सोच बदलो किस्मत खुद बदल जाएगी ,जानिए क्या है इसके पीछे का Spiritual और Practical Logic

सोच बदलो किस्मत खुद बदल जाएगी ,जानिए क्या है इसके पीछे का Spiritual और Practical Logic

जितना मांगोगे वही मिलेगा, क्या है इसके पीछे का कारण Motivational Analysis

Lifestyle and Dharm Desk- हमे कितना चाहिए भगवान से यह हम खुद ही तय करते हैं इसका उदाहरण यह है कि मंदिर जाने वाले लोगों की संख्या में 3 तरह के लोग होते हैं एक तो जो वह मंदिर जा रहा है उसकी कामना यह होती है कि भगवान हमें इतना दो कि हम अपने खर्चों को पूरा कर सकें ,वहीं दूसरी तरफ एक व्यक्ति ऐसा होता है कि वह भगवान से कहता है भगवान हमें इतना दो कि हम भंडारे कर सके लोगों की सेवा कर सके ,और कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जो दान देने की प्रवृत्ति से मंदिर जाते हैं.

पर कुछ ऐसे भी होते हैं जब मंदिर के बाहर लाइन लगाए बैठे रहते हैं और उनकी कामना यही होती है कि पिछली बार वह ₹100 लेकर गए थे इस बार 200 लेकर जाए यह उनकी कामना भगवान से होती है ।
मेरा कहना केवल इतना है की भगवान वही देते हैं जो आप मांगते हैं उनसे अगर आप देने की प्रवृत्ति से जाते हैं तो आपको वह मिलेगा कि आप सभी का कल्याण करें साथ में अपना कल्याण तो होता ही रहेगा वहीं दूसरी तरफ है ऐसे भी लोग हैं जिनको उतना ही मिलेगा कि वह अपनी जरूरतें पूरी कर सके वह जीवन में कभी भी इस लायक नहीं हो सकते कि वह लोगों के लिए सोचे इसीलिए प्राकृतिक तौर पर जो गरीब है गरीब ही बना रहता है और जो अमीर है और वह और भी अमीर होता चला जाता है ।यह तय हो गया धार्मिक कारण।
अब हम ऐसे मामले सामने आते हैं इसका व्यावहारिक पहलू यह है जब हम इस बात की कामना करते हैं कि पिछली बार हमने केवल 100 लोगों को दान दिया था और अब 500 लोगों को देना चाहते हैं यह भंडारे करना चाहते हैं दान जो पिछली बार था उसकी रकम को बढ़ाना चाहते हैं तो आप उसके लिए प्रयास करेंगे। आपके अंदर इस बात की कामना होगी कि आप और अधिक से अधिक कमाए और उसके लिए पूरे मनोयोग से काम करेंगे और कि आपकी आस्था है कि यह बातें पूर्ण होंगी इसलिए आप पूरे कॉन्फिडेंस के साथ उस काम को करते हैं और वह पूरा भी होता है क्योंकि उसकी Strategy आपने खुद बनाई है और ज्यादा कमाने की प्रवृति से बनाएंगे दूसरी तरफ जो मांगने वाला व्यक्ति है उतनी ही प्लानिंग करता है जिसमें उसकी जरूरत पूरी हो जाए और अपना भविष्य का निर्माण कुछ ही करता है खर्चे चला सकता है ।
क्या अगर अगर भीख मांगने वाला मंदिर गया है तो उसकी जरूरत बहुत ही सीमित है वह उसके लिए प्रयास करता है कि अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचता और उनसे मांगता है उसकी भी कामना पूरी होती है यह दोनों पक्ष में व्यवहारिक भी है और आस्था भी से संबंधित है लेकिन यह तो तय है कि हम जो मांगते हैं वही मिलता है क्योंकि हम वही करते हैं जिस पर वह बातें पूर्ण हो सके ऐसा मेरा मानना है।

ऐसा मेरा व्यक्तिगत मानना है आप सहमत असहमत दोनों हो सकते हैं आपकी मर्जी ।

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