दक्षिण मुखी मकान भी दे सकता है शुभ फल थोड़ा सा करना होगा बदलाव

दक्षिण मुखी मकान भी दे सकता है शुभ फल थोड़ा सा करना होगा बदलाव

जांनिये कैसे बनाएं दक्षिण-मुखी मकान को भी शुभ फलदायक ताकि मिले सुखद परिणाम---

यदि आप दक्षिणमुखी भूमि पर भवन बना रहे है तो ध्यान रखें इसको बनाते समय दक्षिण भाग ऊंचा होना चाहिए। ऐसा करने से उस भवन में रहने वाले स्वस्थ एवं सुखी होंगे।

पण्डित दयानन्द शास्त्री जी के अनुसार हिन्दू धर्म में दक्षिण दिशा की ओर के घर को लंबे समय से लोगों द्वारा अपवित्र और अशुभ माना गया है। लेकिन ये एक मिथक मात्र है क्योंकि दक्षिण यम राज की दिशा है और दक्षिण को नकारात्मक उर्जा का स्त्रोत माना गया है। आपको बता दें, अगर आप उचित वास्तु घर नियमों का पालन करें तो दक्षिण दिशा का घर आपके लिए बहुत शुभ हो सकता है और आपको मालामाल भी बना सकता है।
दक्षिणमुखी मकान यदि वास्तुनुकूल बना हो तो आदमी दूसरी दिशाओं की तुलना में बहुत ज्यादा यश व मान-सम्मान पाता है। वहाँ रहने वालों का जीवन वैभवशाली होता है। परिवार चौतरफा तरक्की कर सुखी एवं सरल जीवन व्यतीत करता है।

ज्योतिषाचार्य पण्डित दयानन्द शास्त्री जी ने बताया कि यम के आधिपत्य एवं मंगल ग्रह के पराक्रम वाली दक्षिण दिशा पृथ्वी तत्व की प्रधानता वाली दिशा है। इसलिए दक्षिणमुखी प्लॉट पर भवन बनाते समय वास्तु के कुछ सिद्धांतों का पालन कर लिया जाए तो निश्चित है कि वहाँ रहने वालों का जीवन उत्तर या पूर्वमुखी घर में निवास करने वालों की तुलना में बहुत बेहतर हो सकता है।

दक्षिणमुखी प्लॉट पर कंपाउंड वॉल एवं घर का मुख्य द्वार दक्षिण आग्नेय में रखें, किसी भी कीमत पर दक्षिण नैऋत्य में न रखें। दक्षिण नैऋत्य में ही द्वार रखना मजबूरी हो तो ऐसी स्थिति में आप उस प्लॉट पर मकान बिलकुल न बनाएँ और उस प्लॉट को बेच दें, क्योंकि दक्षिण नैऋत्य में द्वार रखकर वास्तुनुकूल घर बन ही नहीं सकता।

जहाँ दक्षिण आग्नेय का द्वार बहुत शुभ होता है, वहीं दक्षिण नैऋत्य का द्वार अत्यंत अशुभ होता है। दक्षिण नैऋत्य के द्वार का कुप्रभाव विशेष तौर पर परिवार की स्त्रियों पर पड़ता है। उन्हें मानसिक व शारीरिक कष्ट रहता है। यही द्वार परिवार की आर्थिक स्थिति को भी खराब रखता है।

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