Mahashivratri 2020 –शिवरात्रि के दिन ज्योति इस तरह से करें प्रज्वलित कई कष्ट मिट जायेंगे

Mahashivratri 2020 –शिवरात्रि के दिन ज्योति इस तरह से करें प्रज्वलित कई कष्ट मिट जायेंगे

महाशिवरात्रि 2020 (Mahashivratri 2020) विशेष

Mahashivratri 2020 के दिन ज्योतिष के अनुसार, इस रात, ग्रह का उत्तरी गोलार्द्ध इस प्रकार होता है कि मनुष्य अपने अंदर की ऊर्जा को कई गुना मजबूत महसूस करता है।सोमवार का दिन भगवान को विशेष प्रिय होता है। इस दिन साल भर शिव की पूजा की जाती है, व्रत रखा जाता है। सोमवार का स्वामी चंद्रमा है। चंद्रमा भगवान शिव की जटा व मस्तिष्क में विराजमान है। इसलिए भगवान शिव को सोमनाथ भी कहा जाता है। इसके अलावा चर्तुदशी का स्वामी भी चंद्रमा ही है। चंद्रमा मन का भी कारक है। इसलिए मन से शिव की पूजा करनी चाहिए। इसके अलावा श्रवण नक्षत्र में की जाने वाली पूजा भगवान शिव को ही अर्पित होती है।

भगवान शिव के भोलेपन के बारे में सभी को पता है, इसलिए भक्त इन्हें भोला भी कहते हैं।

मान्यता है कि शिव जी को प्रसन्न करने के लिए आपको बहुत सारी चीजों की जरूरत नहीं होती, बल्कि सच्चे मन और भाव से दिया गया एक फूल भी भगवान आशुतोष को प्रसन्न कर सकता है।

विधिवत शिवलिंग पूजन के लिए स्वच्छ जल , गंगाजल, से स्नान कराने के बाद देशी घी, दूध, दही, शहद, शक्कर, भस्म, भाँग, गन्ने का रस, गुलाब जल, दूध, चन्दन, चढाकर शिवलिंग पर लेप करना चाहिये।

उसके बाद जनेऊ, कलावा, पुष्प, गुलाब की माला, धतूरा, भांग, जौ, केसर, चन्दन, धुप, दीप, कलाकन्द मिठाई ( दूध की बर्फी) स्वेक्षानुसार चढ़ाने के बाद बेल पत्र (राम राम लिखे हुये चन्दन से)चढ़ाये।

महाशिवरात्रि पर शिव अराधना से प्रत्येक क्षेत्र में विजय, रोग मुक्ति, अकाल मृत्यु से मुक्ति, गृहस्थ जीवन सुखमय, धन की प्राप्ति, विवाह बाधा निवारण, संतान सुख, शत्रु नाश, मोक्ष प्राप्ति और सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं।

चार प्रहर के चार मंत्र--

महाशिवरात्रि के प्रथम प्रहर में संकल्प करके शिवलिंग को दूध से स्नान करवाकर ''ॐ हीं ईशानाय नम:'' का जाप करना चाहिए।

द्वितीय प्रहर में शिवलिंग को दधि (दही) से स्नान करवाकर ''ॐ हीं अधोराय नम:'' का जाप करें।

तृतीय प्रहर में शिवलिंग को घृत से स्नान करवाकर ''ॐ हीं वामदेवाय नम:" का जाप करें।

चतुर्थ प्रहर में शिवलिंग को मधु (शहद) से स्नान करवाकर ''ॐ हीं सद्योजाताय नम:'' मंत्र का जाप करना करें।

किस तरह से करें पूजा एवं मंत्र जाप --

मंत्र जाप में शुद्ध शब्दों के बोलने का विशेष ध्यान रखें, जिन अक्षरों से शब्द बनते हैं। उनके उच्चारण स्थान पांच है जो पंचतत्व से संबंधित है।

1- होठ पृथ्वी तत्व

2-जीभ जल तत्व

3-दांत अग्नि तत्व

4-तालू वायु तत्व

5-कंठ आकाश तत्व

मंत्र जाप से पंचत्तवों से बनी यह शरीर प्रभावित होता है। शरीर का प्रधान अंग सिर है।

मस्तिष्क के तालू के ऊपर का भाग ठंडक चाहता है। यह भाग जितना ठंडा होगा उतनी है ज्ञानेन्द्रिय सामर्थ्यवान होगी।

तैतरीयोपनिशत् में शिखा का नाम इंद्रयोनि रखा है।

Mahashivratri 2020

1- मानसिक जाप अधिक श्रेष्ठ होता है।

2- जाप, होम, दान, स्वाध्याय व पितृ कार्य के लिये स्वर्ण व कुशा की अंगुठी हाथ में धारण करें।

