Neem Karoli Baba का चमत्कार ,कुआं का खारा पानी हो गया मीठा

Neem Karoli Baba का चमत्कार ,कुआं का खारा पानी हो गया मीठा

जय बाबा नीब करोरी(Neem Karoli Baba) की::

भारत भूमि ऋषियों मुनियों की जन्मस्थली व तपस्थली मानी जाती है।
आज से लगभग 100 वर्ष पहले उत्तर प्रदेश की पावन धरती फर्रुखाबाद (Farrukhabad)में एक महान व्यक्ति हुआ जिनका नाम लक्ष्मण दास था जिन्होंने अपनी तपस्या से ऐसी सिद्धियाँ प्राप्त की कि वे भारत में ही नहीं विदेशों तक जिनकी जय जयकार हो रही है।

बाबा नीम करोली आश्रम (Neem Karoli Baba Ashram)

वे हनुमान (Hanumanji)जी के अनन्य भक्त थे , वे जिस जिस स्थान पर गए वहाँ वहाँ उनके अनुयायियों ने हनुमान जी के मंदिर की स्थापना की। इसमें कुछ आश्रम बहुत ही प्रसिद्ध है जैसे उत्तराखंड में कैंची आश्रम(Kainchi dhaam) लखनऊ में हनुमान सेतु मंदिर(Hanuman Setu) वृंदावन धाम फर्रुखाबाद में बाबा नीब करोरी आश्रम आदि।

बाबा लक्ष्मणदास पुरी रेलवे स्टेशन
उत्तर प्रदेश मे लखनऊ से लगभग 200 किलोमीटर दूर एक गांव है नीब करोरी , यह स्थान बाबा की तपस्थली है,इनके भक्तों का कहना है कि बाबा ने यहाँ 12 वर्ष तक मिट्टी की गुफा बनाकर तपस्या की। हमें भी अपने कुछ आध्यात्मिक मित्रों नरेश दीक्षित (संपादक हनुमत कृपा पत्रिका ),

संत ह्रदय सुधीर कुमार सक्सेना (पटना) ,प्रदीप माथुर (लखनऊ) व पत्रकार सुभाष निषाद(लखनऊ) के साथ जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ |तपस्या के पश्चात इसी गांव के नाम पर इनका नाम नीब करोरी(Neem Karoli Baba) बाबा हो गया। हम बाबा से जुड़ी कुछ चामत्कारिक घटनाओं के बारे में बताने जा रहा हूँ जिसको हमने इनके भक्तों से सुना है ।

फर्रुखाबाद में ही रहने वाले राजीव शरण सक्सेना ने बताया कि यहां पर एक कुआँ है जिसका पानी बहुत खारा था एक दिन बाबा ने अपने एक शिष्य से कहा कि इसमें एक बोरी चीनी डाल दो उस भक्त ने बाबा के कथनानुसार एक बोरी चीनी लाया और उस कुएँ में डाल दिया उसी दिन से उस कुएं का पानी पीने योग्य हो गया। मैंने भी वो कुआँ देखा।
इन्होंने बताया कि बाबा कहीं से ट्रैन से यात्रा कर रहे थे टीटी ने टिकट न होने के कारण बाबा को यहाँ ट्रेन। से उतार दिया वही बगल में बाबा अपना चिमटा गाड़कर बैठ गए,अब क्या ट्रेन आगे बढ ही नहीं रही रेलवे(Indian Railways) स्टाफ ने काफी प्रयास किया लेकिन ट्रेन नहीं चली।वहाँ के किसी व्यक्ति ने कहा कि बाबा को ससम्मान लाकर बिठाओ तभी कुछ हो सकता है।सभी स्टाफ ने बड़ी अनुनय विनय किया और बाबा को आरक्षित डिब्बे में लाकर बैठाया गया। अब क्या ट्रेन चल दी।इस चमत्कार के बाद रेलवे के अधिकारियों ने वहाँ एक स्टेशन बनवाया जिसका नाम बाबा लक्ष्मण दास पुरी रखा गया।

गाय के गोबर से बनी है हनुमानजी की मूर्ति
यहीं पर बाबा ने अपने हाथों से मिट्टी व गाय के गोबर से हनुमान जी की प्रतिमा बनाई जिसमें सप्ताह में दो बार सिंदूर लेपन किया जाता है यही एक ऐसी मूर्ति है जो बाबा ने स्वयं अपने हाँथो से बनाई है।।

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