऐसे व्यक्ति कठोर परिश्रम करके ही अपने जीवन का निर्वाहन कर पाते है।

पुरूष के मस्तक पर जितनी रेखाये बनी हो, उसके उतने ही भाई-बहन होने की सम्भावना होती है। मोटी रेखायें भाई की एंव पतली रेखायें बहन की मानी जाती है।

जिस व्यक्ति का मस्तक नीचे से उपर की ओर उठा हुआ हो, वह मनुष्य धैर्यशील, धनवान व बुद्धिमान होता है। ये प्रेम के मामलें में काफी अग्रणी होते है। इनका वैवाहिक जीवन सरल एंव सुखमय व्यतीत होता है।

यदि मनुष्य के मस्तक पर तीन स्पष्ट अखंडित रेखाएं हों, तो मनुष्य धनवान और संपन्न होता है। यदि मनुष्य का ललाट ऊंचा-नीचा हो, तो जातक दरिद्रता के साए में जीवन गुजारता है। हंसते समय दोनों भृकुटियों के मध्य खड़ी रेखाएं बनती हों, तो ऐसा जातक दयावान, धर्मात्मा एवं सात्विक गुण वाला होता है। ललाट में त्रिशूल, उध्र्व रेखाएं, स्वस्तिक आदि का होना सर्वगुण संपन्न, धन, पुत्र और स्त्री सुख देता है।

पंडित दयानंद शास्त्री

Share this story