अपने ही देश में बेगाने हुए वीर सावरकर ,JNU में मार्ग का नाम बदला

अपने ही देश में बेगाने हुए वीर सावरकर ,JNU में मार्ग का नाम बदला

JNU में क्यों दिखा जिन्ना से प्यार

National News Desk -हमें जिन्ना चाहिए सावरकर नहीं यह उस आजाद भारत में कहा जा रहा है जिसमे आज़ाद रहकर तथाकथित पढ़े लिखे लोग आज़ादी मांगते रहते हैं | उन्हें वीर सावरकर से परहेज है वह वीर सावरकर जिसने देश की आजादी में बड़ा योगदान दिया और क्रांतिकारी देशभक्त भारत के लोगों ने उन्हें वीर सावरकर की उपाधि से विभूषित किया |

इस मामले का विरोध ABVP तो कर ही रही है कांग्रेस की शाखा NSUI ने विरोध तो दर्ज कराया है लेकिन यह भी कहा है की सावरकर के नाम पर मार्ग का नाम किये जाने का कोई औचित्य नहीं है |

जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय (जेएनयू) में अज्ञात लोगों ने सोमवार की रात को वीर दामोदर सावरकर मार्ग के साइन बोर्ड पर स्याही पोतकर पाकिस्तान के संस्थापक मुहम्मद अली जिन्ना के पोस्टर लगा दिये।

सावरकर के नाम पर स्याही पोतने की कड़ी निंदा करते हुए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) की राष्ट्रीय महासचिव निधि त्रिपाठी ने कहा कि भारत में कम्युनिज्म अपने अवसान पर है। कल सावरकर जी के नाम से जिस मार्ग का नामकरण हुआ, आज उस पर कालिख पोतकर जिन्ना का पोस्टर लगा दिया गया। इससे इनकी 'भारत तोड़ो' मानसिकता समझी जा सकती है। भारत के विभाजन में जिन्ना को वैचारिक खाद-पानी भी कम्युनिस्टों ने ही दी थी।

एबीवीपी की जेएनयू इकाई के अध्यक्ष शिवम चौरसिया ने वाम संगठनों को आड़े हाथों ‌लेते हुए कहा कि वीर सावरकर ने हमारे देश के स्वतंत्रता संग्राम में सराहनीय योगदान दिया है। आज के युवाओं में उनके प्रति श्रद्धा भाव बढ़ रहा है। चौरसिया ने कहा कि हमारी मांग है कि जेएनयू में सावरकर के नाम पर चेयर और प्रतिमा स्थापित की जानी चाहिए।

उल्लेखनीय है कि जेएनयू प्रशासन ने सोमवार को ही विश्वविद्यालय परिसर में एक सड़क का नाम ‘विनायक दामोदर सावरकर मार्ग’ कर दिया था। इस पर जेएनयू छात्र संघ (जेएनयूएसयू) की अध्यक्ष आइशी घोष सहित अनेक वामपंथी छात्रों ने सोशल मीडिया पर आपत्ति जताई थी। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने प्रशासन के फैसले का स्वागत करते हुए स्वाधीनता सेनानियों को सच्ची श्रद्धांजलि करार दी थी।

Source Agency

Share this story