श्री शंकराचार्य स्वामी जी को अयोध्या के ज्योतिषाचार्य पंडित प्रवीण शर्मा का मुहूर्त प्रकरण पर जबाब

श्री शंकराचार्य स्वामी जी को अयोध्या के ज्योतिषाचार्य पंडित प्रवीण शर्मा का मुहूर्त प्रकरण पर जबाब

गणित सदैव लग जावे ऐसा जरूरी नहीं होता।

कई बार 2×2 =4 नही भी हो पाता है !

Jyotish Desk National Desk -गणित यह है कि अमावस्या पितृ देवताओं की तिथि है और चौथ,चतुर्दशी, नवमी तिथि रिक्ता यानी खाली कहलाती है और सामान्यतः किसी महत्वपूर्ण मांगलिक कार्य के लिए उचित नही मानी जाती है।

सूर्य मध्य जुलाई से दक्षिणायन हो गए है, सन्यासी चातुर्मास में है।

माह भी भाद्रपद तथा दिन बुधवार को दोपहर का समय हो तो निश्चित रूप से वैदिक साहित्य इस मुहूर्त का समर्थन नही करता है।

इस प्रकार कई अन्य गणितीय तर्क प्रस्तुत किया जा सकते है !

इस तरह 5 अगस्त से प्रारंभ होने जा रहे श्रीरामजन्मभूमि निर्माण के मुहूर्त पर प्रश्नचिन्ह लग रहे है।

लेकिन जब बात प्रभु श्रीराम की हो तो उनके जीवन को भी देखा जाना चाहिए :-

जब प्रभु के जन्म की बात है तो गोस्वामी तुलसीदास जी कहते है -
जोग लगन ग्रह बार तिथि सकल भए अनुकूल।
चर अरु अचर हर्षजुत राम जन्म सुखमूल।।

अर्थात प्रभु का जन्म जब होने को हुआ तो योग,लग्न,ग्रह,वार,तिथि,जड़ और चेतन सब अनुकूल हो गए।
*सकल* *भए* *अनुकूल* यानी गोस्वामी तुलसीदास जी ने सकल रहे अनुकूल नहीं लिखा क्यों ...?
क्योंकि तुलसीदास जी महाराज ज्योतिष के भी प्रकांड विद्वान है और वह एक रिक्ता तिथि को अनुकूल नही कह सकते है लेकिन उन्हें यह बताने में कोई संकोच नहीं है कि राम जन्म सब अनुकूल करने वाला ही है।
एक तरह से प्रभु ने अपनी जीवन लीला में ज्यादा विचार कर रखे गए राज्याभिषेक को टाल वनवास को चुन अपने रामत्व को बताने का प्रारंभ ही किया था और कार्तिक अमावस्या तिथि पर वनवास से वापस आकर उस अभिशप्त सी तिथि को सर्वपूज्य दीपावली पर्व कर दिया।
प्रभु का स्पर्श ही सभी सुख देने वाला है यानी प्रभु के कार्य को भक्ति भाव से स्वीकार किया जाना चाहिए क्योंकि प्रभु ने स्वयं ही ज्ञान मार्ग पर भक्ति मार्ग को महत्व दिया है।

एक युग बाद पूरे होने जा रहे स्वप्न के सुख का उत्सव मनावे आज मेरा भी बयान टाइम्स ऑफ इंडिया में गणित पक्ष में आया है लेकिन वहाँ मेरे कहने का आशय मात्र इतना है कि योगी आदित्यनाथ जी द्वारा प्रभु की विग्रह के समय को ही ज्ञानीजन स्वीकार करने की महती कृपा करे।

कांग्रेस यदि अपना समूल नाश नही चाहती तो उसे यह कह कहना चाहिए कि मंदिर का स्वागत है स्वर्गीय श्री राजीव गांधी जी द्वारा किया गया शिलान्यास काम आया अथवा कांग्रेस के ही प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री नरसिम्हा राव जी की भूमिका से ही आज यह दिन आया है। कुछ भी मान कर आनंद से रहे क्योंकि स्वप्न में भी राम जी का द्रोह तो सर्वनाश ही देता है।

जो भी हो उत्सव मनाया ही जाना चाहिए क्योंकि :-

राम कीन्ह चाहहि सो होई।
करै अन्यथा अस नहि कोई।।

गणित व मानवीय ज्ञान की सीमाओं में भगवान शंकराचार्य जगतगुरु अनंत श्री स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी ने मुहूर्त के लिए तो तथ्य सामने रखे है वो अकाट्य है उनके ज्ञान पर प्रश्न अपराध है अक्षम्य है लेकिन युगधर्म को दृष्टिगत रख अपने भक्तिभाव से उन्हें कोटि कोटि प्रणाम कर निवेदन है कि अब इस उत्सव को मोदी सरकार के उत्सव की जगह प्रभु श्री राम का उत्सव मान स्वागत करे।

क्योंकि बिना राम जी की कृपा के तो मोदी जी प्रधानमंत्री नही है न ?

अतः मुहूर्त के गणित में न पड़ रामजी की जन्मभूमि निर्माण के उत्सव का आनंद ले।

सदियों बाद मिल रहे इस अवसर को गणित के फेर में न उलझावे।

पं प्रवीण शर्मा
ज्योतिषाचार्य
ज्योतिष शोध संस्थान, श्रीधाम अयोध्या।

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