3-दूसरे के आसन पर बैठकर जाप न करें।

4-बिना आसन के जाप न करें।

5-भूमि पर बैठकर जाप करने से दुख, बांस के आसन पर जाप करने से दरिद्रता, पत्तों पर जाप करने से धन व यश का नाश व कपड़े के आसन पर बैठ जाप करने से रोग होता है।

कुशा या लाल कंबल पर जाप करने से शीघ्र मनोकामना पूर्ण होती है।

6-जाप काल में आलस्य, जंभाई, निद्रा, थूकना, छींकना, भय, वार्तालाप करना, क्रोध करना, सब मना है।

7-घंटे और शंखनाद का प्रयोग अवश्य किया जाना चाहिए। वैज्ञानिक अनुसंधानों से सिद्ध हो गया है कि शंखनाद व घंटानाद से तपैदिक के रोगी, कान का बहना व बहरेपन का इलाज होता है। मास्कों सैनिटोरियम में केवल घंटा बजाकर टीबी रोगी ठीक किये गये थे।

8- 1928 में जर्मनी की राजधानी बर्लिन में शंख ध्वनि से बैक्टीरिया नामक हानिकारक,

जीवाणुओं को नष्ट किया गया था। शंखनाद-से- मिरगी, मूर्छा, गर्दन तोड़ बुखार, हैजा, प्लेग व

हकलापन दूर होता है।

9-पूर्व व उत्तर दिशा में ही देखकर जाप करें।

माला:-

1-मोतियों की माला विद्या प्राप्ति के लिये श्रेष्ठ है।

2-रुद्राक्ष माला सर्वसिद्ध है।

3-शंख की माला धर्म व धन दायक है।

4-तुलसी की माला सर्वरोग हरता है।

5-वशीकरण के लिये मूंगे की माला उत्तम है।

6-धन प्राप्ति के लिये स्फटिक माला ठीक है।

7-जाप की माला ढककर ही जाप करें।

8-पहली अंगुली का प्रयोग न करें।

दीपक:-

1- घी की जोत जलाने से परिवार में सुख समृद्धि होती है, यह स्वस्थ्यप्रद भी है।

2- तिल की जोत सर्वरोग हरता है।

3- अरंडी के तेल से दाम्पत्य जीवन सुखी रहता है।

बाती:-

1- रूई की बाती शुभ है।

2- कमल नाल से बनाई बत्ती, पित्तरों द्वारा किये पापों का नाश करती है।

3- केले के तने की छाल के रेशे से बनी बाती पितृशाप से मुक्ति देती है, संतान योग होता है। सुख शांति होती है।

4- जटामांसी की छाल से बनी भूत-प्रेत बाधा नष्ट करती है।

5- नयी पीली साड़ी के टुकड़े से बनी बाती से

माँ की कृपा व आशीर्वाद प्राप्त होती है, बीमारियां दूर

होती है।

6-लाल साड़ी के टुकड़े से बनी बाती जलाने से शादी में अड़चन व रुकावटें दूर होती है। बांझपन व ऊपरी बाधा (भूत-प्रेत) दूर होते हैं।

7- सफेद कपड़े को गुलाब जल में भिगोकर सुखाकर

बनी बाती जलाने से सुख समृद्धि बढ़ती है।

8 नीम का तेल, घी वा महुआ का तेल मिलाकर जलाने से कुलदेवी व कुलदेवता प्रसन्न होते हैं। घर में खुशहाली होती है।

9-नारियल का तेल, घी, अरंडी का तेल, नीम का तेल 47 दिनों तक भगवती की पूजन करने से माँ का आशीर्वाद प्राप्त होता है। दांपत्य जीवन सुखी व समृद्धि-मय होता है।

Mahashivratri 2020 को जोत जलाने का समय:-

1- प्रात: 3 से 5 बजे तक जोत जलाने से परिवार का कल्याण व समृद्धि होती है।

2-नौकरी की इच्छा वाले, अच्छा जीवन साथी अच्छी संतान की इच्छा वाले, घर में सुख-चैन की कामना करने वाले को गौधूली बेला में जोत जलानी चाहिए।

3- एक ज्योति जलाने से लाभ होता है। दो ज्योत जलाने से परिवार में एकता बढ़ती है।

4- तीन जोत जलाने से अच्छी संतान पैदा होती है।

5- चार जोत जलाने से पशुधन व जमीन जायदाद बढ़ती है।

6- पांच जोत जलाने से धन प्राप्ति व सर्व मंगलकारी व पांच देवताओं को प्रिय होती है।

पंडित दयानंद शास्त्री

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